गुरू से बढ़कर न शास्त्र है, न तपस्या, न मंत्र और न ही स्वर्गादि लोक।। गुरू से बढ़कर न देवी है, न देव, गुरू से बढ़कर न ही मोक्ष या मंत्र जप। Plus d'informations
Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations ।
शिष्य को नित्य एक नियमित समय पर नियमित संखtenir
शिष्य का धर्म है कि वह व्यर्थ के वाद विवाद या चिंतन में न पड़कर पूर्ण तल्लीन होकर गुरू सेवा करे। पूर्ण तल्लीन होकर गुरू सेवा करे। मन पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने का गुरू सेवा से अच्छा कोई माध्यम नहीं है है
शिष्य यदि सच्चे हृदय से पुकार करे, तो ऐसा होता ही नहीं कि उसका स्वर गुरूदेव तक न पहुंचे।। Plus d'informations इसमें कभी संदेह नही करना चाहिये।
यह आवश्यक नहीं कि कोई समस्या हो अथवा जीवन में कोई बाधा आई हो हो, तभी गुरू चरणों मे पहुंचर प्रयोग सम्पन्न. गुरू के दर्शन मात्र से ही शिष्य का सौभाग्य एवं पुण्य कर्म जाग्रत होते हैं हैं इसलिये्य कर्म जाग्रत होते हैं्प__èref.
गुरू की कृपा से ही आत्मा में प्रकाश संभव है, वही वेदों ने भी कहcre शिष्य वह है, जो गुरू के बताये मार्ग पर चलकर उनसे दीक्षा लेकर अपने जीवन के चारों पुरूषार्थों-धर्म, अर्थ, कारों पुरूषार्थों प््मferci
शिष्य कैसे सदैव गुरू चरणों में नतमस्तक बनiner नहीं हो सकता।
Il est obligatoire d’obtenir Gourou Diksha du révéré Gurudev avant d'effectuer une Sadhana ou de prendre une autre Diksha. S'il vous plaît contactez Kailash Siddhashrashram, Jodhpur à travers Email , whatsApp, Téléphone or Envoyer la demande obtenir du matériel de Sadhana consacré sous tension et sanctifié par un mantra et des conseils supplémentaires,