Plus d'informations सभी साधकों के लिए इस श्लोक में उन प्रश्नों को उठाया है, जो प्रश्न हृदय में उठ सकते हैं हैं। प. इन श्लोक में उन प्रश्नों के उत्तर दिए हैं, जो आपके लिये जरूरी हैं।
प्रश्न है- हमारे जीवन में हम किन कारणों से तनावमय, दुःखमय, चिंतामय रहते हैं हैं? इग्लैण्ड और अमेरिका में, जहां देवताओं ने जन्म लिया ही नहीं नहीं, वहां लोग सुखी क्यों हैं? क्या कारण है, कि हम दुःखी है और वे सुखी हैं, उनके पास धन है, इसका मूल कारण क्या है?
यह आप लोगों की एक शंका है, कि वे ज्यादादा सुखी हैं और आप दुःखी हैं और भारतवर्ष में हमने यह देखा है उनकी अपेक्षा हमर्ष हैं धन के म. यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि हम इतने दरिद्र, हम इतने परेशान क्यों हैं? यदि यहां गणपति हैं, यहां शिव हैं, लक्ष्मी हैं, साधनायें हैं, मंत्रजप हैं, गुरू हैं तो ये सब होते हुए भी क्यों हमारी दरिद्रता नहीं ज हुए भी्यों?
हमारी परेशानियां क्यों नहीं मिटती हैं और हमारे जीवन में अभाव क्यों है?, यह आप लोगों का ही सोचना है आप आप हैं हैं इसलिये इसलिये आप ने ने वहœuvre वे सब यहां आते है तो बहुत अच्छे कपड़े पहन कर आते हैं हैं, चाहे आपके भाई हों या मित्र हों, यहां रहकर आप उनकीरेशानियों को नहीं समझ सकते हैं।.
24 घण्टे वे काम में लगे रहते हैं, चाहे पति हो, चाहे पत्नी हो, चाहे बेटा हो या बेटी हो, सात दिनों वे एक दूसरे से मिल ही नहीं नहीं प. यहां जो पारिवारिक वातावरण आपको मिलता है, उनको नहीं मिलता। मैं उनके घर में रहा हूं और कई बार रहा हूं, एक बार नहीं बीस बार। Plus d'informations जितना दुःख उनको है, आपको नहीं। Plus de 22 jours हमारे यहां केवल 6 प्रतिशत है। ऐसा क्यों हो रहा है? इसलिये कि उनके जीवन में धर्म का और गुरू का कोई स्थान नहीं है और हमारे जीवन धर्म का स्थान हैर हम फिर भी्मcreय .cre Plus d'informations Plus d'informations जब वे यहां आते हैं तो अच्छे कपड़े पहने होते हैं, अच्छी घड़ी होती है है अच्छा बैग होता है, लेकिन उनके बैग से आप उनके जीवन को नही सकते सकते सकते उनके मूल्य को से आप जीवन को नही आंक सकते सकते उनके मूल्य को नहीं आंक।। नही सकते सकते सकते उनके. Plus d'informations सुबह उठते हैं तो पति अपनी चाय बनाकर पीता है, पत्नी अपनी चाय बनाकर दौड़ती हैं, आपस में मिलते ही नहीं, सात दिनों एक एक बार मिलते हैं। नहीं नहीं, सात दिनों एक एक बार मिलते हैं। रात को ग्यारह बजे आते हैं तो होटल में खाकर आते हैं और लेट जाते हैं। Plus d'informations जब हम अपने जीवन में ईश्वर को स्थान नहीं दे पाते, तो हमारे जीवन में पfacedé इसका मतलब यह नहीं है कि हम परेशान नहीं है— मगर उसका समाधान है।
Plus d'informations जब विश्वास डगमगा जाता है, तब जीवन में धर्म नहीं रह पाता, आस्था नहीं ह पाती, पुण्य नहीं ह पाता नहीं में प्nerci भी कुछ ही समय में। ऐसा नहीं है कि मंत्र जप आज करें और बीस साल बाद फल मिले मिले, उस फल की कोई्ता नहीं है। दुःख आपको आज हैं, धन की परेशानी आज है और मैं तुम्हें मंत्र दूं और पांच साल बाद लाभ मिले तो मंत्र का कोई फाल.
