24 juillet 2022
भगवान शिव ने माता पार्वती को योगिनी साधना के विषय में उपदेश दिय दिया। जब पार्वती ने भगवान शिव से पूछा, कि देवताओं के लिये तो स्वर्ग में सभी प्रकार के सुख उपलब्ध हैं, अप्सराये नित्य उनकी सेवा करती रहती हैं, उन्हें अक्षुण्ण यौवन प्राप्त है और उनकी समस्त प्रकार की इच्छाये पूर्ण होती हैं, जबकि पृथ्वी लोक में रहने वाले मनुष्यों की सभी इच्छाये पूर्ण नहीं हो पाती और वे अपनी अपूर्ण इच्छाओं के जाल में उलझे जन्म-मरण के्र में फंसे हते हैं जन.
अतः आप ऐसा उपाय बतायें, जिससे मनुष्य भी देवताओं के समान तेजस्वी और पराक्रमी बन सकें négation
भगवान शिव ने उत्तर दिया- योगिनी साधना ही एकमात्र ऐसा उपाय है जिसके माध्यम से मनुष्य अपनी समस्त प्रकार की्छाओं को पू__èrefère. योगिनी साधना सम्पन्न करने से भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है। ये योगिनियाँ तत्काल फल देने वाली, समस्त प्रकार की अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाली होती हैं्योंकि.
शिव-पार्वती के इस संवाद से स्पष्ट हो जाता है, कि मानव जीवन में योगिनी साधना का महत्व क्या है? वास्तव में योगिनियाँ अर्द्ध देवियाँ है, देव वर्ग के इतर यक्ष, किन्नर, गंधर्व आदि योनियों के समान ही योगिनियों का महत्व है। योनियों के सम.
योगिनियाँ तो तंत्र साधनाओं की आधारभूत देवियiner Imp
Plus d'informations Plus d'informations et plus ुडौल, पुष्ट दूधिया बदन पर पारद भक्षण और पारद कथ ्पपल्द ाप्त चिरयौवन की अठखेलियों के Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations, plus d'informations Plus d'informations की विलक्षण तीव्रता।
यों तो सौन्दर्य साधनाओं के रूप में अप्सराओं, यक्षिणियों, किन्नरियों आदि के भी साधनाओं के विधान प्राप्त होते हैं और यह भी सत्य है कि वे समस्त प्रकार के भोग प्रदान कर जीवन में आनन्द की वृष्टि करती हैं, परन्तु वे मात्र भोग प्रदान करने में ही समर्थ होती हैं, जबकि योगिनी साधना के फलस्वरूप प्राप्त होती हैं वे सौन्दर्य प्रतिमाये, जो सहयोगिनी ूपlane में्र्य प्टcreveिय .cre
Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations और साधक को खेचरी विद्या (वायु गमन), रस सिद्धि, भूऍगर Plus, plus, plus, plus, plus Plus tard, plus tard Plus d'informations Plus d'informations ी हैं।
अन्य सौन्दर्य साधनाओं की अपेक्षा योगिनी साधना सहजता और तीव्रता से सिद्ध होने वाली व अनुकूल फल प्रदorkन. पूर्ण मनोयोग पूर्वक, श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई साधना में योगिनियों से साक्षात्कार होती ही है। योगिनियों से. इस साधना की प्रखरता व तेजस्विता और इससे प्राप्त होने वाली
असीमित तांत्रिक शक्तियों व सिद्धियों के कारण ही इसे अत्यन्त गोपनीय कर गुरू मुख परम्परा तक सीमित कर दिया गया और सामान्य जनमानस में इसके विषय में अनेक भ्रम और किंवदन्तियां फैला दी गई तथा क्रूरता और वीभत्सता की अनेक कहानियों को इनके साथ जोड़ दिया गया, कि वे अत्यन्त भीषण आकृति वाली होती हैं, उनकी मुख मुद्रा अत्यन्त भयंकर और नेत्र भय्पन्न्न करने वाले होते हैं्र भय उत्पन्न करने वाले होते हैं, वे्यों को को माnerci
