Plus d'informations तुम्हें जगा दे, तुम्हारे सपने बिखर जायें, तुम होश से भर जाओं। निश्चित ही काम कठिन है और न केवल कठिन है, बल्कि शिष्य को निरन्तर लगेगा कि गुरू विघ्न डाल रहा है। कि कि. अब तुम्हें कोई साधारण नींद से भी उठाता है तब भी तुम्हें लगता है, उठाने-वाला मित्र नहीं शत्रु है।।।।।।।. नींद प्यारी है और यह भी हो सकता है कि तुम एक सुखद सपनसपनcre Plus d'informations
मन आलस्य का सूत्र है इसलिये जो भी तुम्हें झकझोरता है, जगाता है तो वह बुरा मालूम पड़ता है। जो तुम्हें सांत Joh Plus d'informations अगर हजारों, लाखों, करोड़ों लोगों की मांग सांत्वना की है तो कोई न कोई तुम्हें सांत्वना देने को राजी हो जायेगा। तुम्हारी सांत्वना का शोषण करने को कोई न कोई तुम्हें गीत सुनायेगा तुम्हें सुलायेगा जिससे तुम्हारी नींदर गहरी होगी सपने औœuvre
ऋषि दुर्वासा का एक वचन है कि लोग कहते हैं कि मैं शांति लाया हूं लेकिन तुमसे तुमसे कहता हूं, मै तलवार ले कर आया हूं। Plus d'informations क्योंकि एक ओर ऋषि दुर्वासा कहते है कि अगर कोई तुम्हारे एक गाल पर चांटा मारे, तो तुम दूसरœuvrevice जो तुम्हारा कोई छीन ले, तुम कमीज भी उसे दे देना और जो तुम्हें मजबूर करे एक मील तक अपना वजन ढोने के लिये लिये तुम दो मील उसके स साथ चले ज ढोने के लिये, तुम दो मील उसके उसके साथ चले जाना। ऐसा शांतिप्रिय व्यक्ति जो कलह पैदा करना ही न चाहे, जो सब सहने को राजी हो, वह कहता है, मैं शांति ले कर नहीं, तलव cérél. यह तलवार किस तरह की है? यह तलवार गुरू की तलवार है, इस तलवार का उस तलवार से कोई भी संबंध नहीं, जो तुमने सैनिक कीर पर बंधी देखी है। Plus d'informations Plus d'informations यह तुम्हें जलायेगी, लेकिन तुम्हारा कचरा ही जलेगा, तुम्हारे भीतर का सोना निखर कर बाहर आ जायेगा।
हर गुरू के हाथ में तलवार है और जो गुरू तुम्हें जगाना चाहेगा वह तुम्हें शत्रु जैसा मालूम होगा। Plus d'informations फिर तुम्हारी नींद सिर्फ नींद नहीं है है, उस नींद में तुम्हारा लोभ, तुम्हारा मोह, तुम्हारा राग, सभी कुछ जुड़ा है।।।।।. तुम्हारी आशायें, आकांक्षायें सब उस नींद में संयुक्त हैं। तुम्हारा भविष्य, तुम्हारे स्वर्ग, तुम्हारे मोक्ष, सभी उस नींद में अपनी जड़ों को जमाये बैठे है.. Plus d'informations इसलिये गुरू तुम्हारी जब नींद छीनेगा तो तुम्हारा संसार ही नहीं छीनता, तुम्हारा मोक्ष भी छीन लेगा।
कृष्ण ने अर्जुन को गीता में कहा है सर्वधर्मान् परित्यज्य्य- तू सब धर्मों को कर मेरी शरण में आ धर्मों को क. ठीक इसी पtenir लोग जाते हैं, और भागते हैं। जैसे ही नींद पर चोट होती है, वैसे ही बेचैनी शुरू हो जाती है। जब तक तुम उन्हें फुसलाओ, थपथपाओ, लोरी सुनाओ, जब तक उनकी नींद को तुम गहरा करो तब तक वे्रसन्न हैं।।। क. Plus d'informations इसी प्रकार एक बार विशtenir
