ग्रहण का तात्पर्य ही होता है कि अधंकार से प्रकाश की ओर जाना ग्रहणकाल में साधनाका करने से अंधकारमय स्थितियां समापlanधन.
हमारे सौरमण्डल में पृथ्वी के अस्तित्त्व को कायम रखने के लिये सूर्य का सर्वोपरि स्थान है।।. यदि सूर्य न हो, तो इस पृथ्वी पर प्रकृति का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि सूर्य के प्रकाश से ही सम्पूर्ण धारा आलोकित है, जिसके प्रकाश में व्यक्ति के जीवन से अंधकार को समाप्त कर उसे नवीन चेतना, जागृति से भर देने की क्षमता है। सूर्य के तेज के फ़लस्वरूप ही मनुष्य जीवन में चलायमान रहता है।
ग्रहण काल के महत्व से आज का प्रत्येक साधक परिचित है, जीवन को एकदम से परिर्वतन कर प्रकाश की.. इस पर्व पर महत्वपूर्ण साधनायें, दीक्षायें सम्पन्न कर साधक अपनी वर्षों की मनोकामनाये पूर्ण करता है।।. ऐसे चेतनामय दिवसों पर श्faceère ग्रहण काल में सम्पन्न की गई कोई भी साधना, मंत्र जप, दीक्षा सौ गुनाअधिक्य्य__vi वर्ष भर किसी भी साधनात्मक क्रिया में सम्मलित नहीं हो पाते। वे भी विशिष्ट सूर्य की चेतनामय रश्मियों को आत्मसात कर भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाओं कोर्ण करते हैं। इच्छ.
बडे़-बड़े तांत्रिक व मांत्रिक भी ऐसे ही क्षणों की प्रतीक्षा में टकटकी लगाये बैठे रहते हैं, क्योंकि उन्हें उसके द्विगुणित पफ़ल प्राप्ति का ज्ञान पहले से ही होता है और साधरण मानव इस बात से अपरिचित रह जाने के कारण ऐसे विशेष क्षणों को व्यर्थ ही गंवा बैठता है। सामान्य गृहस्थ के जीवन में समस्यायें व कठिनाइयां अधिक होती हैं हैं।
वास्तविक रूप से जीवन में श्रेष्ठ उन्नति अनुकूल और चेतनामय क्षणों का पूर्ण रूप से लाभ प्राप्त करने पर हीर्भर होतीहोती।।. साथ ही उन तेजसtenir
शास्त्रों में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब महापुरूषों ने ग्रहण काल की्ता का प्रमाण दिया। भगवान कृष्ण को उनके गुरू सांदीपन ने ग्रहणकाल की चैतन्यता में विशेष साधनात्मक क्रिया और दीक्षा सम्पन्न करवायी।।. जिसके कारण वे सभी भौतिक और आध्यात्मिक पूर्णता को प्राप्त कर योगेश्वर कहलाये। इसी पtenir
अतः जीवन का यह प्रथम उदेश्य एवं कर्तव्य है, कि अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये चाहे कितनी ही साधनायें क्यों न करनी पड़े, कितनी ही बार प्रयत्न क्यों न करना पड़े अपने लक्ष्य को अवश्य ही प्राप्त करना है और एक लक्ष्य प्राप्त करने के बाद नूतन नया लक्ष्य बनायें ऐसा दृढ़ निश्चय ही्नति का मूल मार्ग है।.
T है कि दूसरा द्वार खोल सकें, सिद्ध साधक को जीवन में सुख सुख, धन सौन्दर्य, यश सम्मान पूर्ण रूप से्राप्त. इस साधनात्मक क्षण के लिये ग्रहण काल वरदान स्वरूप होता हैं।
वैसे तो सूर्यग्रहण के समय कोई भी साधना सम्पन्न की जा सकती है Dieu
भगवान शिव का शक्ति से संयुक्त स्वरूप अत्यधिक चैतन्यता और दिव्यता से युक्त है। शिव-शक्ति की संयुक्त कृपा से ही साधक को किसी साधना में सफ़लता प्राप्त होती है। शिव-शक्ति की चेतना से ओत-प्रोत होकर ही सiner गृहस्थ जीवन को आनन्द और रसमय बनाने के लिये आध्यात्मिक प्रगति के लिये शिव शक्ति की साधना आवश्यक ही अनिव अनिवार्य भी है की स. साधना सम्पन्न कर साधक विशिष्टता को प्राप्त कर आनन्द औज प्रेममय, श्रेष्ठता, सपफ़लता, पूर्णतork
सूर्य ग्रहण के दिन या किसी भी गुरूवार को स्नान आदि से निवृत होकर सामने बाजोट पर लाल आसन बिछाकर थाली रखें, थाली के मध्य स्व्तिक्तिक. सामने घी का दीपक और धूप जलाकर संक्षिप्त पूजन सम्पन्न करें। फिर निम्न मंत्र का 'ऋद्धि- सिद्धि माला' से 7 माला मंत्र जप सम्पन्न करें-
मंत्र जप समाप्ति के पश्चात यंत्र को पूजा स्थान में स्थापित करें व्य सामग्री को्थापित करें व्य सामग्री को पवित्र जलाशय में...
