गुरू गोरखनाथ इस पर्व पर अद्वितीय साधना सम्पन्न कर उच्च कोटि के्ध पुरूष और स__ère
वसंत पंचमी अत्यंत आनन्द का पर्व है, साधकों के लिए तो यह दिन वरदान स्वरूप है। अध्यात्म में रूचि रखने वाले साधक इस दिन की प्रतीक्षा सरस्वती सिद्धि के लिएरते ही हैं।।. सामान्य धारणा केवल इतनी भर ही रह गई है कि सरस्वती को पढ़ने लिखने वाले बालक-बालिकाओं द्वारा ही पूजा जाना चाहिये, जबकि सरस्वती तो ज्ञान की देवी है और ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है, चाहे वह किसी भी उम्र का हो। ज्ञान ही वह शक्ति होती है, जिसके द्वारा व्यक्ति को जीवन के प्रत्येक क्षण मेंर्णय लेने जीवन प्रत्येक क्षण में.. शिष्य को गुरू द्वारा ज्ञान ही तो प्राप्त होता है, जिसके द्वारा वह क्रिया कर जीवन सिद्धि प्राप्तlan गुरू का कार्य मात्र ज्ञान देना ही होता है, क्रिया शिष्य को ही करनी होती है।।
यदि व्यक्ति को आत्म ज्ञान की उपलब्धि हो जाये, तो उसे अपने अन्दर से ही प्रश्नों के उत्तर प्राप्त होते रहते हैं, फिर उसे कहीं भटकने की आवश्यकता भी नहीं होती, उसके अन्तः में स्थित आत्मस्थ गुरू द्वारा ही उसे मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है और गुरू Plus d'informations इसी साधना को सम्पन्न करने से साधक बुद्धत्व को पtenir
'गोरक्ष संहिता' में एक अत्यंत गोपनीय प्रयोग प्रकाशित है, जिसमें बताया गया है कि सर्वथा निरक्षर गोरखनाथ को उनके गुरू ने किस प्रकार इस वसंत पंचमी पर्व पर विशेष साधना के द्वारा उनके कण्ठ और उनकी जीभ पर सरस्वती को स्थापित किया, जिसकी वजह से उन्हें सभी वेद, उपनिषद कण्ठस्थ हो सके सके, वे श्रेष्ठतम प्रवचन देने में समर्थ हो सकेर पूरे संसार में गुरू गोरखनाथ केर पूरे प्रसिद्ध गुरू गोरखनाथ के. न.
Avantages de la Sadhana
यह साधना अत्यन्त संक्षिप्त एवं अचूक होते हुए भी परम गोपनीय रही है और मेरा स्वयं का यह अनुभव है है, कि दिन इस इसœuvre वह जो भी बात कहता है, सुनने वाले मंत्र-मुग्ध होकर उसके प्रवचन या भाषण को सुनते हैं।
Plus d'informations Tous les autres Plus de détails Plus d'informations हो पाता है।
इस साधना को सम्पन्न करने वाले साधक की वाणी में ओजस्विता आ जाती है और लोग उसकी बात मानने. इस पtenir
वसंत पंचमी के दिन इस साधना को यदि बालिकाये सम्पनtenir इस साधना के द्वारा व्यक्ति के गले में मिठiner
इस साधना को सम्पन्न करने के बाद यदि संगीत अथवा गायन के क्षेत्र में Dieu नियमित अभ्यास एवं इस साधना के संयुक्त प्रभाव से वह बालक, बालिका या पुरूष कालान्तर में उच्च कोटि का गायक यालानर में्मानितानित.
जीवन में जब भी किसी प्रकार की द्वन्द्वात्मक स्थिति उत्पन्न होती है कि क्या करें, क्पन्न होती है कि क्या करें, क्या न .ven? कौन सा मार्ग उचित रहेगा? कौन सा शेयर को खरीदने से लाभ प्राप्त होगा? कौन सा व्यवसाय हमारे लिए उचित रहेगा? कौन सी साधना हमारे लिये अनुकूल सिद्ध होगी ? Est-ce que vous avez besoin d'aide ? क्यों हमारे जीवन में बाधायें आ रही हैं, इनका पूर्व जन्म से क्या सम्बन्ध है? तो इन अनेक प्रश्नों के उत्तर वtenir
वास्तव में ही वसंत पंचमी का दिन परिवार के सभी सदस्यों के लिए अत्यधिक उपयोगी है। शंकराचार्य ने इसी दिन सरस्वती साधना सिद्ध की थी और भारत के श्रेष्ठ योगियों ने इसी इसी दिन इस .cre
Sadhana Vidhan
प्रातः काल जल्दी उठ कर और स्नान आदि से निवृत होकर वासंती या पीले्त्र धारण करें। य. फिर घर के किसी स्वच्छ कमरे में या पूजा स्थान में अपने परिवार के साथ बैठ जाये। अपने. Plus d'informations इसके बाद एक थाली में सरस्वती यंत्र अंकन निम्न प्रकार से करें, इस यंत्र का अंकन चांदी की Dieu Plus d'informations Plus d'informations अष्टगंध से आठ महत्वपूर्ण वस्तुओं का समावेश होतiner
फिर इस बनाये हुए यंत्र पर 'सरस्वती यंत्र' (धारण करने वाला) रखें। यदि घर के बालकों के लिए भी प्रयोग कर रहे हों, तो जितने बालकों को यह यंत्र धारण कराना हो, उतने यंत्र थाली में खेंèreखें। सभी यंत्रें पर अष्टगंध का तिलक करें, पीले पुष्प चढ़ावें, सामने अगरबत्ती और दीपक जला दें। दूध का बना प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद सरस्वती मंत्र का 108 बार सरस्वती माला से जप करें, घर के जितने भी बालक यiner
इसके बाद सरस्वती चित्र की संक्षिप्त पूजा कर, उस पर पीले पुष्प चढ़ाये, तत्पश्चात बालकों को अष्टगंध से कर उन्हें्च. T । Plus d'informations
Début de bon augure
बालक-बालिकाओं आदि की जीभ पर सरस्वती बीज मंत्र अंकित करने का तथा सरस्वती यंत्र (सफेद ेशमी धागे मेंरोकर) धारण कराने का सिद्धतम मुहूर्त वसंत. 05:22 PM तक तथा दिवा 06:06 PM से 10:30 PM तक है। यदि इस दिन यह संभव न हो सके तो किसी भी सोमवार के दिन महेन्द्र काल या अमृत काल मे भीरस्वती्वती मंत्र को जीभर लिखœuvre
इस पtenir इसे स्वयं तो धारण करें ही, अपने पुत्र-पुत्रियों को भी धारण करायें।
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