महाकाली के स्वरूप की यदि विवेचना की जाये, तो कितना भयानक, डरावना स्वरूप होता है महाकाली पर्व पर क्या भगवती महाकाली सेाली पर्व प्यकता है? नहीं यह तो आद्य l'eau
इसी तरह पाप मोचनी कर्ण पिशाचिनी उन्हीं महाकाली का स्वरूप हैं, जो साधक के जीवन सेnce Plus d'informations उसे नया जीवन दान देती है और हर तरह के बुरे कर्मों से हमेशा सचेत करती रहती है। Plus d'informations
इस दृष्टि से यह जीवन में डर-भय, अनिश्चितत l'eau जिसे प्रत्येक शिष्य, साधक, मनुष्य को सम्पन्न करना ही चाहिये। क्योंकि जब तक हमारा जीवन पूरी तरह से पाप-दोष से मुक्त नहीं हो जाता, तब तक हमारे अभीष्ट सिद्ध होनाता, तब तक हमारे अभीष्ट सिद्ध होना संभव नहीं।। तक.
पूर्व में आपको विभिन्न लेख, साधना, दीक्षा के माध्यम से यह बताया गया है कि हमारा यह जीवन पिछले जन्म के क__ère. जिसके कारण जीवन में अनेक दुख, संताप, पीड़ा सहन करनी पड़ती है और उसी के कारण हमारा सफलता का मार्ग भी अवरूद्ध होतारा है। पाप-दोष के शमन हेतु समय-समय पर भिन्न-भिन्न शक्तिपात दीक्षा, साधना पत्रिका में प्रकाशित होती ही ही है। पत. जिसका लाभ हजारों शिष्यों को प्राप्त हुआ और उन्होंने अपना श्रेष्ठतम अनुभव भी हमसे साझा किये। श.
इस वर्ष पाप मोचनी शक्ति दिवस एकादशी महापfacetien यह तो स्पष्ट है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में जो भी विषम स Joh ये कर्म फल हमारे पूर्व अथवा वर्तमान जीवन का भी हो सकत. प्रत्येक साधक का यही प्रश्न होता है कि किस प्रकार से, कौन से विध. Plus d'informations जिसे सम्पन्न कर साधक अथवा शिष्य अपने जीवन को सुकर्मों की ओर अग्रसर तो करता ही है, साथ ही पापों से्त जीवन में आयी विषम..
कर्ण पिशाचिनी अपने साधको का हर क्षण ध्यान रखती है है, उसके जीवन में आने वाले प्रत्येक संकट का पूर्व में हीाले क्रत्येक संकट क. जिससे साधक और उसका परिवार किसी घटना-दुर्घटना में पूर्ण सुरक्षा प्राप्त करने में सफल होता है। प. साथ ही कर्ण पिशाचिनी का विशिष्ट रूप सiner Plus d'informations
साथ ही कौन से कार्य करने से श्रेष्ठता, सफलता प्राप्त होगी, यह एक महत्वपूर्ण विषय है है। क्योंकि हमें अनेक ऐसे कर्मों का ज्ञान तो है जिससे कर्म दोष संचित होते हैं, परन्तु अनेक ऐसेर्म भी संचित होते हैं प्ञ्तु अनेक ऐसे..
इसीलिये यह साधना जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है है, जिससे जीवन में जुड़. इस साधना में किसी भी तरह की कोई भय की बात नहीं है, सामान्य साधनाओं की तरह इस साधना को आप निश्चित होकर सम्पन्न करें. किसी भी तरह की कोई डरावनी अथवा अनहोनी घटना या आवाज आपको नहीं सुनायी देगी। यदि ऐसा किसी के साथ होता भी है तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह साधना सफलता का सूचक होगी। यह 3 दिवसीय साधना है, जिसे पाप मोचनी दिवस या किसी भी मंगलवार अथवा विशेष दिवस पर यह साधना सम्पन्न कर सकते हैं।
एकांत स्थल पर ही साधना सम्पन्न करें, रात्रि को 09 बजे के पश्चात् स्नानादि से निवृत्त होकर पीली धोती धारण कर लें, सामने लकड़ी के बाजोट पर काला कपड़ा बिछायें साथ ही बाजोट के चारों कोनो में एक-एक गाय के घी का दीपक जलायें, सम्पूर्ण Plus d'informations पूजा स्थान के चारों ओर (जिस घेरे में साधक व लकड़ी का बाजोट सरलता से आ सके) गुरु मंत्र कœuvrevice
इसके बाद कांसा अथवा ताम्र की थाली पर चंदन से अपना नाम लिखकर उस पर कर्ण पिशाचिनी यंत्र स्थापित कर थाली को बœuvre 11 लौंग थाली में बिखरœuvre trait जिसकी आंच रोम-प्रतिरोम में समाहित होकर पाप-दोषों का शमन करती है और शरीर हल्का महसूस होने लगत. अब पाप मोचनी माला से निम्न मंत्र का 5 माला जप तीन दिन तक यंत्र के सम enflure पtenir
T लौंग को सिर से घुमाते हुये कर्ण पिशाचिनी मंत्र का मानसिक जप चलता रहे। अगले दिन सभी सामग Joh पुनः घर आकर स्नान करें।
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