विश्वामित्र जैसे तेजस्वी और क्रœuvrevicité मै यह जानना चाहता हूं कि मेरे जीवन का उद्देश्य, लक्ष्य क्या है? दूसरा, मैं जानना चाहता हूं कि मैं अपने जीवन को किस प्रकार से अग्रसर करूं, किस प्रकार से आगे बढ़ाऊं? तीसरा, यह कि मैं अपने जीवन को किस प्रकार से दिव्यता से ओत-प्रोत कर सकता हूं, अपने आप में चेतनायुक्त बना सकता हूं? और जीवन का वह क्षण कब आयेगा जब गुरू सiner कानों और हजार आंखों से उस अमृत तत्व को समेटता हुआ अपने प्राण तत्व को जाग्रत करने की ओर अग्रसर हो सकूंगर? मैं केवल उन विधियों उन विचारों, उन चिन्तनों को जानना चाहता हूं।
जब विश्वामित्र ने अपने गुरू से पूछा कि मेरे जीवन कiner Plus d'informations, plus d'informations Plus d'informations
किसी ने यह प्रश्न किया नहीं, विश्वामित्र ने किया खड़े होकर पूछा कि मेरे जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य पूर्ण भोग के स्देश्य और लक्ष्य? जो कुछ हम प्राप्त नहीं कर सकें वह भोग है, तृष्णाओं को भोग कहा जाता है। भोग में इचtenir Plus d'informations भोगी व्यक्ति के पास पांच हजार रूपये हैं, वो सोचेगा कि दस हजार होने्चीस हजार होने चाहिये। जिस व्यक्ति के पiner ग्रस्त ही रहेगा। जो तनाव ग्रस्त जीवन जी सकता है, वह भोगी है और यह सारा संसार भोग की ही चिन्तन पद्धति में इसलिये बढ़ ह हा है कि उसको कोई कोईlanतन..
लेकिन तुम तो पूर्ण नींद में जीवन व्यतीत करना चाहते हो, पूर्ण योगी और भोगी भी बनना चाहते हो लेकिन नींद से नहीं जगना चाहते। पिछले पच्चीस हजार वर्ष में केवल कुछ ही ऐसे व्यक्ति हुये जो अपने आप में नींद से जागे जिन्होंने उनके गुरू ने जग .cre
यह नहीं सोचा जाता कि लोग क्या कहेंगे, क्योंकि लोग तो कहेंगे ही ही। Plus d'informations तुम्हारा समाज तुम्हें रोकेगा ही कुछ कर भी नहीं सकता, प्रशंसा नही कर सकता तुम्हारी। समाज का निर्माण ही इसलिये हुआहै। Plus d'informations जीसस को सूली देनी पड़ी क्योंकि वह तुम्हें सोने नहीं देता। Plus d'informations तुम इतने बेचैन और परेशान हो, तुम चाहते हो थोड़ी देर शांति मिल जाये, खो जाओं, बेहोशी आ जाये। ध्यान से भी उसी को खोजते हैं-किसी तरह तुम भूल जाओ कि तुम हो हो।
Plus d'informations Plus d'informations तुमसे सारी मादकता छीन लेगा। तुम्हारा भजन, तुम्हारा कीर्तन, तुम्हारा नाम-स्मरण, तुम्हारे मंत्र, सब छीन लेगा ताकि तुम्हारे पास सोने कcre तुम्हें जागना ही पड़े। तुम्हें पूरी तरह जागना होगा ताकि तुम जान सको तुम?