आप ट्यूब लाइट या बल्ब लगायें और स्विच दबायें और दो साल बाद लाइट आये तो उस लर की कोई उपयोगिता नहीं है। आये आये उस ल. Plus d'informations Plus d'informations यदि ऐसा है, तो गुरू सही हैं अन्यथा गुरू फ्रॉड हैं, फिर छल है, झूठ है, वह गुरू बनने के काबिल नहीं है। Plus d'informations मैं यहां बटन दबाता रहूं और ट्यूब आपकी फ्रयूज है, तो मैं उसे जला नहीं सकता। यदि आपमें आस्था है ही नहीं, न गणपति में है, न गुरू में आस्था है, न देवताओं में आस्था है तो मैं मैं कितने बटन दब. लाइट लगाई है पर जलती नहीं है। है।— तो लाइट जल ही नहीं सकती तीस साल तक दब दबाते रहें तो भी लाइट नहीं जल सकती।।।।।।।।।।।।।।।।। आवश्यकता इस बात की है कि आप इस बात को समझें और आपको अनुकूलता प्राप्त हो।
हमारे मन में विश्वास नहीं रहा देवताओं के प्रति, अपने आप पर भी विश्वास नहीं रहा। Plus d'informations मैं कहता हूं, तुम्हें मंत्र जप करना है, तुम्हें सफलता मिलेगी तो अनमने मन से।। आप मंत्र जप भले ही करेंगे परन्तु एक जो गहराई होनी चाहिये, वह आप में नहीं हैं हैं। ऊपर से आप मुझे गुरू भले ही कहेंगे, मगर मन में जो अटैचमैंट बनना चाहिये वह नहीं बन पाता और अटैचमैंट नहीं बन पाता तो ज्योंही अपनी तपसœuvre
Plus d'informations जहां मैं खड़ा हूं वहाँ आपको खड़ा होना पड़ेगा, तब मैं दे पाऊंगा और आप ले पाएंगे। फिर मंत्र जप करने से कुछ नहीं हो पाएगा, मंत्र देने से भी कुछ नहीं हो पाएगा, आवश्यकता है कि मैं दूं और आप पूरे शरी__° में उसे ध मैं दूंर आप पूरे शरीर में उसे धरण कर सकें। पूरे शरीर में उसे धारण कर सकें। ।रे शरी__° मैं जो दूं उसे आप कानों से ही नहीं सुनें, बल्कि पूरे शरीर में वे मंत्र समा जाने चाहिये।
भोजन मैं आपको दूं और आप भोजन करें तो पूरा खून बनना चाहिये और पूरे शरीर में घूमना चाहिये। मैं भोजन दूं, और आप उसे पचा नहीं पाएं उसका खून नहीं बन सकता, ताकत नहीं मिल सकती। Plus d'informations Plus d'informations एक मिनट में खून नहीं बन सकता। Plus d'informations
इतना विश्वास करना ही पड़ेगा, कि जो भोजन किया है उसका खून बनेगा ही, इतना विश्वास करना पड़ेगा कि भोजन किया है, उसका लाभ मिलेगा ही।। भोजन किय. मंत्र की स्थिति यही है। मैं आपको मंत्र दूं तो उसके प्रति आस्था बननी चाहिये आपकी, आध्यात्म चेतना बननी चाहिये, चाहे वह एक दिन में बने या दो दिन में में।।. मंत्र दिया है, तो चेतना बनेगी ही बनेगी। यह हो ही नहीं सकता कि मैं मंत्र दूं और आपको सफलता नहीं मिले। यह हो सकता है कि आपसे कम मिल पाऊं, हो सकता है कि केवल एक मिनट मिलें मिलें। Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations बिना बुलाये तो न गुface Plus d'informations दूसरों के जीवन में लगता है कि उसमें कम तनाव है, परन्तु यदि हम उसको अंदर से कुरेदेंगे तो पता लगेगा, उनकी्दगी खोलकर देखें कुरेदेंगे तो पड़ेगा लगेग. —और श्लोक में यही बताया गया है कि पीड़ा है, बाधा है, अड़चन है, कठिनाइयां हैं तो सबसे पहले उस र ercières तुम्हारे, पति-पत्नी के बीच विश्वास नहीं होगा, तो भी आप बीस साल एक छत के नीचे हेंगे तो भी न आप आप्नी का लाभ उठा सकते हैं औ. Plus d'informations यह नहीं कि आप मर जाएंगे, मगर जो जीवन का आनन्द होना चाहिये वह नहीं होगा।