जबकि वास Joh दैहिक सौन्दर्य के साथ-साथ आन्तरिक गुणों से भी सम्पन्न ये जिस किसी को भी प्रिया रूप में प्राप्त हो जाती हैं, वह स्वयं में खेचरी विद्या, रस (पारद) सिद्धि, भूगर्भ सिद्धि, वशीकरण, शत्रु स्तम्भन, अदृश्य होने की शक्ति, यौवन और बल की प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति, दिव्य रसों की सिद्धि आदि अनेक्धियों के साथ-साथ प्रखर और तेजस्वी व्यक्तित्व काथ .tien यदि कहा जाये कि योगिनी साधना सम्पन्न किये बिना तंत्र की पूर्णता नहीं पtenir
जीवन में योगिनी साधना की पूर्ण प्रखरता केवल प्रिया रूप में ही सम्पन्न करने पर सम्भव है।। सम्पन्न करने पर सम्भव है। प्रेमिका के रूप में सिद्ध होने पर वे प्रतिपल साधक पर प्रेम और स्नेह की वर्षा करने के साथ-साथ उसका मार्गदर्शन भी करती रहती हैं और साधक की साधनात्मक सहचरी मात्र न हो कर उसके सम्पूर्ण जीवन को गति प्रदान करने में समर्थ होती हैं। परन्तु इस प्रेम में वासना का कोई स्थान नहीं होता, तंत्र अपने आपमें वासना से परे है, क्योंकि वासना अपने आप में एक अधोगामी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से नैतिक और आध्यात्मिक पतन की क्रिया ही प्रारम्भ होती है, जबकि तंत्र तो जीवन की ऊर्ध्वगामी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से शव से शिव बनने की क्रिया सम्भव होती है और जीवन का मूल ध्येय, जीवन पूर्णता प्राप्त होती है है।। की..
Plus d'informations T चलने की धारणा रखता है।
यद्यपि कुछ अनाधिकारी स्वार्थी तांत्रिकों के व्यभिचारों के फलसtenir
तंत्र की पूर्णता को प्राप्त करने के लिये इस प्रकार की साधनाओं में दक्ष होना आवश्यक भी है।।.
तांत्रिक ग्रंथों में कुल चौंसठ प्रकार की योगिनियों का विवरण प्राप्त होता है। यों तो सभी का अपना अलग महत्व है औESV Plus d'informations
1 दिव्ययोगा 2 महायोगा 3 सिद्धयोगा 4 माहेश्वरी 5 कiner
ये सभी योगिनियाँ अपने आप में दिव्य और अलौकिक क्षमताओं से युकtenir स्वयं के प्रयास से असम्भव ही है।
Plus d'informations स्तुत किया जा रहा है-
दिव्य ज्ञान से सुशोभित योगियों के हृदय में निवास करने वाली योगेश्वरी दिव्यं योगा से पूर्ण योग विद्या की य्यं योगा से.. इस योगिनी का सहचर्य प्राप्त करने के उपरान्त ही योग विद्या को पूर्णता से समझर खेचरी विद्या में पूर्णता से समझ..
महायोगेश्वरी, महातेजस्वी, अनेक मायाधारी मान-सम्मान प्रदान करने वाली महायोगा का मैं आह्वान करता हूँ योगिनी महायोगा का स्वरूप अत्यन्त तेजस्वी है और वह अपने साधक को मान-सम्मान से सम्बन्धित अनेक सिद्धियाँ और पूर्ण वैभव देने में समर्थ है। इसे सिद्ध करने पर साधक चतुर्दिक, सम्पूर्ण विश्व में अपनी कीर्ति फैलाने मेंर्थ होता है।। की.
नाद और बिन्दुरूपा, सिद्धि देने वाली, सब कुछ जानने वाली, समस्त विद्याओं की प्रतिमूर्तिरूपा सिद्धयोगा को आहूत आहूतœuvre इस योगिनी को जीवन में उतारने के उपरान्त किसी भी साधना में असफलता का प्रश्न ही नहीं रह जाता, साथ ही साधक त्रिकालदर्शी बनने मेंाथ.