उस प्रतीति से ही पुरानी नींद की दुनिया का अंत, और एक नये जगत का आरम्भ होता है। उस नये जगत का नाम मोक्ष। नींद में देखा गया कोई सपना नहीं, नींद जब टूट जाती है तब जिसकी प्रतीति होती है, उसी का नाम परमात्मा है। नींद में की गई पtenir
एक आदमी सांझ को घर लौटा उसकी पत्नी जोर-जोर से रो रही थी आंख से आंसू गिर रहे है वह आदमी बैठ कर चुपचाप अखबार पढ़ने लगा। उसकी पत्नी ने कहा कम से कम यह तो पूछो कि मैं क्यों रो रही हूं? Plus d'informations रो रही हो तो कोई न कोई झंझट है, कोई मांग है, यही पूछ कर मेरा दिवाला निकला जा रहा है कि कि क्यों रो रही हो? अब मैने पूछना ही बंद कर दिया है।
हम रो भी रहे हैं, हंस भी रहे है, आवाज भी दे रहे हैं तो सकारण है उसमें कोई प्रयोजन है। Plus d'informations अकारण तो तुम मुस्कुराते भी नहीं हो, आवाज देने का श्रम क्यों उठाओगे? इस संसार में गूंजती आवाजो से गुरू की आवाज मूलतः पृथक् है। वह किसी काम से नहीं बुला रहा है। वह तुम्हें बेकाम बुला रहा है। वह तुम्हें जगाने के लिये बुला रहा है, किसी काम से नहीं बुला रहा।
एक बार सुकरात ने अपने शिष्य श्यामा को आवाज दी शिष्य ने कहा जी! कोई काम है? और उसने प्रतीकtenir फिर झपकी ले कर सो गया। Plus d'informations ! Plus que jamais ! Plus d'informations, plus d'informations लेकिन सुकरात फिर चुप ही रहे। श्यामा को फिर झपकी लग गई लेकिन तीसरी बार गुरू ने फिर आवाज दी श्यामा उसने फिर कहा जी!
वह हैरान हुआ मन में। यह गुरू पागल तो नहीं हो गया? बुलाता है, लेकिन बुलाने पर कभी पूर्ण-विराम तो होता नहीं बुलाने के आगे बात चलती है। गुरू का बुलाना किसी वासना की पुकार नहीं है, कोई मांग नहीं है। Plus d'informations वह तुम्हें कहीं और ले जाना चाहता है, कुछ पाने में लगाना चाहता है, उसके बुलाने में पूरी बात पूरी हो गई। उसके बुलाना अगर तुम समझ सको तो ध्यान बन जाये उसकी पुकार तुम्हारे भीतर तंद्रा को तोड़ देना है, श्यामा के उस एक क्षण में विचाrop है, श्याकेा के एक एक क्षण में विचार भी बंद हो जाते है है है तभी.
अगर श्यामा खोया ही रहे तो पता ही नहीं चलेगा गुरू ने कब बुलाया! Plus d'informations श्यामा अगर तंद्रा में ही डूबा रहे तो यह आवाज तीर की तरह प्रवेश नहीं करेगी। Plus d'informations गुरू बुलाता है और चुप हो जाता है। गुरू अक्सर पागल मालूम होगा। तुम पागलो की दुनिया में हो तो उसकी नियति तुम्हें पागल ही लगेगी। श्यामा भी सोच रहा था। कि गुरू को क्या हो गया है? आवाज देते है और चुप हो जाते है, यह कैसी आवाज? हम समझ पाते हैं
किसी भी चीज को अगर उसमें शृंखला हो। हम उस रास्ते को समझ पाते हैं, जो कहीं पहूंचाता हो कोई मंजिल हो हो। लेकिन रास्ता हो और कहीं नहीं जाता हो तो हम बड़ी विडंबना में पड़ जाते हैं। श्यामा विडंबना में पड़ गया। इसलिये गुरू ने उसकी भीतरी विडंबना को देख कर कहा कि श्यामा मुझे तुमसे कtenir कोई वासना, कोई इच्छा का संबंध भी नहीं। मैं तुमसे कुछ चाहता भी नहीं हूं। मेरी कोई मांग भी नहीं। तुम्हारा किसी भांति का कोई शोषण नहीं करना है, फिर भी तुम्हें पुकार रहा हूं, फिर भी तुम्हें बुला रहा हूं। मुझे तुमसे क्षमा मांगनी चाहिये। Plus d'informations बेकार ही बुला रहे हो।
हम समझ लेते हैं, जब कोई काम हो। Plus d'informations हम तो परमात Joh लोग मेरे पास आते है, वे कहते है, परमात्मा ने यह सृष्टि किस प्रयोजन से बनायी?
