मैं तुम्हारे पंखों में गति दूंगा और आकाश में सुदूर ऊंचाई पर उड़ने की कला सिखाऊंगा।
मैं तुम्हारे सारे दुःख, दर्द, दैन्य, अभाव, विषमतiner
Tu es un cygne et je me souviens de ma promesse de t'apprendre l'art de plonger profondément dans ce Mansarovar.
और इसी वादे को निभाने के लिये मैं इस धारती पर आया हूँ और आवाज दे रहा हूँ तुम्हें, साधनात्मक चिंतन से अपने पास बुलाने के लिये जिससेœuvre
तुम मूढ़ हो, पगले हो, नासमझ हो, हकीकत में्चों की तरह भोले हो।।
तुम्हें ज्ञान ही नहीं है कि साधना क्या है, तुमने तो गौमुखी में हाथ डाल कर मंत्र जपने को ही साधना समझ लिया है।।.
बगुले की तरह आंख बंद कर देने को ही ध्यान कहा है, कुंकुम चावल बिखेरने को हीर्चना मान लिया है।
तुम अपने मन के नयन खोलो, सामने देखो तो——-स्वयं ब्रह्म, पूर्ण सशरीर दिखाई देंगे और इसी सजीव सप्राण चैतन्य ब्रह्म को निहारना ही अर्चना है, एकटक देखते रहना ही ध्यान है, उनसे लिपट जाना ही साधना है क्योंकि ब्रह्म को पा लेना ही तो साधना का अन्तिम लक्ष्य है, और वह तो गुरु रूप में तुम्हारे सामने खड़ा है।
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