आप बीस साल मेरे साथ रहें और अगर विश्वास नहीं होगा तो मैं जो मंत्र और साधना दूंगा उनका लाभ आप नहीं उठा पर।। Plus d'informations, plus d'informations ऐसी दीक्षा मैं आपको देना भी नहीं चाहता और ऐसी दीक्षा से लाभ भी नहीं है। तुम्हारा पैसा भी मुझे नहीं चाहिये, नारियल हाथ में रखने से और तिलक करने से कुछ नहीं हो पाएगा। Tous les autres आपने दो पैसे खर्च किये, तो आपको लाभ होना ही चाहिये यदि मैं आपको दीक्षा दूं तो उनका मंत्र आपके हृदय में उतरना ही चाहिए, उतरे, और आप उसक लरन. मन में एक शांति मिली है और आपके हृदय में एक ऐसा विश्वास पैदा होना चाहिये कि मंत्र-जप के बाद आपके चेहरे पर एक .cre
— और ऐसा होगा तो जो मैंने मंत्र दिया है वह चाहे गुरू का मंत्र हो, लक्ष्मी का मंत्र हो, चाहे गणपति का मंत्र हो। Plus d'informations हम जाते हैं और गंगा में स्नान करते हैं तो बहुत शांति अनुभव करते हैं आज आज गंगा में्नान किया, जीवन्य हो गय गया।— और हरिद्वार क हने वLat गंगा।— औ négation उनकी आस्था ही नहीं है हरिद्वार में। उनको गंगा में आस्था है ही नहीं। उनके लिए वह सिर्फ नदी है और हम जाते हैं तो पवित्रता अनुभव होती है। ऐसा क्यों है? इसलिये कि हमारे मन में गंगा के प्रति अटैचमैंट है, एक भावना है, उनके मन में भावना है ही नहीं। जो बहुत आसानी से प्राप्त हो जाता है उसके प्रति भावना रहती ही नहीं। यदि गुरू आसानी से मिल जाएंगे तो उनके प्रति वैसा भाव रहेगा ही नहीं।
तुम्हारे, मेरे मन में भावना है गंगा के प्रति, तो शीतलता अनुभव होगी ही। Plus d'informations इसलिये जब आप स्नान करते हैं तो इतनी पवित्रता अनुभव करते है, सिर्फ महसूस क.. आत्मा को आनन्द मिलता है, जीवन की पूर्णता मिलती है, जीवन को चेतना मिलती है और जीवन में जो कुछ हम चाहते हैं वह मिल ही .cre —और जब मैं दीक्षा देता हूं आपको आपको, तो उस्षा के माध्यम से उतनी ही चेतना पैदा होनी चाहिये, मंत्र को धारण करने की्ति पैदाहिये, मंत्र को ध. दीक्षा का तात्पर्य है कि मैं आपको मंत्र दूं और धारण हो जाये, दीक्षा का अर्थ है कि केवल कान ही आपकेœuvre
गुरू ने अगर दिया है मंत्र, तो लाभ होगा ही उससे, गुरू ने अगर उपाय किया है तो ठीक होगा ही, दीक्षा दी तो आपके पूरे शरी__° Plus d'informations कान से मंत्र ग्रहण करना और पूरे शरीर से मंत्र ग्रहण करने में अंतर है, ऐसा हो की एक एक ोम ोम कान बन जाये। Plus d'informations मैं आपको दीकtenir
इस श्लोक में एक अत्यंत तेजस्वी ऋषि विश्वामित्र ने उच्चकोटि की बात कही और विश्वामित्र, जो ऋषि थे थे वे. विश्वामित Johû T । —जरूर उन मंत्रें में और तंत्र में एक ताकत थी जो विश्वामित्र ने राम को दी दी इस्रकार अद्भुत शक्तियां प्रदान की की माnerci.. यद्यपि रघुकुल के गुरू तो वशिष्ठ थे, मगर दशरथ ने राम-लक्ष्मण को स्वयं विश्वामित्र के हाथों में हुए हुए कहा कि आप्वामित्रlan इस प्रकार का अद्भुत तेजस्वी व्यक्तित्व पृथ्वी पर कोई नहीं है।।