Plus d'informations हम बिना काम एक कदम नहीं उठायेंगे। हम बिना काम आंख भी नहीं हिलायेंगें। एक भिखारी एक रास्ते के किनारे बैठा था और एक राह भटक गये यात्री ने उससे पूछा कि क्या तुम बता सकोगे कि यह र tiéास्ता कहां जा रहा है यह यह र रास्ता कहां जा रहा है? उस भिखारी ने कहा मैं कई साल से यहां रहा हूं पर रास्ते को ज जाते मैंने नहीं देखा। हां, लोग इस पर आते-जाते हैं। ठीक इसी तरह तुम सोते रहते हो और नींद में सपने आते जाते रहते है, पर तुम वहीं की वहीं रहते हो। उस भिखारी ने कहा, जहां तक मेरी समझ है।
लेकिन तुम अपने जीवन में इसी प्रकार काफी यiner चाहे भोग हो तो भी तुम दोड़ते ही हो, चाहे योग तो भी तुम्हारा श्रम जारी रहता है।
जिस दिन तुम नींद से जाग जाओगे जिस दिन तुम रास्ते की भांति हो जाओगे, जो कहीं भी आना-जाना नहीं।।। जिस दिन तुम्हारी वासना गिरे, जिस दिन न योग तुम्हें बुलायेगा न भोग भोग, जिस न न संसार तुम्हें खीचेगा, जिस ज जाने की ब बœuvre Plus d'informations यह पुकार निष्प्रयोजन है। यह पुकार लीला है। यह पुकार एक खेल है।
श्यामा के भीतर जगी चिंता को देख कर गुरू ने कहा मैं अकारण ही तुझे जगाता हूं, सोने नहीं देता, तुझे हिलाता हूं, न उठ क__° तुझे सोने नहीं देता। उस दिन शtenir सोचने भी नहीं देते शांति से भीतर भी विघ्न खड़ा कर देते है। लेकिन तत्क्षण गुरू ने कहा, मुझे ही तुझसे क्षमा मांगनी चाहिये, तीन बार बुलाना पड़iner वस्तुतः तो तुझे ही क्षमा मांगनी चाहिये क्योंकि तेरी नींद के लिये तू ही जिम्मेवार है। तेरे आलस्य के लिये तू ही आधार है। तीसरी बार बुलाना पड़ा फिर भी तू करवट लेता है और सो जाता है।
Plus d'informations Plus d'informations, plus d'informations तुम कहोगे कि एक ही आवाज में जो बात हो जानी चाहिये थी उसके लिये अक अकारण तुम्हें तीन हजार बार दोहराना पड़ा। बुद्ध से किसी ने पूछा कि मैं पूछता हूं एक बार आप कहते है तीन ब बार बात क्या है? बुद्ध ने कहा तीन बार में भी कोई सुन ले तो अनूठा है, अद्वितीय है। तीन बार में भी कौन सुनता है? तुम वहां मौजुद भी नहीं हो सुनने को। तुमने प्रश्न पूछा कि तुम सो गये। तुम प्रश्न भी शायद नींद में पूछते हो। ठीक इसी प्रकार जब कभी मैं कुछ विशेष सiner तब तुम नींद से जागते हो।
इसलिये सभी पुराने अनुभवियों ने कहा है, गुरू के बिना ज्ञान न होगा। Plus d'informations गुरू के बिना तो होगा नहीं। गुरू का इतना ही मतलब है कि कोई तुम्हारे द्वार पर चोट किये ही चला जाये। यह चोट विनम्र ही होगी। यह चोट कोई आक्रमक नहीं हो सकती। यह चोट पानी की तरह होगी। जैसे पानी चटटन पर गिरता है। Plus d'informations गुरू कठोर हो नहीं सकता और गुरू दोहराता रहेगा तुम्हें नींद से जगाता रहेगा। धीमी और मधुर आवाज तुम्हारी उस नींद के पत्थर को भी काट डालेगी।
