परन्तु भगवान शिव तो प्रेम और शान्ति के अथाह समुद्र एवं पूर्ण योगी है है जो उनकी पूजा, अर्चना, साधना करता है व भी आनन्द स्वरूप बन जाता हैं। जीवन में शिव-शक्तिमय चेतना से आपूरित होने पर शारीरिक, मानसिक न्यूनता आदि का पूर्णरूपेण शमन होता है।।।।।. शिव साधना से दिव्य चेतना, तेज, ऊर्जा का संचार निरन्तर बना रहता है, जिसके माध्यम से वे निœuvre
श्रावण का महीना भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है, शिव पुराण में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि श्रावण का पहला सोमवार योगी स्वरूप गृहस्थों के सौभाग्य का द्वार खट-खटाता है और जो इस द्वार को खोल देता है या दूसरे शब्दों में कहूं कि श्रावण महीने में विशिष्ट शिव साधना सम्पन्न कर लेता है, उसके कर्म में लिखा हुआ दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है, यदि उसके जीवन में दरिद्रता लिखी हुई भी है, तब भी भगवान शिव की पूजा, साधना उस दरिद्रता को मिटा कर सम्पन्नता देता है, यदि जीवन में कर्जा है, व्यापार बाधायें है, आर्थिक न्यूनता है, तो भगवान शिव की पूजा, साधना से अपनी....
श्रावण मास पंच सोमवार पूरा माह भगवान शिव से समtenir जो गृहस्थ जीवन की विषम परिस्थितियों का शमन कर आनन्द, भोग, विलास युक्त जीवन्रदान करते हैं।
शिव अनादि एवं अनश्वर हैं, संहार उनकी सहज क्रीडा मानी गई है। Plus d'informations काल के भी काल महाकाल अपने शरणागत भक्तों को यमराज के पाश से्त करने में समर्थ हैं।। से्त करने में.. ये अल्पायु को दीर्घायु बनाते हैं, रोगी को निरोगी काया प्रदान करते हैं। भगवान शिव अपने इन्हीं अपूर्व गुणों के कारण मृत्युंजय कहलाते हैं।।
उपनिषदों की व्याख्या के आधार पर जीवन में आनंद प्रœuvreviciति. महामृत्युंजय शिव षड़भुजा धारी हैं जिनके जिनके चार भुजाओं में अमृत कलश है अर्थात् वे अमृत से स्नान करते हैं अमृत का ही प प करते हैं क.
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शिव के त्रिनेत्र सूर्य, चन्द्र एवं अग्नि के पtenir त्रयंबकं शिव के प्रति साधना, पूजा, आराधना, अभिषेक आदि कर्मों से सम्बन्ध जोड़ते हुये स्वयं को समर्पित करने की्रक्रिया यज को समर्पित करने की्रक्रिया यज यज है. जीवनदायी तत्वों को अपना सुगंधमय स्वरूप देकर संकट में रक्षा करने वाले शिव सुगंधिम् पद से विभूषित हैं हैं। पोषण एवं लक्ष्मी की अभिवृद्धि करने वाले शिव पुष्टिवर्धनम हैं।।। व. रोग एवं अकाल मृत्यु रूपी बन्धनों से मुक्ति प्रदान करने वाले मृत्युंजय उर्वारुकमिव बंधनान हैं। तीन प्रकार की मृतtenir
méthode simple
Plus d'informations माथे पर चंदन का तिलक लगाकर, मंत्र सिद्ध महामृत्युंजय रुद्राक्ष की माला, नर्मदेश्वर शिवलिंग और शिव चित्र के सम्मुख आसन .ère शरीर शुद्धि कर संकल्प लें, तत्पश्चात् जप प्रारoration का करें-
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मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाले ग्रहों से सम्बन्धित दोषों का निवारण महामृत्युंजय मंत्र कीराधना से संभव है।।. काल सम्बन्धी गणनायें ज्योतिष का आधार हैं तथा शिव स्वयं महाकाल हैं। अतः विपरीत कालखण्ड की गति महामृत्युंजय साधना द्वारा नियंत्रित की जा सकती है। जन्म पत्रिका में कालसfacenie इसके अलावा विषघटी, विषकन्या, गंडमूल एवं नाड़ी दोष आदि अनेक दोषों के प्रभाव को क्षीण करने की क्षमता इस मंत्र में है।।.
divers avantages du chant de mantra
Mantra : ।। Om Hraun Jum Sah.
लाभः अशक्त अवस्था में इस मंत्र के जाप से ोगों का निवारण होता है और व्यक्ति हष्ट-पुष्ट बनता है।.
Mantra : ।। Om Vm Jum Sah.
Plus d'informations ार से मुक्ति मिलती है।
मंत्रः ।। ॐ जूं सः पालय पालय सः जूं ॐ ।।
Plus d'informations ृत्ति होती है।
Le mantra Triambaka Mrityunjaya
।। त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम उर्वारूकमिव बंधनiner
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।।ॐ त्रयम्बकम् यजामहे सुगन्धिम पतिवेदनम् उर्वारूकमिव बंधनiner
लाभः जिन कन्याओं का विवाह न हो रहा हो या पति से विवाद होता हो, तो मंत्र का जाप करना लाभप्रद है। ।क.
Mantra Lom Vilom Mrityunjaya. Om Jum Sah Sah Jum Om ।।
लाभः अत्यन्त प्रभावशाली मंत्र मानसिक विकार, तनाव, क्रोध, बेचैनी एवं्रेशन आदि के निवारण हेतु है।
शिव का अभिषेक रोगों के निवारण के लिये रूद्राभिषेक का विशेष महत्त्व आदि काल से ही प्रचलित है, अनेक विशेष प्रœuvrevicité भी शिव अभिषेक.
Plus d'informations ुग्ध से अभिषेक करने का विधान है।
ज्वर, मोतीझरा आदि बीमारियों में मठ्ठे से अभिषेक करना लाभदायक होतiner
शत्रु द्वारा अभिचार, मलिन क्रिया किया गया प्रतीत हो तो सरसों के तेल से अभिषेकरना उत्तम है।
आम, गन्ना, मौसम्मी, संतरे, नारियल आदि पफ़लों के रसों के मिश्रण से या अलग-अलग रस से भी अभिषेक का विधान है।।। अलग स स भी अभिषेक क. अभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।
श्रेष्ठ स्वास्थ्य के लिये कच्चे दूध के साथ गिलोय की आहूति मंत्र उचœuvre इसके बाद दूब, बरगद के पत्ते अथवा जटा, जपापुष्प, कनेर के पुष्प, बिल्व पत्र, काली अपराजिता के्प इनके सœuvre
कtenir मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए द्रोण और कनेर पुष्पों का हवन करें।
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