प्राणस Joh योगिनी माहेश्वरी की साधना के फलस्वरूप जीवन की सभी समसtenir
काल स्वरूपिणी, समस्त कलाओं से परे, त्रिकालज्ञ, श्रेष्ठतम कुल में उत्पन्न, कुण्डलिनी स्वरूपा, कैलाश पर्वत को अपनी दिव्यता सेरूप__vi इस योगिनी का आश्रय लेने पर अकाल मृत्यु, किसी गुप्त शत्रु द्वारा किये गए तांत्रिक प्रयोग आदि का निरœuvre
हुंकार रूपिणी, सभी शक्तियों से युक्त, हाकिनीरूपा, समस्त योगमाया से विभूषित, देवी हुंकारी का मैं आह्वान करता हूँ। योगिनी हुंकारी की साधना सिद्धि के उपरान्त साधक अकेला ही अपने सभी शत्रुओं का विनाश करने में समर्थ होता है।।.
सरस्वती स्वरूपा, योग स्वरूपिणी, सर्वमंगलमयी, ध्यानरूपा, ध्यान के द्वारा प्रतीत होने वाली योगिनीxte इस योगिनी के वरदायक प्रभावों से साधक वाक् सिद्धि प्राप्त करने मेंर्थ होता है।
समस्त विश्व का मातृवत पोषण करने वाली, विश्व की स्वामिनी, विश्व की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वiner इस योगिनी की साधना के उपरान्त साधक को भूगर्भ सिद्धि तथा विपुल धन वैभव की प्राप्ति होती है और वह्त भौतिक सुखों्राप्ति्त करने वह्त भौतिक को को प्राप्त करने में opérier होत है को. साथ ही उसके अन्दर की विषय वासनायें समाप्त हो कर ज्ञान की उत्पत्ति होती है। क.
कुबेर के द्वारा संपूजित, श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न, केशर से चर्चित, सभी कलाओं सेर्ण कात्यायनीcre Plus d'informations इसे सिद्ध करने पर साधक का कायाकल्प, कामदेव के समान यौवन व पौरूष तथा असीम बल की प्राप्ति होती है...
समस्त विश्व को वश में करने वाली, सभी को स्तम्भित करने वiner हस्तिनी योगिनी की साधना के फलस्वरूप साधक उच्चाटन, स्तम्भन आदि के साथ-साथ मनुष्य, पशु-पक्षी चराचर विश्व को्मोहित और वशीभूतtine
मंत्र स्वरूप, देव-गन्धर्वो द्वारा सेवित, योगियों के द्वारा पूजित, मंगलमयी, सौन्दर्यमयी योगिनी कiner इस योगिनी के सान Joh
यश प्रदान करने वाली, ज्ञान तथा योग मार्ग में प्रवेश देने वाली, यज्ञ के अंगभूत, योग के आनन्द से सारभूत, चक्र ध__° आह. यह योगिनी योग तथा दिव्य रसों की अनेक सिद्धियां देने में समर्थ और आनन्द प्रदान करने वाली हैं।।.
शम्भुरूपा, सिद्धिमयी, अपने भक्तों को सिद्धि देने वiner इस योगिनी की साधना से कुण्डलिनी जाग्रत होती है और साधक परम पद को प्राप्त करने की ओर अग्रसर होता है।। क.
शंख चक्र तथा गदा धारण करने वiner इस योगिनी की साधना से समस्त विपत्तियों, बाधाओं, शत्रुओं आदि से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त होती है और्ण सु्द पूœuvre
प्रियवादिनी, प्रेम प्रदान करने वाली, खिले कमल के समान, सब ज्ञान एवं योग मार्ग को विकसितरने वाली. इस योगिनी की साधना से साधक पूर्ण कायाकल्प, पौरूष व अतीन्द्रिय क्षमताये प्राप्त करते हुये साधन्मक्मक्ये्णत्णताप्त.