इसलिये हमारे ऋषियों ने कहा है कि गुरू पानी की तरह है, तुम पत्थर की तरह हो। लेकिन ध्यान रखना, आखिर में तुम ही हारोगे, तुम्हारी मजबूती ज्यादा काम नहीं आयेगी। पानी गिरता रहेगा। Plus d'informations आज नहीं कल तुम पाओगे कि तुम्हारी नींद रूपी चट्टान समाप्त हो गयी, पानी अब भी ह रहा है।। गयी प. गुरू की चोट तो मधुर है लेकिन गहरी है और मधुर उस अर्थ में है-इस अर्थ में नहीं कि मीठी है और तुम्हारी नींद की सहयोगी होगी नहीं मधु. इसलिये मैं तुम्हें बुला रहा हूं, वह ज्ञान दें रहा हूं जिससे तुम इस जीवन में इस नींद ूपी ूपीcre माया से निकल कर जाग सकों चैतन्य वान बन सकें यह कर जœuvre श्यामा में इतनी श्रद्धा है कि सुकरात बुलाते तो जी जरूर कहता। कम से कम नाराज नहीं हो रहा है। Plus que jamais ! अगर कुछ कहना है तो कहो, अन्यथा श्यामा, श्यामा बार-बार क्या कर रहे हो? Plus d'informations Plus d'informations क्योंकि जब श Joh श्रद्धा पूरी संदेह है, लेकिन संदेह भी पूरा नहीं है, नहीं तो तुम सो जाओगे आधे-अधूरे ही।
एक बार मुल्ला नसरूदीन को यह भ्रांति हो गयी थी कि वह मर गया है। जहर खा लिया था। Plus que jamais ! जहर भी खा लिया, मरा भी नहीं। Plus que jamais! यहां तो माया ही माया है। दूध में पानी मिलाते थे लोग, अब कलियुग आ गया, पानी में दूध मिलाते हैं। Plus que jamais ! मुल्ला नसरूदीन जहर खा कर सो गया। सुबह उठा तो अपनी पत्नी से बोला कि नाश्ता मेरे लिये मत बनाना मैं, मर चुका हूं। पत्नी ने कहा होश में हो ? जाग गये कि नींद में हो? नसरूदीन नेकहा तू होश में है? Plus d'informations Plus d'informations पहले तो समझी मजाक कर रहा है, लेकिन जब वह मान ही नहीं नहीं, भोजन न करे, न नहाये वह कहे कि नहाना क्या, जब मर ही गये तो कौन नहाना क्या, मर ही गये तो कौन नहाना, किसका नहाना कैसर °mine भोजन न किया नहाया नहीं उठे नहीं। घर के लोग घबड़ा गये, कहा कि कुछ गड़बड़ हो गयी है, दिमाग में खराबी आ गयी है। मनोवैज्ञानिक के पास ले गये। मनोवैज्ञानिक ने भी बहुत समझाया कि भाई तुम जिन्दा हो, भले-चंगे हो। कुर्सी से उठाकर चलो।
उठकर चला तो कहा देखते हुये नहीं चल रहे हो उसने कहा कि भूत-प्रेत भी चलते हैं। Plus d'informations जैसे भूत-प्रेतों के होते हैं। Plus d'informations दलील पर दलील करे। अब जिंदा आदमी हो और अगर मरने की उसे भ्रांति हो जाये, तो दलीलें तो देगा ही। उस मनोवैज्ञानिक ने कहा एक काम कर यह तू मानता है कि मुर्दा आदमी में से खून नहीं निकल सकता? उसने कहा मानता हूं कि मुर्दे से खून नहीं निकल सकता, कभी नहीं निकाल सकता। मनोवैज्ञानिक ने चाकू से उसके हाथ में थोड़ा-सा चीरा मारा, खून की धारा फूट पड़ी। मनौवैज्ञानिक ने कहा अब क्या कहते हो? बड़े मियां अब क्या कहते हो?
