यह दिवस विजय दिवस है और श्रीराम युद्ध क्षेत्र में वiner रावण के विनाश का उपाय बताता हूँ, इसके लिए आप श्रदtenir ऐसा करने से सभी कामनाएं पूरी होती है। देवी को पवित्र वस्तुएं अर्पण कर जप का दशांश हवन करके आप शक्ति सम्पन्न हो जाएंगे। सबसे पहले भगवान विष्णु ने यह अनुष्ठान किया था, फिर शंकर जी ने और ब्रह्मा जी ने किया। उनके बाद इन्द्र ने इस अनुष्ठान का पालन किया तथा कश्यप भी इसे कर चुके हैं। जब देव गुरू बृहस्पति की भार्या को चन्दtenir अतःहेराजेन्द्र! Plus d'informations वृत्रासुर का वध करने के लिए इन्द्र ने और त्रिपुरासुर के नाशार्थ भगवान शंकर ने इस उतtenir मधु दैत्य के वध के लिए भगवान विष्णु ने सुमेरू पर्वत के शिखर पर इस अनुष्ठान का पालन किया था। अतएव हे महामते ! आप भी पूर्ण तत्परता के साथ यही अनुष्ठान कीजिये और आप की इस सफलता के कारण विजया दशमी पर्व महासिद्धि पर्व, विजय opé.
वहीं अपराजय होने का तiner व्यक्ति विजय प्राप्त कर ले, उसके पtenir इस पtenir विजयदशमी को प्रत्येक कार्य के लिये अनुकूल दिवस माना जाता हैं। उस दिन पtenir अब तक यह अनुभव रहा है कि जब भी सिद्ध मुहूर्त में कोई कार्य सम्पन्न किया जाता है तो उसक.
विजया दशमी के दिन अस्त्र, शस्त्र, व्यापारिक बन्धु इस दिन अपने कलम, दवात की पूजा करें, बालक अपनी्तकों कात करें, स्त्रियां अपने स्वर्ण. पूजा चाहे सूक्ष्म रूप से करें अथवा वृहद् रूप में, लेकिन विजया दशमी जैसे मुहूर्त के दिन्ति साधना अवश्य हीरना चाहिए।।.
विजय दशमी के चैतन्य दिवय पर अपराजिता शक्ति पुरूषोत्तम विजय श्री दीक्षा ग्रहण करने से साधक जीवन में Dieu जिससे वह अभाव, असफलता, पराजय, रावणी रूपी आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त कर मर्यादा पुरूषोत्तम मय षोड़श कला युक्त चेतना से आप्लावित होता है, साथ ही भौतिक जीवन में सभी सुखों का पूर्णता से उपभोग कर पाता है और उसके जीवन में आनन्द, प्रसन्नता, वृद्धि का भाव बना रहता है।
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