शिष्य सुजान बनना है और गुरु में आत्मैक्य हो जाना है तभी गूढ़ विद्या के रहस्य को जान सकता है।।.
शिष्य को विश्वस्त तथा सुपात्र बनकर समर्पण के अंतिम सोपान को पार कर देना है तभीरु तत्व को्रœuvre.
Il n'y a pas de livre commun meilleur pour le disciple que l'ordre du Gourou.
शिष्य सदैव गुरु के सम्पर्क में रहकर गुरु के शेष क कार्यों को पूर्णता देना हीरम धर्म है।।.
Le disciple devrait recevoir la grâce de la connaissance en servant le Gourou.
शिष्य को सदा गुरु-चरणों का चिन्तन करते रहना चाहिये तभी शिष्य ज्ञानोदय होकर दिव्य दृष्टि प्राप्त कर सकता है।.
सौभाग्यशाली शिष्य वही है जो प्रसन्न मन से श्रद्धा पूर्वक गुरु को ही अपना परम लक्ष्य्य.
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श्रेष्ठ शिष्य सदा अपने आपको गुरु को समर्पित कर देने का प्रयास करता रहता है क्योंकि समर्पण ही्रु कोœuvre
शिष्य भव-सागर को सहजता से पार कर लेने का माध्यम एकमात्र सेतु्री गुरु ही है।
शिष्य द्वंद्व धर्मों से प्रताडि़त रहता है, गुरु चिन्तन, ध्यान कर शिष्य उस द्वंद्वlan
शिष्य के मन, बुद्धि एवं वाणी को पवित्र करने का एकमात्र उपाय गुरुचरणों में निरन्तर नमन युक्त हो सेवारत erci तथरन्तर नमन युक्त होरनारहना तथा चरणोदक का पान करना है।।।.
Le disciple doit s'incliner chaque jour dans la direction où se trouvent les pieds pareils-au-lotus de Sadgurudev.
Il est obligatoire d’obtenir Gourou Diksha du révéré Gurudev avant d'effectuer une Sadhana ou de prendre une autre Diksha. S'il vous plaît contactez Kailash Siddhashrashram, Jodhpur à travers Email , whatsApp, Téléphone or Envoyer la demande obtenir du matériel de Sadhana consacré sous tension et sanctifié par un mantra et des conseils supplémentaires,