योगेश्वरी, सुदृढ़ देह वाली, वीरता से परिपूfacetience इस योगिनी की साधना के उपरान्त साधक अत्यन्त तेजस्विता प्राप्त करता हुआ अपने्त शत्रुओं काप्त करता हुआ सक्षम होताrop हैœuvre यह षोडश योगिनियाँ और उनका विवेचन, साधक अपनी मनोकूलता के अनुसार किसी भी योगिनी की साधना कर सकता है।
इस साधना को कोई भी व्यक्ति, चाहे वह पुरूष हो या स्त्री, युवा हो या वृद्ध, सम्पन्न कर सकता है।। य. इसके लिये यह आवश्यक नहीं है, कि किसी वृक्ष की मूल में बैठें या तिराहें पर मंत्र जप करें या रात्रि को्मशान में जरें या र के किन्रि को्मशान में जायें या नदी के किन्रे आसन्मशान। ज. यह पूर्णतः सौम्य साधना है और इसे अपने पूजा कक्ष में बैठ कर सरलता से समtenir
1- इस साधना में षोडश योगिनी विग्रह व योगिनी माला की आवश्यकता पड़ती है जो जो तंत्र के अनुसार मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित्ठित हों्र सिद्ध एवं्राण प्रतिष्ठित हों।।।.
2 इस साधना को योगिनी एकादशी 24 जून या किसी भी माह के शुक्रवार से प्रœuvreZम्भ किया जा सकता है। 11
3 रात्रि में 9 बजे के बाद स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण कर, काले आसन .ve
4 सामने लकड़ी के बाजोट पर पीला रेशमी वस्त्र बिछा कर उस पर गुलाब के Dieu के आसन.
5 मानसिक गुरू पूजन कर गुरू मंत्र की 4 माला जप कface
6 फिर हाथ में जल लेकर के प्रथम दिन संकल्प करें, नित्य संकल्प लेने की आवश्यकता नहीं है- मैं अमुक गोत्र में उत्पन्न अमुक नाम का व्यक्ति, अमुक पिता का पुत्र अपने आध्यात्मिक एवं भौतिक जीवन में षोड़श योगिनियों का साहचर्य प्राप्त करने हेतु इस षोड़श योगिनी साधना को सम्पन्न कर रहा हूँ, मुझे इस साधना में पूर्ण सफलता प्राप्त हो हो जिससे मैं स साधनाओं में्रता के साथ आगे मैं कर सफलताओं्राप्त्त.
7 विग्रह के समकtenir Plus d'informations
8 अब नीचे दिये गये पtenir
जल भूमि पर छोड़ दें और विग्रह पर अपना दाहिना हiner
फिर योगिनी माला से पहले मूल षोड़श योगिनी मंत्र की एक माला मंत्र जप करें, फिर क्रमानुसार षोड़श योगिनियों के विशिषtenir प्रत्येक योगिनी मंत्र की एक माला मंत्र जप करने से पूर्व तथा बiner-में में मूल योगिनी मंत्र की 1 माला मंत्र जप करें, फिर दिव्य. फूल मंत्र की एक माला मंत्र जप करें। इसी प्रकार प्रत्येक योगिनी से सम्बन्धित मंत्र का जप करना है। Tous les 11 jours
Plus d'informations Plus d'informations बारहवें दिन काले वस्त्र सहित विग्रह और माला को नदी में प्रवाहित कर दें। साधना काल में कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है- इस साधना को रात्रि में ही सम्पन्न करें।।।।।।।।।।।।।।। इन 11 दिनों में यथासम्भव कम से कम बोलने का प्रयास करें, मौन सर्वोत्तम है।
मात्र गुरू चिन्तन, इष्ट चिन्तन और इस साधना विशेष से सम्बन्धित चिन्तन में ही व्यतीत करें। चिन्तन में समय व्यतीत करें। ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।
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