अन्य दिनों में साधक, साधना करने में जितना प्रयास, जितना तपोबल, जितना मंत्र जप कœuvre भगवती दस महाविद्याओं की साधना का स्वरूप ठीक उसी प्रकार है, जिस्रकार एक श्रेष्ठ भवन की नींव स्थापित करना। यह साधना नूतन वर्ष स्वरूप में जीवन निर्माण की सiner Plus d'informations
Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations कर आद्या शक्ति से एकाकार हो जाये। कलीयुग में मनुष्य जीव में अहंकार रूपी अंधकार, विपरीत विचार, कुबुद्धि कभी भी उत Joh इसलिये प्रत्येक नवरात्रि से पहले एक महालय आता है, जिसका तात्पर्य है कि महाविनाश। ऐसे समय में भीतर की विनाशकारी शक्तियों को नष्ट करने का शुभ अवसर नवरात्रि है और नवरœuvrevi
यह पूरा रचना क्रम जो संहार और उत्पत्ति का क्रम, व्यक्ति के जीवन में .ve दुर्गा के नव स्वरूप इस चन facedre Plus d'informations ये विचार संस्कार और ज्ञान से निर्मित होते है और जब जीवन में विनाशकारी विचारों को नष्ट करने की भावना आ जाती है, तो आद्या शक्ति स्वयं हमारे भीतर प्रवेश करती है, जिससे हम पुनः आंतरिक और बाह्य रूप से दिव्य भावों को आत्मसात् कर पाते है।
Plus d'informations इस जीवन में ही विभिन्न प्रकार के रंग, तरंग, उमंग है तो कभी हताशा-निराशा, परेशानी भी है।। जहाँ जीवन में सुख है तो दुःख भी है जीवन में पीड़ा है तो आनन्द भी है। ये सारी स्थितियाँ मनुष्य को विचलित भी करती है और ज्यiner अतः इन सब बाधाओं तथा समस्याओं को अनुकूल बनाने का पर्व ही नवरात्रि है।
शक्ति का तात्पर्य केवल बल ही नहीं है वरन् शक्ति एक भाव है जो आपके सामर्थ्य को प्रकट करता है, जिस प्रकार चन्द्रमा का सम्बन्ध चांदनी से है, दीपक का सम्बन्ध प्रकाश से है, यदि दीपक नहीं तो प्रकाश नहीं, इसी प्रकार शक्ति नहीं तो क्रियायें भी नहीं नहीं, अतः श्रेष्ठता को आत्मसात् करना है तो शक्ति की आराधना तो करनी ही पडे़गी।।।.
जो दुर्बल है उसका जीवन तो व्यर्थ है, जो अपने सामर्थ्य से शक्ति आराधना करता है उसका घर धन-धान्य, पुत्र, स्त्री, लक्ष्मी से कभी रिक्त नहीं हो सकता इसी प्रकार शक्ति तो सबल के घर पराक्रम रूप में, विद्वानो के हृदय में बुद्धि रूप में, सज्जन लोगों में श्रद्धा के रूप में निवास करती है, शक्ति का साकार रूप सब जगह, सब में है।।।।. Plus d'informations
नवरात्रि का यह विशेष पर्व अपने भीतर से अज्ञानता, दोष, कमियां निकाल बाहर कर अपने भीतर शक्ति भरने का पर्व है. यदि संसार विपत्ति सiner
Tripura Sundari Sadhana
जो व्यक्ति अपने जीवन मे त्रिपुर सुन्दरी की साधना कर उनकी कृपा प्राप्त कर पाता है वह व्यक्ति अपने जीवन में सर्व विजयश्री से युक्त होता है, क्योंकि यह शक्ति शिव स्वरूप में इच्छा, ज्ञान, क्रिया तीनों स्वरूपों को पूर्णता प्रदान करने वाली है। Plus d'informations व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है है तो लक्ष्मी्मी की कृपा प्राप्त नहींर कœuvre
त्रिपुर सुन्दरी की साधना, जो कि श्री विद्या की भी साधना है, स्पष्टतः जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित होकर यह साधना सम्पन्न करता है, उसे शारीरिक, मानसिक रोग, और भय नहीं रहता है, वह दरिद्रता व मृत्यु रूपी स्थितियों का संहार करता है। साधक जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।।। प.
Plus d'informations त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान सiner काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण कामदेव अनंग शक्ति प्राप्त करता है, धन व्या की्छात करता है, धन्यक्ति्ति्या की्छा खनेlaire
यह साधना करने वाला व्यक्ति कामदेव के समान तेजस्वी हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति्ति. उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके भीतर एक विशेष आत्मशक्ति्ति का विकास होता हैर और उसके जीवन में पाप संताप का क्षय होर उसके जीवन में प.
वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसको समसtenir
Sadhana Vidhan
प्रातः काल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा स्थान में संकल्प भाerci के सर पूजा स्थान मेंnce संकल्प भाव के साथ अपनी्रे्यक्त्तf. अपने सामने एक बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर 'त्रिपुरिपुर सुन्दरी महायंत्र' कामदेव अनंग जीवट और दस महाविद्यात्रिभुवन मोहिनी मœuvre
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पूर्ण शांत भाव से प्रत्येक कामना के साथ एक-एक माला दस महiner
नित्य रात्रि काल में 13 अप्रेल से 21 अप्रेल तक निरन्तर उक्त विधान से मंत्र जप करने सेर्व सुकानमन की पू__èrecence नवरात्रि की पूर्णता के बाद सम्पूर्ण सामग्री को किसी मंदिर या गुरू चरणों में अर्पित करें।
Yakshini Sadhana
यदि यह कहा जाये कि तंत्र के कtenir यक्षिणी साधना पूर्णता से केवल और केवल प्रेमिका के रूप में ही सिद्ध की जा सकती है। प्रेमिका का तात्पर्य यहां प्रचलित अर्थों से नहीं नहीं, अपितु इस ूप मे मे है कि साधक को एक ऐसी अभिन्न सहयोगिनी्राप्त्त. योग और साधना के क्षेत्र में पूर्ण सफलता प्राप्त करने के इच्छुक साधक स्पष्टता और दृढ़तiner
यक्षिणी की रूप राशि किसी भी वर्ग की स्तtenir Imp इस साधना के द्वारा वास्तव में साधक को ऐसा सहचर्य और मधुरता मिलती है, जिससे वह साधनाओं में्रता से गतिशील हो सकत.
तंत्र की उच्चकोटि की साधनायें तो यक्षिणी के सहचर्य के बिना पूर्ण होती ही नहीं।। तिब्बत के लामा प्रख्यात तांत्रिक एवं सिद्ध साधक हुये, उसके मूल में यही यक्षिणी साधना ही है, क्योंकि तिब्बत मे लामा संप्रदाय के अन्तर्गत 'तंत्र दीक्षा' केवल मात्र यक्षिणीयों से ही प्राप्त होती थी तथा उनके सहचर्य में रहकर ही कोई साधक तंत्र की साधनायें सम्पन्न कर सकता था।
यक्षिणी साधना को प्रचलित रूप से अलग हटकर समझने से साधक अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर सकता है, और जीवन के दोनों पक्ष अर्थात् योग व भोग एक साथ प्राप्त कर पाने का अधिकारी बन जाता है, क्योंकि तभी उसके अन्दर उस तंत्रमयता का उद्भव होता है, जो जीवन के दोनों पक्षों को लेकर चलने की स्पष्ट धारणा रखती है। Plus d'informations
पार्वती ने भगवान शिव से निवेदन किया कि देवताओं के लिये तो सभी प्रकार के सुख स्वर्ग में उपलब्ध हैं अप्सरायें उनकी सेवा में रहती हैं, देवताओं का यौवन हर समय अक्षुण्ण रहता है तथा समस्त इच्छायें पूर्ण होती हैं, लेकिन पृथ्वी पर रहने वाले सभी मनुष्यों की इच्छायें पूर्ण नहीं हो पाती है वे वे मानसिक रूप से अपनी अधूरी इच्छाओं के जाल में फंसे हते हते हैं। इच. इस पर भगवान शिव ने कहा, कि मनुष्य को यक्षिणी साधना सम्पन्न करना चiner
méthode de méditation
नवरात्रि के पंचमी तिथि 17 अप्रेल शनिशtenir अपने सामने किसी बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर चावलों को लiner
साधना समाप्ति के बाद सम्पूर्ण सामग्री को किसी मंदिर में या गुरू चरणों मेंर्पित करें। यरू चरणों मेंर्पित करें।
Sadhana Lalitamba
Plus d'informations इस एक शक्ति से ही सारी शक्तियों का महाविद्याओं का प्रादुर्भाव हुआ है। नूतन वर्ष के किसी भी रात्रि को भगवती ललिताम्बा साधना, पूजा आराधना सम्पन्न कर साधक अपने जीवन मह महालक्ष्मीयों.
नवरात्रि में की गयी साधना पूजा से पूरे वर्ष साधक का जीवन प्रकाशित, ऊर्जावान रहता है। इन्ही स्थितियों से लक्ष्मीवान की चेतनाओं से आपूरित होता है।। चेतन. साथ ही यश, प्रसिद्धि, उन्नति, कामना पूर्ति की प्राप्ति सम्भव हो पाती है। यह सौभाग्य, सुन्दरता, श्रेष्ठ गृहस्थ जीवन प्रदान करने की महाविद्या है। भगवती ललिताम्बा लक्ष्मी भोग, यश, सम्मान की अधिष्ठात्री देवी है। इनकी साधना से ही जीवन में सभी भौतिक व आध्यात्मिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है है गृहस्थ जीवन को सुचारू रूप से गतिशील रखने के लिये नित्य नूतन वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है। यह सब केवल और केवल भगवती ललिताम्बा पूजन साधना से ही सम्भव है। जिनमें देवी की नव शकtenir
ललिताम्बा साधना मस्तक पर पड़ी दुर्भाग्य की लकीरों को मिटा देने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है जिसेा सम्पन्न कर्वश्रेष्ठ उपाय है, सम्पन्नferci इस महतtenir इस साधना के प्रभाव से शीघ्र ही धनागमन के नये-नये्त्रोत खुलते है व्यापnation में वृद्धि होने है है है. ललिताम्बा साधना से व्यक्ति के जीवन के समस्त पूर्व जन्मकृत पाप दोषों का नाश होकर व्यक्ति्ति सौभाग्यता से्त होताश होकर व्यक्ति.
méthode de méditation
Plus d'informations ाुद्ध धुले हुये लाल वस्त्र Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations या Plus d'informations Plus d'informations
पूर्ण मनोभiner
साधना समाप्ति के बाद नवरात्रि काल में निम्न मंत्र का 11 बार उच्चारण करते रहे। साधना सामग्री को हनुमान जयन्ती चैत्रीय पूर्णिमा 27 अप्रेल को लाल कपडे़ में बांध कर किसी मन्दिर या गुface
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