बन्धन शब्द का तात्पर्य है जो बंधiner Plus d'informations
मोह, माया, आलस, काम क्रोध यह जीवन के बन्धन ही तो है, जिनकी वजह से हम अपने जीवन मे कुछ. मस्ती प्राप्त नहीं कर सकता, जिसके बिना जीवन निरर्थक होता है। घुटा हुआ, दबा हुआ सा बेबस ये जो बन्धन होते है, न तो सही अर्थो में मनुष्य ही बनने देते है, और न ही साधक और न्य। है. क्योंकि हमने अपने आप को बन्धनों में इतना जकड़ लिया है, कि हम उनसे निकलना चाहे तो नहीं नहीं निकल सकतें क्योंकि भीतर में अनेक विकार विकसित नहीं नहीं कैसे निकलन. में हमें गुरू की आवश्यकता होती है, जो हमें उस मार्ग के बारे में बताए। सन्मार्ग की प्राप्ति हेतु हम चाहे कितने भी ग्रंथ, महाकाव्य पढ़ लें पर हम उसमें से कौन सा मार्ग सही है और गलत हैं, इसका विवेचन करने की ऊर्जा नहीं है और यदि विवेचन कर भी लेते हैं तो अपने आपको यथास्थिति से परिवर्तन करने का ज्ञान ही नहीं है।
इसलिए उसने सोचा कि इससे अच्छा मौका कहां मिलेगा कि समुद्र में नाव लेकर उतरने से ही जीवन मेंर्णता और कर्म बन्धनों से मुक्ति मिलर्णताएगी. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि समुद्र में अनेकों बाधाओं से उसका सामना होगा जिनका उसे ज्ञान नहीं है।। कुछ दूरी तक जाते ही अचानक से एक ऊंची लहर उठी और उसकी नाव के साथ उसे बहiner पार नहीं कर पाएगें क्योंकि जीवन में अनेकों बाधाएं आती है। बीमारी के रूप में, धन की कमी के रूप में तंत्र बाधा, पिशाच बाधा ये सब जीवन की बाधा ही तो है। इसी तरह हम भी कभी-कभी अपने आप को बहुत ज्ञानी समझ लेते है, और जाने अनजाने ही अपनी नाव समुद्र में डाल देतें हैं। ही अपनी न. Plus d'informations समुद्र की लहरें विकराल और निरन्तर बाधा रूपी उठने वाली ऊंची लहरें, नाव को एक ही थपेंडे में उलट देने में. सक्षम हैं हैं। को ही थपेंडे में उलट देने में्षम हैं हैं।
तुम्हारे गृहस्थ रूपी समुद्र में खारे पानी के अलावा कुछ नहीं है, इस जीवन रूपी समुद्र में परेशानियां, बाधायें, धन हानि, शत्रु बाधा आदि विकराल जलचर भरे पडे है, जिनका एक ही प्रयत्न है, कि कब मौका मिले और कब आपकी नाव को उलट दें, परन्तु फिर भी तुम्हारी नाव हिचकोलें खाती हुई आगे बढ़ रही है और यह पूरे समुद्र के लिए आश्चर्य कीर यह. क्योंकि इसी जीवन से संघर्ष करते-करते, इसी समुद्र के खारे पानी में तूफानों से टकरा कर तुम्हारे पितiner था क्योंकि उनके जीवन में कोई गुरू ही नहीं मिला जो उनको समझा सकें, ज्ञान दे सके। उनकी शक्ति तूफानो से टक्कर लेते-लेते समाप्त हो गई, वे समुद्र में ही नाव के साथ डूब गये. समुद्योंकि उनके पास हौसलाव के साथ डूब गये्योंकि उनके पास हौसला नहीं थाथ डूब गये. Plus d'informations
इसीलिए वे जीवन में पूर्णता को पtenir Plus d'informations, plus d'informations गुरू जीवन के कर्म बन्धनों से सर्वथा मुक्त है, वह समुद्र के उस पार जाकर आ चुका है, उन्हें पता है, कि कैसे उसœuvre