मुल्ला नसरूदीन खिलखिलाकर हंसा उसने कहा कि इससे यही सिद्ध होता है कि मुर्दे से भी खून निकल सकता है।। कि. वह धारण गलत थी। ठीक इसी प्रकार तुम नींद में हो अभी तक कि जो हो रहा व अच्छा हो रहा है। जो होगा व भी भगवान अच्छा ही करेगा। बदल दो अपने सिद्धांत तुम्हें किसी ने चाकू से काट कर दिखाया नहीं।
तुम जो चाहो मान लो। सारी बात नींद से जागने की है और इसलिये गुरू तुम्हारे जीवन में एक बदलाहट लाना चाहता है। Plus d'informations सोने के लिये स्थान बदलना नहीं होता, मन स्थिति बदलनी होती है। और लोग स्थान बदल रहे हैं। कोई चला हिमालय, कोई चला काशी, काबा। Plus d'informations घर छोड़ दिया, बाजार छोड़ दिया। कहां जाओगे? मन तुम्हारे साथ होगा। Plus d'informations
ये जो हमारे ऋषि-मुनियों को सतानें जो उर्वशि, मेनका आदि आप्सरायें उतरती है, ये किसी आकाश से नहीं उतरती।।। ये किसी. ये ऋषि-मुनि छोड़ आये अपनी घर की मेनका को, लेकिन मन नहीं छोड़ सकते। मन नहीं छूटा तो मेनका कैसे छूटेगी ? अब ये बैठे है झाड़ के नीचे हिमालय में और मेनका इनके चारों तरफ नाचती है। मेनका को पड़ी है कुछ कि इनके चारों तरफ नाचे कुछ उसे और भी काम होगiner Plus d'informations यह मेनका नहीं है हमारा मन है।
गुरू कहते हैं कि तुम जिस चीज की भी आकiner दिखाई पड़ने लगेगी। भूखे आदमी को आकाश में चांद नहीं दिखता चपाती तैरती हुई दिखाई पड़ती है। Plus d'informations Plus d'informations, plus d'informations किसी कंजूस से पूछो वह कहेगा कि चांदी की तश्तरी दिखाई पड़ती है।। लोगों को अलग-अलग चीजें दिखाई पडे़गी, चांद बेचारे का क्या कसूर? चांद का इसमें कुछ हाथ नहीं। Plus d'informations तुम्हें नींद में सपने में सब प्रतिबिम्ब ही दिखाई पड़ता है। Plus d'informations
एक आश्रम में काफी भिक्षु थे। नियम तो यही है बौद्ध भिक्षुओं का कि सूरज ढलने के पहले एक ब बार वे भोजन कर लें। लेकिन गुरू के संबंध में एक बड़ी अनूठी बात थी, कि वह सदा सूरज ढल जाने के बाद ही भोजनरता। और नियम तो यह है कि बौद्ध भिक्षु सदा सूरज ढलने से पूर्व सामूहिक रूप से भोजन करें ताकि सब एक दूसरे को देख सके कौन कौनरें ताकि सब एक दूसरे को देख सके कि कौन क्या खा-पी erci है? Plus d'informations लेकिन इनके गुरू की एक नियमित आदत थी कि वह रात अपने झोपड़ी के सब दरवाजे बंद करके ही वह भोजनरता था और ° trage और यह खबर सम्राट तक पहुंच गयी। Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations गुरू की महिमा दिखाई नहीं पड़ती। Plus d'informations रात भोजन कर रहा है, यह हमें तत्काल दिखायी पड़ता है और कमरा बंद क्यों करता है?
सम्राट को भी संदेह हुआ। सम्राट भी शिष्य था। उसने कहा, इसका तो पता लगाना होगा। यह तो भ्रषtenir अन्यथा छिपने की क्या जरूरत है? द्वार बंद करने का सवाल ही क्या है? Plus d'informations Plus d'informations स्वभावतः हम सबके नियम यही है। हम गुप्त उसी को रखते हैं, जो गलत है। प्रगट हम उसको करते हैं जो ठीक है। ठीक के लिये छिपाना नहीं पड़ रहा है, गलत के लिये छिपाना पड़ रहा है। Plus d'informations यह हमारा व्यवहार है, अज्ञानी का व्यवहार है कि गलती को छिपाओ, ठीक प्रगट करों। ना भी हो ठीक प्रकट करने को तो भी ऐसा प्रकट करो कि ठीक तुम्हारे पास हैर गलत को दबाओं ओर छिपाओं।। है. किसी को पता न चलने दो, गुप्त रखो तो हम सबकी जिंदगी में बड़े अध्याय गुप्त हैं। Plus d'informations Plus d'informations