जीवन के विभिन्न पक्षों में शतtenir
इस साधना के माध्यम से व्यक्ति अपनी निर्बलता व शक्तिहीनता को समाप्त कर सकते है, और ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है, शक्तिहीन को शक्तिशाली बनने में कोई बुराई नहीं है, यह तो उन्हें आन्तरिक शक्ति प्रदान करने का एक अस्त्र है, जिससे वह अपनी परेशानियों पर पूर्ण विजय प्राप्त कर अपने जीवन में श. मानव के सबसे बड़े शत्रु तो उसकी देह के साथ ही अवगुणों के ूप में में उससे चिपके हते हैं हैं, मानव के सबसे बड़े शत्रु तो यही होते है काम, क्रोध शत्रु तो उसे ह__° प .cre जीवन .cre. प्रदान करते हैं, जो उस पर हर क्षण प्रहार करते ही रहते हैं, जिससे मानव जीवन दुःखदायक हो जाता है ये शत्रु कभी ोग के के ूप मेंप. उन उलझनों एवं बाधाओं को दूर करके ही एक शtenir मुकदमों में सफ़लता प्राप्त होती है तथा समस्त प्रकार के शत्रु पर विजय्राप्त होती है।।।.
Lors d'une éclipse solaire ou de n'importe quel mardi, après s'être retiré du bain, etc., le chercheur doit porter un dhoti jaune et s'asseoir face à la direction sud et effectuer un bref culte en allumant une lampe et de l'encens en plaçant le Tantrekt Shatru Mardan Yantra et Gutika dans un récipient. Complétez ensuite le chant du mantra suivant avec 5 rounds d'ennemis tuant Siddhi Mala.
Plus d'informations उसी समय से शत्रुओं पर पूर्ण विजय पtenir
Personne ne peut nier l'inévitabilité d'obtenir de l'argent en continu dans la vie, l'argent est une chose importante dans la vie d'aujourd'hui, pour laquelle une personne continue de lutter dans chaque situation, en plus de cela, nous avons besoin de la conscience divine, pour obtenir de l'argent en continu. soutien des pratiques spirituelles, parce que la conscience du pouvoir spirituel supprime ces obstacles de notre vie, en raison desquels le progrès de la vie s'arrête en raison de l'obstruction sur le chemin de la richesse et souvent sous la forme d'un manque de richesse qui se profile dans la vie .
इस हेतु हमें निरन्तर ऐसी साधनायें करते रहना चाहिये, जिसके माध्यम सें्नति का मार्ग बाधा रहित बना रहें। इस साधना से निरंतर धन प्राप्ति का मार्ग बना रहता है और धन लाभ में वृद्धि होती है, साथ ही साथ लक्ष्मी स्थिर रूप से जीवन में विद्यमान रहती है, इस साधना के माध्यम से व्यापार वृद्धि, कार्य सिद्धि, प्रमोशन में सपफ़लता मिलती है।
सूर्य ग्रहण पर्व पर या किसी भी बुधवार को स्नानादि से निवृत होकर अपने साधना कक्ष में बैठ जायें, अपने सामने लाल वस्त्र बिछाकर उस पर केसर से स्वस्तिक बना लें तथा कुंकुम से तिलक कर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित कर दें, यंत्र के दाहिनी ओर निरन्तर धन प्राप्ति के लिए स्वर्णावती गुटिका स्थापित कर संक्षिप्त पूजन .ve
Une fois la méditation terminée, attachez tout le matériel dans un tissu rouge et conservez-le dans le coffre-fort. Plongez tous les ingrédients dans un plan d'eau le jour de Makar Sankranti.
जब लक्ष्मी की सम्पूर्णता को अपने जीवन में समाहित करने की बiner अष्ट लक्ष्मी की आराधना अपने आप में इस प्रकार से सम्पूर्णता कiner Plus d'informations अष्ट लक्ष्मी अपने-आप में आठ प्रकार के ऐश्वर्य को तो समाहित करती ही है, साथ ही ये लक्ष्मी के आठ अत्यन्त प्रखर स्वरूपों- द्विभुजा लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, महालक्ष्मी, श्री देवी, वीर लक्ष्मी, द्विभुजा वीर लक्ष्मी, अष्ट भुजा वीर लक्ष्मी एवं प्रसन्न लक्ष्मी के सम्मिलित स्वरूपों की सiner
सूर्य गtenir साथ ही धन-धान्य की प्रचुर मात्र से युक्त होकर साधक के जीवन में धन रूपी अभावों को पूर्णता से समाप्त. सूर्य ग्रहण के दिव्य अवसर पर अष्ट लकtenir
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