Plus tard, plus tard Plus d'informations अलग नाम से हो अलग रूप में हो Plus d'informations Plus tard, plus tard, plus tard ही समाप्त हो जायेगा।
La vie a deux côtés - spirituel et matériel
आध्यात्मिक जीवन का आधार भी लक्ष्मी ही है, क्योंकि अध्यात्म जीवित रहेगा तो मनुष्यता भी जीवित हेगी रहेगी।। जीवित. इसके मूल में लक्ष्मी ही तो है।
ठीक इसी प्रकार से सम्पूर्ण भौतिक सम्पदा की अधिषxteM यह अलग बात है, कि आज विश्व में अधिकांश व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से घिरे हैं, जिनके पास भौतिक जीवन में उपयोग आने वाली वस्तुओं का अभाव ही रहता है, पर इसका कारण क्या है, मनुष्य को अपनी अज्ञानता त्याग कर इसके मूल में जाना ही पड़ेगा ।
यह बात तो निर्विवाद सत्य है कि मात्र पœuvreère एक कार्यशील व्यक्ति दिन भर परिश्रम कर शiner धन की प्राप्ति तो दैवी-कृपा या भगवती महालक्ष्मी की साधना से ही पूर्णतया सम्भव है।
परन्तु जो व्यक्ति अहंकार से ग्रसित है, जो व्यक्ति नास्तिक है जो व्यकtenir उनके जीवन में सब कुछ होते हुये भी कुछ नहीं होता, निर्धनता उनके चारों ओर मंडराती रहती है, जीवन की समस्याये उनके सामने मुँह उठाये खड़ी ercin यह ध्रुव सत्य है कि वह अपने जीवन में उस आननtenir
कुछ व्यक्ति जो जीवन में धन सम्पदा से युक्त होते हैर और वे ये समझ बैठें कि लक्ष्मी तो उनके पास आनी ही बैठें कि लक्ष्मी तो उनके प. यह लक्ष्मी तो निश्चय ही उनके द्वारा पूर्व जन्म में किये गये साधना और सुकृत कार्यों से ही प्राप्त. साधना वह क्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य देवतiner
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हे मनुष्य! Imp
प्रत्येक व्यक्ति वह चiner जो व्यक्ति इस कटु सत्य को समझ लेता है, जो इस बात को समझ लेता है, कि जीवन का आधारभूत सत्य भौतिक सम्पदा के माध्यम से ही जीवन में पूर्णता और निश्चिन्तता आ सकती है, वह लक्ष्मी की आराधना, लक्ष्मी की अर्चना और लक्ष्मी की कृपा का अभिलाषी जरूर होता है।
कुंकुम, अक्षत से पूजा आरती उतारना ये तो पूजा के प्रकार हैं। साधना तो इससे बहुत ऊँचाई पर है, जहाँ मंत्र जप के माध्यम से हम देवताओं को भी इस बात के लिये विवश कर देते हैं हैं कि वे अपनी सम्पू__èref. परेशानिया है, जो अड़चने हैं, जो बाधाये है उन्हें दूर करे, जिससे उसका जीवन ज्यादा सुखमय, ज्यादा मधुर, ज्यादा आन्नददायक हो सके।।.
इसमें कोई दो राय नही है, कि जीवन में महाकाली और सरस्वती की साधना भी जरूरी है, क्योंकि भगवती काली की साधना से जहाँ जीवन निष्कंटक और शत्रु रहित बनता है, वहीं महा सरस्वती साधना के माध्यम से उसे बोलने की शक्ति प्राप्त होती है, उसका व्यक्तित्व निखरता है, वह समाज में सम्माननीय और पूजनीय बनता है। -
Plus d'informations गुणज्ञः।
et plus encore
जिसके पास लक्षtenir का प्रयत्न करते है।
जिसके पास लक्षtenir
भृर्तहरी ऋषि कह रहे हैं- 'सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ते ये सब गुण मनुष्य के नहीं हैं हैं, ये तो लक्ष्मी्मी्त्त.
Plus d'informations आवश्यक है?
हमारे जीवन में अन्न की नितांत आवश्यकता है, जल की नितांत आवश्यकता है, प्राणवायु लेने की नितांत आवश्यकता है, किन्तु केवल इन तीनों से मनुष्य जीवन सुमधुर नहीं बन सकता है, जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिये लक्ष्मी की साधना भी नितांत आवश्यक है। जो इस सत्य को नहीं समझ सकते, वे जीवन में कुछ भी नहीं समझ सकते सकते। जो व्यक्ति जितना जल्दी इस तथ्य को समझ लेता है, वह इस बात को समझ लेता है कि जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिये लक्ष्मी की आराधना, लक्ष्मी का सहयोग आवश्यक है और ऐसा ही व्यक्ति जीवन में सही अर्थों में पूर्णता की ओर अग्रसर हो सकता है। T गरीब हो कोई भी लक्ष्मी की साधना से ही जीवन में पूर्णता, सौभाग्य, सुख और सम्पन्नता प्राप्त कर सकता है।।.
