जिस प्रकार पुष्प में गंध, चन्द्र में शीतलता, सूर्य में प्रभा सिद्ध है। उसी प्रकार शिव में शक्ति भी सिद्ध है, शक्ति को किसी भी रूप में भी कहा जाये उमा, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वतीlan शिव पुरूष रूप है तो उमा स्त्री स्वरूप, शिव ब्रह्म है तो उमा सरस्वती, शिव विष्णु और उमा लक्ष्मी सरस्वती अभेद हैं इनकी__ère उम्ष्मी.
भगवान शिव आध्यात्मिकता के देव हैं तो भौतिकतiner शक्ति स्वरूपा उमा सदा उनके साथ रहती है, जहां शिव है वहीं भगवती है, शिव आराधना से ही भगवती की कृपा प्राप्त की. सांसारिक प्राणी सदैव यम अर्थात् मृत्यु रोग भय से बचने का प्रयत्न करता है और केवल शिव ही काल से्न करताकक, मृत्यंजय है जो__° मृत..
श्रीविद्या दीक्षा का अर्थ है कि साधक का जो शरीर है, उसे ही श्रीयुक्त बना दिया जाये, साधक के शरीर को ही श्रीयंत्र बना दिया जाये, यही श्रीविद्या दीक्षा का सार है और श्री का तात्पर्य है- जीवन की पूर्णता, यश, वैभव, प्रतिष्ठा , ऐश्वर्य, धन-धान्य और वह सब कुछ जो हमारे जीवन की आवश्यकता है। Plus d'informations Plus d'informations, plus d'informations जीवन की सभी गतिविधियों के हम संचालक हो, हम निर्धारक हों, हमारा उन पर नियंत्रण हो सके, हम परिस्थितियों का नियंत्रण कर सकें, यही्रीयुक्त्थितियों. से अपने रोम-रोम में आत्मसात् कर सकें।
इस दीक्षा को ग्रहण करने के बाद साधक शरीर ही श्री यंत्र का एक रूप बन जाता है, यदि इस शरीर में ही श्री यंत्र के तत्व समाहित हो जायेंगे तो सर्वस्व हर प्रकार की उन्नति, श्रेष्ठता स्वतः ही प्राप्त हो जायेगी। जीवन के सभी तत्वों की पूर्ति होने लगती है और जीवन अभावहीन बन जाता है अर्थात् हमारे जीवन की जो जो भी आवश्यकतœuvre है जीवन सर्व सौभाग्य सहस्त्र लक्षtenir
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