Importance spirituelle de Tulsi- तुलसी के विषय में अधtenir तुलसी की उत्पति से विष्णु भगवान के मन को संतiner ऐसा माना जाता है की तुलसी के जड़ में सभी तीर्थ है, मध्य में सभी देवी-देवता है और शाखाओं में सभी स्थित है।।.
इस पौधे की पूजा विशेषकर स्त्रियाँ करती है और तुलसी माँ उनकी मनोकामना पूर्ण करती है।। पद्म पुराण में कहा गया है कि जिस आंगन में तुलसी का पौधा होता है वहां ब्रह्मा, विष्णु, महेश निवास करते है।।।।।।।।। Plus d'informations Plus d'informations उक्त वनस्पति को घर-घर में पूजे जाने, प्रतtenir इसके अतिरिक्त इसके अनेक लाभ है। इससे वातावरण में पवित्रता, प्रदुषण की शुद्धता, परिवार में आरोग्य की स्थितियां आती है, अतः यह श्रद्धा तत्त्व. तुलसी की सूक्ष्म कारण शक्ति अद्वितीय है यह आत्मोन्निति का पथ प्रशस्त करती है तथा गुणों की. वायु पुराण में तुलसी के पत्ते तोड़ने के कुछ नियम व मर्यादाएं बतायी गई है।
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अर्थात् 'बिना स्नान किये तुलसी को तोड़कर जो मनुष्य पूजा करता है वोराधी है। Plus d'informations
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तुलसी को अकाल मृत्यु हरण करने वाली और सम्पूर्ण रोगों को दूर करने वाली माना गया है।।।.
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तुलसी को रोपने से, पालन करने से, जल चढ़ाने से, उसका दर्शन करने से, स्पर्श करने से मनुष्य के मन वचन और कर्श करने से्त प्य नष्ट.
तुलसी का पत्र, मूल, बीज उपयोगी अंग है। इन्हें सुखाकर मुख बंद पात्रें में सुखे शीतल स्थानों में रखा जाता है। Plus d'informations इसके पत्तों का प्रयोग ताजी अवस्था में किया जाना ही श्रेष्ठ है।
ऐसा ग्रन्थों मे वर्णित है कि पत्रों को पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी, सूर्य संक्रान्ति के दिन मध्वादशी्ह्ह काल संक्रान्ति्ति. सही समय पर ही तोडे़ तथा जल में रखें जाने पर ताजा पत्र तीन रात्रि तक पवित्र रहता है। Plus d'informations Plus d'informations
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तुलसी हिचकी, खांसी, विष, श्वास रोग और पार्श्वशूल को नष्ट करती है, यह पित्त कारक, कफ-वातनाशक तथा शरीर एवं भोज्य पदारtience आगे उन्होंने लिखा-
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सिर का भारी होना, पीनस, माथे का दर्द, आधा सीसी मिरगी, नासिका रोग, कृमि रोग तुलसी से दूर हो जाते हैं।।।।।। महर्षि सुश्रुत लिखते है कि-
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तुलसी कफ़ वात, विष विकार, श्वास-खांसी और दुर्गन्ध नाशक है। पित्त को समाप्त करती है। Plus d'informations
Il est dit dans Bhava Prakash-
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Colonne vertébrale latérale, respiration sifflante, toux, toux et troubles de la toux.
Plus d'informations पसली का दर्द, अरूचि, खांसी, श्वास, हिचकी आदि विकारों को जीतने वाली है।
तुलसी हृदय के लिए हितकारी, उष्ण तथा अग्निदीपक है एवं कष्ट-मूत्र विकार, रक्त विकार, पार्श्वशूल को्ट करनेवाली है।।. Plus d'informations
usage médicinal Plus d'informations, plus d'informations Plus d'informations
Une toux et des maux de gorge Plus d'informations काली मिर्च के साथ तुलसी का रस लेने से खांसी ठीक हो जाती है।
fièvre यदि अधिक हो तो तुलसी पत्र का क्वाथ 3-3 घंटे के बाद सेवन करने से रोगी स्वस्थ होता है। ज्वर के साथ यदि कब्ज भी हो तो तुलसी का रस एवं गौ घृत दोनों को एक कटोरी में गुनगुना करके इसे दिन में दो दो बार लेने से्ज में opération.
Motijhara (typhoïde) में तुलसी के पत्ते और जावित्री के साथ पानी में पीसकर शहद के साथ दिन में 4 बार लेते है।।
Pour augmenter le pouvoir digestif, अपच रोगों के लिए तथा बालकों के यकृत, पीलीया सम्बन्धी रोगों के लिये तुलसी के पत्तों का फाण्ट पिलाते है।। पत. इलायची, अदरक का रस व तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लेने से उल्टी की स्थिति मेंराम मिलता है।
maladie des pieux Plus d'informations कृमि रोग में तुलसी के पत्रें के फाण्ट का सेवन लाभप्रद होता है।
colique abdominale Plus d'informations कुष्ठ रोग में तुलसी पत्र स्वरस प्रतिदिन प्रातः पीने से लाभ होता है।
Mal de tête में तुलसी पत्र रस कपूर मिलाकर सिर पर लेप करते है तो तुरन्त आराम मिलता है। ऐसा बताया जाता है कि नपुंसकता में तुलसी बीज चूर्ण अथवा मूल सम्भाग से पुराने गुड़ के साथ मिलाने पर दूध के साथ पीने से लाभ होताने पर दूध के साथ पीने से लाभ होताने।.
leucorrhée में अशोक पत्र के स्वरस के साथ तथा मासिक धर्म की पीड़ा में क्वाथ को बार-बार लेने से लाभ होता है।। ब.
तुलसी के हर हिस्से को सर्प विष में उपयोगी पाया गया है सर्पदंश से पीडि़त व्यक्ति को यदि समयES
तुलसी एक प्रकार से सारे शरीर का शोधन करने वाली जीवनी शक्ति संवर्धक औषधि है। औषधि के रूप में और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रत्येक घर के आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य होना चाहिए। तुलसी तुलसी.
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