प्रायः सभी ग्रह मानव जीवन को अपनी सामर्थ्य अनुसार प्रभावित करते हैं। लेकिन कोई एक गtenir
यह बात न केवल सिद्ध हो चुकी है, कि सम्पूर्ण जगत कुछ विशेष नियमो नियमो से बंध. वाली प्रत्येक वस्तु के साथ जो आकर्षण-विकर्षण ग्रहों के प्रभाव से बनता है, उसकेरिणाम से कोई भी नहीं से सकत.
वर्तमान जीवन में क्यों समसtenir बुद्धि तो बढ़ती जा रही है, फिर भी समस्यायें सुलझने के बजाय उलझती ही जाती है। Plus d'informations
और इन्हीं सब विषमताओं को समाप्त करने हेतु काल भैरव ही एकमात्र उपाय बचते हैं यह वह शक्ति है. T तीव्र वाममार्गी, योगिनी, चण्ड, क्रोध, रूरू, काल के आदि देव काल मुक्ति काल भैरव है।
भैरव शिव के अंश हैं और उनका स्वरूप चार भुजा, खड्ग, नरमुण्ड, खप्पर और त्रिशूल धारण किये हुये गले में शिव के समान मुण्ड माला, रूद्राक्ष माला, सर्पों की माला, शरीर पर भस्म, व्याघ्र चर्म धारण किये हुये, मस्तक पर सिन्दूर का त्रिपुण्ड, ऐसा ही प्रबल स्वरूप है, जो कि अपने भक्तों, साधकों के हर प्रकार के संकट दूर कर, उन्हें अपने्रकœuvre
जीवन को जो अपनी इच्छा अनुसार जीने, अपने प्रराक्रम से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, अपने उत्साह से शत्रुओं पर वज्र की तरह प्रहार करने की चेतना को पूर्णता से आत्मसात करना चाहते हैं, उन्हें नव ग्रह दोष नाशक कालमुक्ति काल भैरव दीक्षा अवश्य ही ग्रहण करनी चाहिये, जिससे जीवन में निरन्तर उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो हो आप बलबूते बलबूते अपनी्रेष्ठता स्थापित कर सकें स बलबूते अपनी ही्रेष्ठता स्न. Tras इस शक्ति के माध्यम से जीवन की प्रत्येक स्थिति पर साधक का नियंत्रण होता है, उसके जीवन की बागडोर स्वयं उसके ह.