सुर-समुदाय पार्वतीवल्लभ शिव के समीप पहुँचकर उनकी स्तुति करने लगा। वृषभध्वज प्रसन्न हुये और उन्होंने देवताओं से कहा-'अभीष्ट वर' माँगो। देवताओं की ओर से बृहस्पति ने निवेदन किया -'करूणामूर्ति प्रभो! देवशतtenir उन सुरद्रोही दानवों के कर्म में विघ्न उपस्थित हुआ करे, हमारी यही कामना है। '
'तथास्तु!, कहकर परम संतुष्ट वरद आशुतोष ने सुर-समुदाय को आश्वस्त किया। कुछ ही समय के पश्चात् सर्वलोकमहेश्वर शिव की सती पतtenir Plus d'informations Plus d'informations
सर्व विघ्नेश मोदक-प्रिय के धरती पर अवतरित होते ही देवतiner गजमुख अपने कृपाविग्रह माता-पिता के सम्मुख आन्नदमग्न होकर नृत्य करने लगे।
त्रैलोक्यतारिणी दयामयी हिमगिरिनन्दिनी पार्वती ने अपने समस्त मंगलiner देवाधिदेव महादेव ने प्रसन्नतापूर्वक अपने प्रœuvrevicité फिर सर्वदुरितापहारी कल्याणमूर्ति शिव ने अपने पुत्र से कहा- 'मेरे पुत्र गणेश! यह तुम्हारा अवतार दैत्यों का नाश करने तथा देवता, ब्राह्मण एवं ब्रह्मवादियों का उपकार करने के लिये हुआ है है। देखो, यदि पृथ्वी पर कोई दक्षिणाहीन यज्ञ करे तो तुम स्वर्ग के मार्ग में स्थित हो ऐसे यज्ञकर्ता को्वर्ग में्थित हो ऐसे.
'जो इस जगत् में अनुचित ढंग से अन्यायपूर्वक अध्ययन, अध्यापन, व्याख्यान और दूसरा कार्य करता हो, उसके्राणो को तुम सदाerci हीरत. प्रभो ! वर्णधर्म से च्युत सtenir
' ! जो स्त्री पुरूष ठीक समय पर तुम्हारी पूजा करते हो, उनको तुम अपनी समता प्रदान करो। हे बाल गणेश्वर! तुम पूजित होकर अपने युवा एवं वृद्ध भक्तों को भी सब प्रकार से इस लोक में तथा परलोक में क रक्षा करना। तुम गणों के स्वामी होने के कारण तीनों लोकों में तथा सर्वत्र ही पूज्य एवं वन्दनीय होओगे, इसमें संदेह नहीं नहीं। पूज. जो लोग मेरी, भगवान विष्णु की अथवा ब्रह्माजी की भी यज्ञो अथवा ब्राह्मणों के माध्यम से पूजा करते है उन सबके द्वार्यम से पूज.
'जो तुमtenir बtenir जो लोग या मनुष्य तुझ विनायक की पूजा करेंगे, वे निश्चय ही इन्द्रादि देवताओं द्वारा भी पूजित होंगे होंगे। '
सर्वोत्मा प्रभु शिव का आशीर्वाद प्राप्तकर भगवiner Plus d'informations Plus d'informations
1- Expérience Uchchhishta Ganapati
वाद विवाद, मुकदमा, लड़ाई, शत्रु बाधा शान्ति, भय नाश जुये में जीत इत्यादि कार्यो के उच्छिष्ट्ट गणपति की साधनाधन.
appropriation
ऊँ असtenir
इस प्रकार संकल्प लेकर चार भुजा वाले, रक्त वर्ण, तीन नेत्र, कमल दल पर विराजमान, दाहिने हाथ में पाश एवर दनरœuvre
आठ सुपारी लेकर उसे मातृकाओं स्वरूप में -ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, इन्द्राणी, चामुण्डा एवं लक्ष्मी।।।. Plus d'informations
पूजन सtenir Plus d'informations तत्पश्चात् निम्न उच्छिष्ट गणपति मंत्र का नित्य 11 बार जप ग्यारह दिन तकरना चाहिये।
मन्त्र अनुष्ठान के पश्चात् साधक को हवन अवश्य करना चiner
T
appropriation
Plus d'informations ः अनुष्टुप छन्द
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anganas
OM HUM GAM GLAU COEUR.
O Seigneur du Haridra Gana, à la tête.
Varavarada shikhaayai vashaat.
Je suis le bouclier du cœur de tous les peuples.
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SvahaAstraya Phat.
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हरिद्रखण Joh
अर्थात् दाहिने हiner
méthode de méditation
पूजा स्थान में अपने पास रखे हुये सद्गुरू चित्र को सामने रखे साथ ही एक तांबे की प्लेट अथवा कटोरी में हरिद्रा गणपति स l'amour उसी सिन्दूर से अपने ललाट के मध्य तिलक लगाये तत्पश्चात् यह विशिष्ट मंत्र नित्य 15 मिनट 7 दिवस तक जपें।।.
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