इसीलिये मैं अपने दोनों पुत्रें को तंत्र शास्त्र ज्ञान हेतु वशिष्ठ को नहीं क. इसलिए कि ये जीवन में अद्वितीय वtenir तुलसीदास तो बहुत बाद में पैदा हुए, वाल्मीकि तो उस समय थे ही ही, क्योंकि जिस समय सीता को राम ने निष्कासित किया, उस समय .cre
वाल्मीकि रामायण में आता है कि दशरथ ने कहा, मैं अपने दोनों पुत्रें को अद्वितीय बनाना चाहता हूं, ऐसा बनाना चाहता हूं कि__ère Plus d'informations तब विश्वामित Joh
मैं तुम्हारे पुत्रें को अद्वितीय बना तो दूंगा, अद्वितीय का मतलब कि उनके मुकाबले पृथ्वी पर कोई हो ही नहीं नहीं ये उनके मुकाबले पृथ्वी पर कोई हो ही नहीं नहीं ये कहलायेंगे. केवल मुझे ही गुरू मानें तो। Plus d'informations ये मुझे अपने आप में पूर्णता के साथ में ग्रहण कर लें तो मैं अपनी समस्त सिद्धियां इन्हें दे सकता हूं।।. मैं इनको सिद्धियां तभी दे सकूंगा जब ये पूर्ण रूप से मुझे गुरू स्वीकार कर लेंगे। मुझे पूर्ण रूप से स्वीकार करेंगे तभी मैं इनको ज्ञान दे पाऊंगा। चौथाई मंत्र स्वीकार करेंगे तो इन्हें चौथाई ही ज्ञान दे पाऊंगा क्योंकि
मंत्र में, तीर्थ में, देवताओं में, ब्राह्मण में और गुरू में आपकी भावना जितनी जुड़ेगी उतना ही फल मिलेग. गंगा के प्रति आपकी भावना जितनी ज्यादा होगी, उतनी ही आप पवित्रता अनुभव करेंगे। गुरू के प्रति जितनी भावना होगी, उतना ही आप लाभ उठा पाएंगे। यदि आप दूर से ही प्रणाम करेंगे और गुरू में कोई अटैचमैंट नहीं होगcre
Plus d'informations एक श्रद्धा होती है, एक बुद्धि होती है। आदमी दो तरीकों में जीवन व्यतीत करता है, श्रद्धा के माध्यम से और बुद्धि के माध्यम से।। से. जो बुद्धि के माध्यम से प्राप्त करते हैं जीवन को को, वे जीवन में सुख प्राप्त नहींES वे हर समय तनाव में रहते हैं। वे समझते हैं, हम बहुत चालाक हैं, बहुत होशियार हैं, हमने जीवन में इसको धोखा दे दिया, इसको मूर्ख बना दिया, इसको कुछ भी कर दिया और हम ज्यादा सफलता प्राप्त्त्त्त__क__ère सकते हैं हैं वे नहीं। सकतेसफलत. हर क्षण उनके जीवन में तनाव होता है और जीवन में आनन्द क्या होता है, सुख क्या होता है, वे अनुभवर ही__ही नहीं सकते क्या होता हैlan बुद्धि तो कहेगी कि यह शिवलिंग है ही नहीं, एक पत्थर है, और पत्थर के माध्यम से तुम्हें सफलता नहीं मिल सकती सकती।।. बुद्धि तो यह भी कहती है कि पत्नी है तो कtenir Plus d'informations