सम्राट ने कहा पता लगाना पडे़गा रात सम्राट और उसका वजीर गुरू के झोंपड़ी के पीछे छिप गये नग्न तलवारें लेकर क्योंकि यह तलव तलव__èref. Plus d'informations उनको हमेशा ही खतरा रहता है। सांझ हुई गुरू आया। Plus d'informations द्वार बन्द किये। जहां ये छिपे थे, इन्होंने दीवार में एक छेद करवा रखा था ताकि वहां से देख सकें्वार बन्द किये। बडे़ हैरान कि गुरू भी अद्भुत था। वह उनकी तरफ पीठ करके बैठ गया, जहां छेद था और उसने बिलकुल छिपा कर अपने पात्र से भोजनरना शुरू कर दिया। Plus d'informations यह आदमी तो बहुत ही चालाक है। उनको यह खtenir
सम्राट और उसके साथी छलांग लगा कर खिड़की को तोड़ कर दोनों अंदर पहुंच गये। Plus d'informations सम्राट ने कहा कि हम बिना देखे नहीं लौटेंगे कि तुम क्या खा रहे हो? Plus d'informations तब तो सम्राट और संदिग्ध हो गया। उसने कहा हाथ अलग करो अब हम शिष्य की मर्यादा भी नहीं मानेंगे। गुरू ने कहा जैसी तुम्हारी मर्जी लेकिन सम्राट की आंखें ऐसी साधारण चीजों पर पड़े यह सही नहीं है है।।। प. गुरू ने चावर हटा लिया भिक्षापात्र में न तो कोई मिष्ठान्न थे न कोई्वादिष्ट पदार्थ थे भिक्षा-पात् cet में Dieu
अब सम्राट मुश्किल में पड़ गया। Plus d'informations उसने कहा इसको छिपा कर खाने की क्या जरूरत है? गुरू ने कहा क्या तुम सोचते हो गलत को ही छिपाया जईा? सही को भी छिपाना पड़ता है। Plus d'informations Plus d'informations गुरू हंसने लगा और उसने कहा कि मैं जानता था, आज नहीं कल तुम आओगे क्योंकि तुम सबकी नजरें क्षुद्र पर है। उस विराट घट जो तुम्हें दिखायी नहीं पड़ता लेकिन बस यह मेरी आखिरी सांझ है। इस आश्राम को मैं छोड़ रहा हूं। Plus d'informations मैं तुम्हारी अपेक्षाये पूरी नहीं कर सकता और जब तक मैं तुम्हारी अपेक्षाओं को पूरा करूगा तो तुम्हें कैसे बदलूंगाओं? Plus d'informations
सिर्फ वहीं गुरू तुम्हें बदल सकता है, जो तुम्हारी अपेक्षाओं के अनुकूल नहीं चलता। जो तुम्हारे पीछे है, वह तुम्हें नहीं बदल सकता, और बड़ा कठिन है उस गुरू के पीछे चलना जो तुम्हारे पीछे चलत चलता हो दूष्कर है।।। पीछे नहीं चलत. रास्ता अत्यन्त कंटकाकीर्ण है फिर शिषtenir इसलिये कभी गुरू को व्यवहार से मत मापना क्योंकि हो सकता है गुरू का व्यवहार तोर्फ तुम्हें नींद से. Plus d'informations, plus d'informations और जिस दिन तुम मुझसे जुड़ जाओगे, जिस दिन तुम्हारे मेरे बीच एक सेतु बंध जायेगा, उसी तुम्हारे जीवन में क्रœuvrevicité Plus d'informations गुरू कुछ करेगा नहीं। Plus d'informations तुम्हारा मेरे पास होना काफी है। और मैं तुम्हें बढा़ रहा हूं अपनी उपस्थिति में और तुम बढ़ रहे हो तुम्हारा चांद प्रगट हो रहा है।
जब भी गुरू तुम्हें बुलाये श्यामा तो तुम भूल जाना संदेह को और श्रद्धा से कह देना जी, और गुरू बार-बार बुलाये तो भी तुम बार-बार उत्तर देना जी, बार-बार सावधान होना क्योंकि गुरू की पानी जैसी चोट तुम्हारी नींद रूपी चट्टान को आज नहीं तो कल तोड़ देगी। T Plus d'informations
Sa Sainteté le Sadhgurudev
M. Kailash Shrimali
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