इसी पtenir साधारण समय में किया गया एक लाख जप, सूर्य ग्रहण के समय किये गये कुल मंत्र जप केराबर होता है। अर्थात् ग्रहण के समय किया गया मंत्र जप साधारण समय में किये गये मंत्र जप से कई गुनारण समय्रभावी होता है। से कई गुना अधिक प्रभावी होता है। इस तरह कोई भी साधना यदि ग्रहण काल में सम्पन्न की जाये, तो उसका शतगुना फल साधक को पtenir
Plus d'informations उधर कौरवों की सेना सुसज्जित हो चुकी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, कौरव सभी अपने अपने रथों पर आरूढ़ थे। इस ओर पाण्डवों की सेना तैयार खड़ी थी कि कब युद्ध का बिगुल बजे और युद्ध प्रारम्भ हो। पाण्डवों ने श्रीकृष्ण से युद्ध को प्रारम्भ करने की स्वीकृति मiner कृष्ण ने कहा यदि अभी युद्ध आरम्भ हो गयiner कृष्ण ग्रहण के इन सिद्ध क्षणों को समझ रहे थे और निश्चित समय पर जब पाण्डवों ने युद्ध प्रारम्भ किया तो इतिहास साक्षी है, कि एक-एक कर सारे कौरव काल के गर्त में समाते चले गये और पाण्डवों को कुछ भी नहीं हुआ, विजयश्री पाण्डवों के हाथ लगी। ग्रहण के समय ही तपस्यांश को, दीक्षा या साधनात्मक प्रवाह को पूरी तरह ग्रहण किया जा सकता है।.
ऐसा स्वर्णिम ग्रहण-संयोग जीवन में- धन, पद, प्रत , , , , , , Plus d'informations, plus d'informations Plus d'informations ूर्य ग्रहण पर्व पर की गई साधना कभी निष्फल नहीं होती है।
इस वर्ष की पूर्णता पर पूर्ण चैतन्य सूर्य ग्रहण मार्गशीर्ष अमiner ऐसे श्रेष्ठ सूर्य ग्रहण के अवसर पर जीवन आरोग्यमय दीर्घायु, सुसंस्कारमय पुत्र-पुत्रियां, व्यापार-नौकरी, धन लक्ष्मी वृद्धि युक्त निरन्तर सुस्थितियों का विस्तार हो सके इसी हेतु मार्गशीर्ष मास जो कि सर्वश्रेष्ठ रूप में राम जानकी विवाह महोत्सव के रूप में सम्पन्न किया जाता है । ऐसे मास में सांसारिक गृहस्थ साधक जीवन को पुरूषोत्तममय शक्तियों से युक्त करने हेतु पूर्ण जाज्वल्यमान चेतना शक्ति युक्त सूर्यग्रहण महापर्व पर सुस्थितियों की प्राप्ति के लिये तांत्रोक्त तीक्ष्ण महाकाली छिन्नमस्ता पिताम्बरा युक्त त्रिशक्ति साधना, रवि तेजस साधना, सूर्य ग्रहण तेजस्वी तारा साधना सम्पन्न करने से जीवन को सूर्य स्वरूप जाज्वल्वल्यमान बनाने की सुस्थितियों का विस्तार हो सकेगा।
जीवन के इन्हीं कामनाओं को मूर्त रूप देने का यह अवसर होता है, इसी हेतु सांसारिक जीवन को सर्व सुखमय बनाने की्ट सारिक जीवन पर्व.
तांत्रोक्त तीक्षtenir अत्यन्त भयंकर बाधाओं से, दुर्गति पूर्ण स्थितीयों से, मारण प्रयोग जैसे प्राण की आशंका से और सांसारिक दुःख कष्œuvre इस साधना को सम्पन्न करने के उपरान्त कितने भी भयंकर विषम स्थितियां क्यों ना हो उसका हल्य निकलत्थितियां क्यों न. सूर्य ग्रहण के समय में इस साधना को सम्पन्न करने से सौ गुना फल प्राप्ति होती है।। सौ. शक्ति-क्षमता स्वरूप में महाकाली, अज्ञान-तमस-बाधाओं को पूर्ण विनाश करने हेतु छिन्नमसाता और परम वैष्णवी, ब्रह्म शक्ति्ष्मी्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप्भप.
ग्रहण काल में इस साधना को निम्नलिखित बाधाओं के निवारण के लिये सम्पन्न करें।
॰ यदि वtenir
रोगों से छुटकारा नहीं मिल पा रहा हो।
॰ यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश विरोधी हो जाये और उससे हानि होने की आशंका हो, तो निस्तेज और परास्त करने के लिये लिये। निस्तेज और परास्त करने के लिये लिये।।.