और इन सब घटनाओं का यह समुद्र साक्षीभूत रहा है, यही नहीं अपितु तुम्हारे आस-पास जितनी भी न. वे भी हिचकोलें खाती हुई आगे तो बढ़ रही है, एक कदम आगे बढ़ती है, तो पांच-दस कदम तूफानों के प्रहार से पीछे हटना पड़ता है।। प. और तुमने देखा होगा कि तुम्हारें भाइयों, सगें सम्बन्धियों की नावें भी डगमगाने लगी है है उनकी आंखों में उदासी और मौत नजर आने लगी है, उन्हें भय है कि कभी भी कोई एक लहर उठेगी उनकी ओर और उनकी नाव को स सर बह उनकी ओर और उनकी न. निगल जाएगा।
फिर वे चाहे कितने भी चीखे-चिल्लाएं, कितना ही हल्ला करें, कोई उनकी नाव व उनकी रक्षा करने वाला नहीं हैं क्योंकि उन्होंनेा करने ववाल. अपनी-अपनी नावें संभालने में लगे हुए है है, सभी की आंखों में भय, डर भरा हुआ है, और मुंह में खारा पानी चले जाने की वजह उनके उनके जीवन कारा सानी चले जाने की वजह उनके उनके जीवन क.. पर वे लोग तुम्हें आर्श्चयजनक दृष्टि से देख हें हें हैं हैं उनको यह लग लग हcre जब उनकी नाव डुबने वाली है औरह. है, और तुम्हारे चेहरे पर मुस्कुराहट दिख रहीं है, क्योंकि तुम्हारे जीवन में जीवित जाग्रत गुरू है, जो तुम्हारे साथ हमेशा तुम्हारा हाथ पकड़ें हुए खड़ा हैं, जो तुम्हारे जीवन को डूबने नहीं देगा, किन्तु मनुष्य थोड़े से ज्ञान से इस अहंकार से ग्रस्त रहता है, कभी उसने अपने जीवन रूपी बन्धनों से निकल कर गुरू की खोज ही नहीं की की कभी गुरू उनके घर के पास से या उनके सामने से निकले भी. पट्टी बांध रखी है है, कि वह चाह के भी उस ज्ञान रूपी प्रकाश पुंज को देख नहीं पाते जैसे एक चमगादड अपनी आंखों को अपने पंखों से ढ़क. करता है।
क्योंकि वे अपनी नाव का चप्पू चलाना भूल गये हैं, और तुम्हारी तरफ ताक रहे है, वे यह सोच सोच हें कि हम तो डूबेंगे ही ही, प__ère तुम्हें. हैं, अपने शब्दों के माध्यम से, अपनी बातों से जैसे ही उन्हें यह पता चला की आपके पास ज्ञान रूपी सद्गुरू है जो हर पलf. वह तुम्हें कहेंगे की तुम गुरू के पास मत जiner वाला खुश कैसे है, इसीलिए वे तुम्हारे जीवन में अवरोध-बाधायें, परेशानियां, व्यथायें आदि अनेक स्वरूपों में मैली्रियœuvre
यदि आपके पास गुरू हैं, तो वे हर परिस्थिति में तुम्हारा हाथ पकड़े हुये खड़े हैं, क्योंकि तुम गुरू के्मीय हो। हैं हैं क्योंकि तुम. तुम्हारा गुरू के साथ आत्मा-प्राणों का सम्बन्ध है इसलिए तुम्हें निरन्तर आगे बढ़ना है, और तुम आगे बढ़ नि__ère है, यह उनके लिए आश्चर्य की बात है, और होनी भी चाहिए, पर तुम भी कभी कभी भय भय ग्रस्त हो जाते हो किन्तु इसमें प__èreेश. भी तुम्हारी नाव और समस्याओं के बीच गुरू खड़े हैं, और घनघोर अंधेरे में तुम्हारे लिए दीप-स्तम्भ की तरह हैं, जिससे कि तुम्हारी नाव इसी जीवन में लक्ष्य तक पहुंच सकें, जो तुम्हारी पीढि़यां, रिश्तेदार नहीं कर पाए वह तुम्हें कर के दिखाना हैं , जो तुम्हारी पीढि़यां किनारे पर नहीं पहुंच पाई वे उस हface तक पहुंचा सकते हो साथ ही पूर्ण आनन्द स्वरूप में जीवन की स्थितियां निर्मित कर सकते हैं्योंकि तुम्हारे पर्मित कर सकते हैं्योंकि तुम्हारे पास मौका है , तुम्हारे पास जाग्रत गुरू है, जिनके बतायें हुए मार्ग पर चल कर नव निर्माणमय क्रियायें निर्मित कर सकते हैं।।. सद्गुरू की शक्ति तुम्हारे साथ है, जो तुम्हारी बाजुओं की शक्ति हैं।
तुम्हारे पास हौसला और हिम्मत हैं, इसलिए यहीं पर रूकना ठीक नहीं इसी जीवन में Dieu
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