चाहे हम रूद्र की साधना करे और चाहे हम ब्रह्मा की साधना करें, चाहे हम इन्द्र, मरूद्गण, यम और कुबेर की साधना करे, किन्तु वैभव और धन की अधिष्ठात्री देवी तो भगवती लक्ष्मी ही है, मात्र लक्ष्मी की साधना के माध्यम से ही व्यक्ति अपने T है, मंदिर, धर्मशाला, तालाब, अस्पताल का निर्माण कर सकता है और समाज सेवा के माध्यम से हजारों-लाखों लोगों का कल्याध्यम सेर हैœuvre भगवती लक्ष्मी की साधना से जहां व्यक्ति स्वयं अपने जीवन को श्रेष्ठ बनiner
साधना प्रारम्भ करने से पूर्व भगवती लक्ष्मी से सम्बनtenir
महालक्ष्मी की साधना, मंत्र-जप अथवा अनुष्ठान को 24-10-2022 अथवा किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के बुधव्र सेœuvre
साधना प्रारम्भ करने से पूर्व यदि व्यक्ति कुबेर धनदा ऐश्वर्य हिरण्यमयी लक्ष्मीf.
Plus d'informations अवश्य करें।
किसी भी प्रकार की भगवती महालक्ष्मी से सम्बन्धित साधना सम्पन्न करने के लिये ऐश्वर्य महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करने और उसके सामने साधना, उपासना या अनुष्ठान सम्पन्न करने से निश्चय ही सफलता प्राप्त होती है, क्योंकि यह यंत्र अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है, इसमें सहस्त्र लक्ष्मियों की स्थापना और कीलन होता है, जिससे की साधक के घर में Dieu यहां दिये तीन प्रयोगों की सामग्रीयां इसी पद्धति से निर्मित हैं।
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इस पtenir
Sadhana Vidhan
स्नान आदि नित्य कtenir अब अपने सामने लकड़ी के बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर नौ ढेरियां बनाये जो नौ निधियों की प्रतीक है।। बन. मध्य ढेरी पर अर्थात किसी भी तरफ से गिनने पर पांचवी ढेरी पर एक पात्र रख उसमें ऐश्वर्य महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करे और बाजोट के दूसरी ओर नौ चावलों की ढे़रियाँ जमीन पर बनायें और उन पर तेल के नौ दीपक लगाये, दीपक की लौ साधक की ओर होनी चाहिये।
Sanctification
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इस मंत्र को पढ़कर अपने ऊपर तथा सभी पूजन सामग्री पर पंचपात्र में रखा हुआ जल छिड़कर पवित्र कर लें।
Aachaman
केशवाय नमः। ॐ नारायणाय नमः। ॐ माधवाय नमः।
Ensuite, lavez-vous les mains.
Sankalp - Le chercheur doit prendre une résolution en prenant de l'eau dans sa main droite.
ॐ विष्णु र्विष्णु र्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरूषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य श्री ब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे अष्टाविंशति कलियुगे जम्बूदीपे भारतवर्षे(अपना गांव, जिला का नाम उच्चारण करे) संवत् 2079 कार्तिक मासि दीपावली समये कृष्ण पक्षे अमुकतिथौ (तिथी का उच्चारण करे) अमुक बासरे (वार का उच्चारण करे), निखिल गोत्रोत Joh (जल भूमि पर छोड़ दें)
Sadhak devrait accomplir une brève adoration de Ganesha et Guru -
Avec akshat, kumkum, fleurs à la main-
(5 बार उच्चारण करें और सिद्धि चक्र के ऊपर अर्पित करें) हiner
(5 बार उच्चारण करे और सिद्धि चक्र के ऊपर अर्पित करें) इसके पश्चात् साधक संक्षिप्त्तf. अब साधक ऐश्वर्य लक्ष्मी माला से निम्न मंत्र की 11 माला मंत्र जप 9 दिनों नित्य सम्पनtenir
Plus d'informations रती सम्पन्न करे।
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यत्पूजितं मया देवी ! परिपूर्णं तदस्तु मे।।
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साधना समाप्ति उपरांत यंत्र को पूजा स्थान में स्थापित कर दें, नित्य दीपक, अगरबत्ती व मंत्र जप .ve Plus d'informations साधना काल में शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करें एवं भूमि शयन करें।
इस साधना में सफलता से साधक के जीवन में धन धन, यश, मान, पद, प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य प्राप्त कर जीवन पूर्णता प्य प्राप्त कर जीवन पूर्णता पपcref है।।. वास्तव में यह साधना अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण और शीघ्र फलदायक है।