॰ कोर्ट कचहरी हेतु, प्रेत पिशाच, शत्रु बाधा, ऋण बाधा, टोना टोटका, जमीन-जायदाद, राज बाधा, पारिवारिक कलह कलहाद
इस साधना के लिये आवश्यक सामग्री है- त्रिशक्ति यंत्र, साफल्य माला, तांत्रोक्त श्री फल। ग्रहण समय से पूर्व लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन में साधक पूर्वाभिमुख होकर बैंठे। अपने सामने लकड़ी के बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा दें और लाल पुष्प की पंखुडि़यों पर यंत्र को स्थापित करें। पंखुडि़यों. Plus d'informations अगरबत्ती दीपक जलायें। सर्व प्रथम पवित्रीकरण व गणपती स्मरण कर संकल्प ग्रहण करें। Plus d'informations Plus de 1 5 पुष्प, अक्षत, चंदन, कुंकुम, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से यंत्र की पूजा करें। यंत्र के दाहिनी ओर कुंकुम से रंगे चावलों की एक ढे़री बनाकर उस पर मंत्र सिद्ध श्री फल स्थापित करें व्न मंत्र कœuvre
कुंकुंम और पुष्प से पूजन करें। Plus de 3 fois plus de temps
मंत्र जप के पश्चात् समस्त सामग्री को बाजोट पर बिछे लiner
सूर्य ग्रहणकाल में उक्त साधना सम्पन्न कर दीक्षा आत्मसात् करने से निशिtenir
Plus d'informations -
आकर्षक दिखना, सम्मोहन युक्त, तेजस्वी व्यक Joh
Plus d'informations
, Plus d'informations
Plus d'informations Plus d'informations
Plus d'informations
ऊपर जितने भी बिन्दु स्पष्ट किये हैं, वे ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य में निहित हैं हैं अतः जो कोई व्यक्ति विlan तेजस स हैं सम्पन्न्न्न.
स्वामी खरपरानन्द भारती जी ने तो यहiner अतः यह साधना अति लाभकारी है एवं हर व्यक्ति को यह सम्पन्न करना ही चाहिये। Plus d'informations
साधक लाल वस्त्र धारण करें, लाल आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठें notre औœuvre यंत्र का पंचोपचार पूजन करें तथा रवि तेजस माला से निम्न मंत्र की 5 माला मंत्र जप करें-
साधना समाप्ति के बाद यंत्र व माला को किसी जलाशय अथवा मन्दिर मेंर्पित कर दें। ऐसा करने से साधना सिद्ध होती है।
धन प्राप्ति की इच्छा रखना और धन प्रœuvrevicité
धन की साधना हेतु दस महाविद्याओं में तारा साधना सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है और ऐसा भी कहा जाता है कि तारा महाविद्या सिद्ध होने पर साधक को प्रतिदिन स्वर्ण प्रदान करती है अर्थात यह निश्चित है कि तारा सिद्धि प्राप्त साधक की आय में वृद्धि हो जाती है और उसे आय के नये-नये स्त्रोत प्राप्त होते हैं हैं आकस्मिक धन प्राप्ति भी्भव होती है.
सूर्य ग्रहण का चैतन्य काल तारा साधना के लिये श्रेष्ठ सिद्ध मुहूर्त दिवस हैर और इस दिन तांत्रोक्त तर्त स और अवश्य दिनœuvre
इस साधना हेतु तांत्रोक्त तारा यंत्र, ग्रहण अभिषेक युक्त तारा अष्टसिद्धि माला, सिद्धिदायक सूर्य शक्ति जीवट होना चाहिये।।.
ग्रहण काल में साधना प्रारम्भ करने से पूर्व स्नान कर शुद्ध पीली धोती धारण कर उत्तराभिमुख बैठ जायें, सिद्धिदायक सूर्य शक्ति जीवट गले में धारण कर तांत्रोक्त तारा यंत्र की पूजा कर बायें हाथ में यंत्र पूर्ण मंत्र जप तक रखे, तारा अष्टसिद्धि माला से सूर्यग्रहण काल में 7 माला जप कर सकें तो यथा शीघ्र श्रेष्ठता आनी प्रारम्भ हो जाती है।
मंत्र जप पूर्ण हो जाये तब यंत्र को पूरे शरीर के अंग-प्रत्यंग पर स्पर्श कराकर सात बार अपनेर परœuvre Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations
Il est obligatoire d’obtenir Gourou Diksha du révéré Gurudev avant d'effectuer une Sadhana ou de prendre une autre Diksha. S'il vous plaît contactez Kailash Siddhashrashram, Jodhpur à travers Email , whatsApp, Téléphone or Envoyer la demande obtenir du matériel de Sadhana consacré sous tension et sanctifié par un mantra et des conseils supplémentaires,