Plus d'informations Plus d'informations Tous les autres Plus d'informations Plus d'informations ्तु पुराणों एवं Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations ा है। Plus d'informations विराट स्वरूप हैं।
पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्री गणपति ने देवतदेवतcre
भाद्रपद के शुक्ल चतुर्थी को भगवान श्री गणपति सर्वप्रथम अपने दिव्य रूप में अवतरित हुये किन्तु मां भगवती पार्वती के प्रार्थना पर सामान्य रूप धारण कर उस शिशु अवस्था में ही अपनी अलौकिकता का सभी को संकेत दे दिया और यह स्पष्ट हो गया कि अब सिन्धु राक्षस का अन्त निश्चित है। सिन्धु ने भी उन्हें बालावस्था में ही समाप्त करने का प्रयत्न किया किन्तु यह तो. कालान्तर में भगवान श्री गणपति ने युद्ध में दैतtenir
भगवान श्री गणेश के इस विशेष स्वरूप मे अवतरण के बाद से ही उनकी प्रकट तिथि के रूप में भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी मान्यता प्राप्त हुई और न केवल महाराष्ट्र प्रान्त में अपितु सारे भारतवर्ष में इस तिथि को अत्यन्त श्रद्धा, सम्मान एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र प्रान्त मे तो इस दिवस को वही मiner लोकमान्य तिलक ने इस दिवस को जिस प्रकार राष Joh
जीवन की समस्त विघ्न-बाधाओं को पूर्णता से समiner उनकी विघ्न-विनाशक शक्ति के कारण उन्हें अपने घर और पूजन में सर्वोच्च स्थान दिया है।। में. T
साधक इसी कार्य को और अधिक व्यवस्थित व सुचारू रूप से करते हैं। श्रदtenir भगवान के रूप में देवता की कोई भी प्रतिमा स्थापित की जा सकती हैं, उसके प्रति अपनी मनोभावनायें व्यक्त की जा सकती हैं, लेकिन जहां सचमुच लाभ प्राप्त करने की बात है, वहां स्थापित विग्रह को चैतन्य करना आवश्यक होता है और यदि चैतन्यीकरण की क्रिया न सम्पन्न करें तब चैतन्य व प्राण-प्रतिष्ठित विग्रह स्थापित करना आवश्यक होता है। किसी भी मंदिर में मूर्ति-स्थापना के पश्चात् इसी कारणवश प्राण-प्रतिष्ठा एक आवश्यक क्रिया होती है।
भगवान गणपति अपने सहस्त्र स्वरूपों के सiner विजय गणपति का अर्थ है जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्रदाता हों। आज जीवन के किस क्षेत्र में संघर्ष नहीं रह गया है? जीवन का कौन-सा क्षेत्र ऐसा है जो निरापद हो और जहां बिना विजय प्राप्त किया साधक सुगमता से जीवन जी सके? फिर ऐसे ही वातावरण में आवश्यक हो जाता है कि साधक अपने घर में भगवान गणपति की Dieu
इसके लिये शास्त्रों में एक श्रेष्ठ सरल विधiner ऐसे गणपति विग्रह की घर में सtenir भगवान श्री गणपति तो अपने भक्तों के लिये विघ्नहर्ता और दुष्टों के लिये विघ्नकर्ता दोनों ही रूप में वन्दनीय हैं अतः उनकी घर में स्थापना निश्चित रूप से फलदायक होती है, किन्तु यह स्थापना अर्थात् विजय गणपति स्वरूप की स्थापना साधक को केवल अपने घर में करनी चाहिये।
गृह स्थान से बाहर अपने व्यवसाय-स्थल, दुकान या फैक्ट्री में अति अति दुर्लभ पारद गणपति विग्रह कiner भगवान श्री गणपति के अनेक स्वरूपों में धiner केवल भगवान श्री गणपति की स्थापना ही नहीं साथ ही ऋद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ की स्थापना भी इसी विग्रह के द्वारा सम्भव होती है क्योंकि जिस प्रकार जहां शिव का पूजन होता है वहां स्वतः ही सम्पूर्ण शिव परिवार का पूजन हो जाता है, ठीक उसी प्रकार जहां गणपति की स्थापना व पूजन होता है वहां उनकी दोनों पत्नियों ऋद्धि एवं्धि तथा पुत्रद्वय शुभ.
वाद विवाद, मुकदमा, राजकीय बाधा, लड़ाई, शत्रु-बाधा, भय-नाश इत्यादि कार्यों के लिये उच्छिषtenir इस साधना को गणेश जन्मोत्सव व किसी बुधावार से ब्रह्म महुर्त में या facedre
सर्वप्रथम स्वच्छ वस्त्र धारण करें, अपने सामने एक चौकी पर सफेद या पीला कपड़ा बिछा कर उस पर भगवान गणपति का विग्रह व चित्र स्थापित करें, उसके सामने एक थाली में सिंदूर से रंगे हुये चावलों की एक ढ़ेरी बनाकर उस पर गणपति यंत्र को स्थापित करे, विधिवत् पूजन सम्पन्न कर साथ ही गुरू पूजन भी सम्पन्न करें उसके बाद विनियोग करें
इस प्रकार संकल्प लेकर चार भुजा वiner इसके पश्चात् अष्ट मातृकाये के प्रतीक स्वरूप में यंत्र के चारों और कुंकुंम सेा लगाकर प्रसाद स्वरूप में लड्डू अाकर प्रसाद स्वरूप में.
ब्राह्मी नमः, माहेश्वरी नमः, कौमारी नमः, वैष्णवी नमः, वाराही नमः, इन्द्राणी नमः, चामुण्डा लक्ष्मी नमः भगव्रfère.
ॐ विघ्नेशtenir
नागाननाय श्रुतियज्ञभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमों नमस्ते ।।
इसके पश्चात् उच्छिष्ट गणपति माला से निम्न मंत्र की 5 मiner
मंत्र जप के पश्चात् तीसरे दिन सभी सामग्री को किसी मंदिर में लाल कपडे मे बांध कर रख दें।।
मनुष्य अपने जीवन में विभिन्न मनोकामनाओं को पूर्ण करना चाहता है। अपने घर में धन-धान्य तथा शक्ति प्राप्त कर दूसरों को आकर्षित एंव वशीभूत करने हेतु व साथ ही लक्ष्मी, धन सुन्दरère पत्नी.
इस साधना को सम्पन्न करने हेतु गणेश जन्मोत्सव किसी बुधवार को ब्रह्म महुर्त में स्नान आदि से निवृत होकर सर्वप्रथम स्वच्छ वस्त्र धारण करें अपने सामने एक चौकी पर सफेद या लाल कपड़ा बिछा कर उस पर एक थाली में शक्ति विनायक यंत्र स्थापित करें साथ ही कार्यसिद्धि स्वरूप में Plus d'informations यंत्र व सुपारी का पूजन सम्पन्न करें, हाथ में जल लेकर विनियोग करें-
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Application à la perfection.
Anganya
OM GRAM HRIDAYA NAMAH, OM GRIM SHIRASE SWAHA,
Om Gum Shikhayai Vashat, Om Graim Kavachaya Hum,
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Plus d'informations कं पुष्करेण।
स्वपत्न्यायुतं हेमभूषाभराढ़यं गणेश समुद्यद्दिनेशाभमीडे ।।
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Terminez 3 tours pendant 5 jours-
मंत्र जप के पश्चात् पांचवे दिन सभी सामग्री को किसी मंदिर में लाल कपड़ों मे बांध कर रख दें।। ल कपड़ों मे ब.
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