मनुष्य का शरीर अपने आप में सृष्टि के सारे क्रम को समेटे हुये है।। इस क्रम के सुदृढ़ता पर ही मनुष्य जीवन की गति निर्धारित होती है। यदि इस क्रम में कोई न्यूनता आती है तो मनुष्य की आनtenir इससे मानसिक शक्ति, इच्छा की हानि होती है है व्यक्ति की सोचने सोचने की क्षमता क्षीण होती है यह सब सोचने सू की्षमता क्षीण होती है यह सब दोष सूर्य तत्व के ज जाग्muni नœuvre
जिस वtenir सूर्य प्रधान व्यक्ति सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुँचता है। सूर्य उपासना से उनकी अनन्त शक्ति से सामंजस्य बन जiner
इस सूर्य ग्रहण के शुभ अवसर पर सदtenir Imp सूर्य की अनन्त शक्तियों द्वारा भौतिक जीवन की सभी उपलब्धियों की प्राप्ति सरलता से होती ही है है। प.
प्रत्येक दीकtenir सूर्य तेजस्विता मनोकामना पूर्ति दीक्षा ग्रहण करने से जीवन में अभूतपूर्व उत्साह, जोश करने से प में अभूतपूर्व उत्साह, जोश उमंग्मोहन. उसके अन्दर अडिगता तथा दृढ़ संकल्प जैसे गुणों का समावेश होने लगता है, वह रोगो से मुक्त हो जाता है और एक्वितीय तेजस्विता साधक की देह में समœuvre