स्वयं आत्म शक्ति का निरन्तर चिंतन कर उसमें वृद्धि की चेतना का विस्तार हो सके, यह ठीक उसी प्रकœuvre अपने भीतर भावों की स्तुति का तात्पर्य जीवन निर्माण की क्रिया से जुड़ा होता है। भवन यदि पूर्ण रूप से मजबूत है, तो चाहे कितने ही तूफान क्यों न आयें, झटके लगे विप विपरीत स्थितियाँ आये, जीवन ूपी भवन को कोई्षति नहीं पहुँचाँ सकती.
प्रत्येक मनुष्य बहुआयामी होता है। इस जीवन में ही विभिन्न प्रकार के रंग, तरंग, उमंग है, तो कहीं हताश-निराशा, परेशानी भी है।। जहां जीवन में सुख है, तो दुःख भी है, जीवन में पीड़ा है, तो आनन्द भी है। यह सारी स्थितियाँ मनुष्य को विचलित भी करती हैं और ज्यादातर व्यक्ति अपने जीवन की्याओं कातर व्यक्ति अपने जीवन समस्याओं का स्थायीाधाधान नहीं opération पाते. इन सब बाधाओं और समस्याओं को अनुकूल बनाने का उपाय केवल और केवल शक्ति के्वारा ही संभव है।।।.
त्रि-शक्ति स्वरूपा शक्ति के माध्यम से जीवन की सफलत. धन, दौलत, पद-प्रतिष्ठा, स्वास्थ, पारिवारिक सुख, सुन्दर भवन, वाहन आदि अनेक सुखों से जीवन सम्पूर्णता से्त होता हैं सुखों जीवन सम्पूर्णता से्त होता हैं।। जीवन. शक्ति के द्वारा ही जीवन की समस्त परिस्थितियों में विजय प्राप्त की जा सकती है। शक्ति उपासना रूपी शस्त्र से जीवन के समस्त शत्रुओं को परास्त कर जीवन के महासंग्राम में विजय प्राप्त होती है के मह।. शक्ति साधना ऊर्जा का मूल स्त्रोत है, जिससे व्यक्ति शारीरिक व आत्मिक रूप से बल, ओज और तेजस्विता से्त होता है बल बल ओजर तेजस्विता से्त होता है।। ओज. जो उसे जीवन के हर क्षेत्र में विजयी बनाने में सहायक सिद्ध होती है।
नवरात्रि और वसंत पंचमी के चेतनावान क्षणों में कर्म ज्ञान त्रि-शक्ति स्वरूपा महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के वरमुद्रा की चेतना से आप्लावित होकर अपने जीवन में पोषण, वर्धन, कालरूपी स्थितियों को समाप्त करने की क्रियात्मक शक्ति से युक्त होकर जीवन की विसंगतियों पर विजय प्राप्त करने की ऊर्जा नव वर्ष त्रि-शक्ति स्वरूपा क्रिया, इच्छा, वर्धन शक्तिपात दीक्षा से्राप्त कर सकेंगे्तिपात दीक्षा से्राप्त कर सकेंगे।।।. Plus d'informations दीक्षा प्राप्त करने पर साधक की इच्छाये क्रियान्वित रूप में सम्पन्न हो सकेगी सकेगी।।।. जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, आय वृद्धि, कर्म शक्ति, धन लाभ वैभव युक्त उमंग, उत्साह, प्रसन्नता, सम्पन्नता की्राप्ति्ति हो सकेगी।.
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