तुम्हारी जिन्दगी में आनन्द तभी हो सकता है, जब बुद्धि को एक तरफ करके श्रद्धा के द्वारा जुड़ोगे। देवताओं के प्रति, मंत्र के प्रति, तीर्थ के पtenir यह आपके हाथ में है कि आप बुद्धि से जुड़ते हैं, कि श्रद्धा से जुड़ते हैं। अगर मेरे प्रति श्रद्धा नहीं है तो कोई लाभ नहीं दे पाऊंगा आपको। यदि आपका मुझ पर प्रेम है, श्रद्धा है, तो ही आप कुछ प्राप्त कर पाएंगे। विश्वास तो करना पड़ेगा ऐसी कौन सी चीज है जीवन में, कि आपने कहा, और हुआ। ये तो आपके जीवन के भोग हैं, और आपके जीवन में केवल तनाव है, आपके जीवन में झूठ है, आपके जीवन में छल है, कपट है, आपने जीवन इतने इतने साल छल और कपट में. ठीक कर लें,— तो ऐसा गुरूजी नहीं कर सकते। दो मिनट में भी ठीक हो सकता है, यदि आप पूर्ण रूप से समर्पित हों।
एक पूर्ण अनजान लड़की, 19 साल की लड़की जिसने अभी जीवन देखा ही नहीं उससे हम शादी करते हैं। मैं अगर करोड़पति हूं और उस लड़की को देखा नहीं जिन्दगी में तो तो शादी की, चार फेरे कियेर ज्योहि घर में लाता हूं सरे घर ज्योहि घर में लाता हूं सारे घर की चाबियां उसे दे देता हूं।। घ. पति अपनी तिजोरी की चाबी दे देता है कि यह तिजोरी की चाबी है यह ले इसमें हीरे हैं, जवाहरात हैं।।। Plus que jamais! Plus d'informations यह मुझसे जुड़ी रहेगी। यह एक अनजान व्यक्ति से किस प्रकार से एकदम पांच मिनट में विश्वास कायम हो सकता है? - और विश्वास होगायम तो ही फल मिल सकतœuvre यदि आपका विश्वास गणपति पर या लक्ष्मी पर होगा, तो ही फल मिल सकता है, यदि आपका विश्वास गणपति पर या लक्ष्मी पर नहीं है तो आप 5 हजर साल लकnce हें. इसलिये विश्वास आपके अन्दर आवश्यक है।— तो विश्वास कैसे बने? विश्वास तो करना ही पड़ेगा।
देवताओं ने आपको जन्म दिया है, शरीर दिया है, भारतवfacenie हम हर समय कोसते रहते हैं देवताओं को और अपने आपको तो उससे जीवन में पूर्णता नहीं मिल सकती।। अगर मैं अपने जीवन में श्रद्धा के माध्यम से सब कुछ प्राप्त कर सकता हूं तो आपको भी उपदेश दे सकत. अगर मैं 19 साल हिमालय में रह सकता हूं तो मैं आपको भी बता सकता हूं कि यह मंत्र सही है। Plus d'informations मैंने भी पढ़ाई, लिखाई की है। एम-ए- किया है, पी-एच-डी- की है यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहा हूं, फिर भी पूरा जीवन हिमालय में व्यतीत कियiner में ताकत है, क्षमता है और उनके माध्यम से, मैं एक अकिंचन ब्राह्मण अगर समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर सकता हूं तो आप (प्राप्त्त्त. मैंने अपना ही उदाहरण लिया।
Tous les autres इतना सा अगर बीज है, हम मुट्ठी में बंद करें तो मुट्ठी में बंद हो जायेगा। मगर वह बीज जब जमीन में गाड़ते हैं और उसे खाद पानी देते हैं तो चार पांच साल में विशाल पेड़ बन जाता है।।।. बड का पेड़ बन जाता है और उसके नीचे 5 सौ व्यक्ति बैठ सकते हैं हैं। उस बीज में इतनी ताकत थी, कि एक पेड़ बन जाये। मैं भी एक बीज था, जमीन में गड़ा, खाद पानी मिला, तकलीफ आई, मगर मैं अपनी क्षमता के साथ उस पथ से जुड़ा रहा। आज मैं वह वृक्ष बना और मेरे सैकड़ों हजारों साधु संन्यासी शिष्य हैं, पूरे भारत वर्ष में शिष्य हैं।।।. Plus d'informations
मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि अगर एक व्यक्ति इस रास्ते पर चलकर सफलता प्राप्त कर सकता है तो तुम. मगर मुझे विश्वास था उस खाद पर, पानी पर, जमीन पर कि ये खाद, पानी, हवा, मुझे पेड़ बनाएंगे।। अगर मैंने संन्यासी-जीवन लिया है तो उसमें पूर्ण सफलता प्राप्त की है। मैं हिला ही नहीं विचलित नहीं हुआ मैं भी नौकरी में था, प्रोफेसर था, अच्छी तनख्वाह ले रहा था उस समय भी 10000 मिल जाते थे। Plus tard, plus tard, plus tard Plus d'informations Plus d'informations इससे जिन्दगी पार नहीं हो सकती। Plus d'informations
यदि मैं ऐसा बन सकता हूं, तो तुम्हें सलाह देने का हक रखता हूं। यदि मैं नहीं बनता, मैं यों ही बैठा रहता तो तुम्हें कहने का हक नहीं रख सकता था। इस रास्ते पर चलकर यह हक प्राप्त कर सकता हूँ, यदि मैं्धियों के माध्यम से असंभव को संभव कर सकता हूं तुम्हें सल्यम से को संभव कर सकता हूं तो्हें सलाह दे सकत. मेरा विश्वास है, आपको विश्वास नहीं है, मेरी गुरू के प्रति असीम श्रद्धा है। यदि गुरू मुझे कह दें कि सब छोड़ कर चले आओ तो मैं पत्नी से मिलूंगा ही नहीं। Plus d'informations
मैंने जिस समय संन्यास लिया, उस समय शादी हुये बस 5 महीने हुए थे थे। पांच महीनों में मैं छोड़ कर चला गया। Plus d'informations Plus d'informations ठोकर तो लगानी पड़ेगी या तो उस पार जाऊंगा या डूब जाऊंगा या मामूली ब्राह्मण बन कर रह जाऊंगा। हिमालय में जाऊंगा तो या तो समाप्त हो जाऊंगा या कुछ प्राप्त कर लूंगा।
आप, पंडित, पुरोहित और ब्राह्मण_ पोथी में पढ़कर उपदेश देते हैं हैं। मैंने जो कुछ जीवन में सीखा है, वह उपदेश दे रहा हूँ, मैं आँखों देखी बात कर रहा हूँ, पोथियों की देखी बात नहीं कर °laire Plus d'informations Plus d'informations मगर मैं देखना चाहता था छानकर, कि यह सब क्या है? मैं केवल सत्य तुम्हारे सामने रखना चाहता हूँ,, क्योंकि तुम मेरे शिष्य हो और मैं तुम्हें शिष्य बना रहा हूँ और दीक्षा दे रहा हूँ और दीक्षा देने के बाद भी मेरा अधिकार समाप्त नहीं हो जाता कि दीक्षा दी और आप अपने घर, मैं अपने घर । Plus d'informations तुम्हारी शिकायत आती है कि गुरू जी, मैं जोधपुर आया, पांच दिन रहा, आप मुझसे मिले ही नहीं। कोई जरूरी नहीं कि पांच दिनों में मिल जाऊं आपको, ऐसा कोई ठेका नहीं ले रखा है। मैं आपको अभी कह रहा हूं, ऐसा नहीं है कि आप आये और मैं दरवाजा खोल कर, सब कुछ छोड़कर तुमसे गले मिल लूं।। यह जरूरी नहीं है कि जो आये उससे मिलूं, मुझे भी अपने घर का कामकाज देखना पड़ेगा, घर में मेहमान आयेंगे उनको भी देखना पड़ेगा।
Plus d'informations आपके प्रति प्रेम में कमी नहीं है, मेरे हृदय के दरवाजे हमेशा खुले हैं। मगर आप आलोचना करने लग जाये कि गुरूजी पांच घंटे मिले ही नहीं, तो कोई जरूरी नहीं है कि मैं मिलूं।। आप कहें कि गुरू जी के पास गया, पांच रूपये भेंट किये मेरी लड़की की शादी हुई ही नहीं। अब पांच रूपये हनुमान जी को चढ़ा दें, हनुमान जी मेरी लॉटरी निकाल दें, हनुमान जी नहीं निकाल सकते तुम्हारी लॉटरी।। नहीं नहीं. Jusqu'à 25 mois हनुमान जी इसलिये नहीं बैठे कि तुमने पांच रूपये का सिन्दूर चढ़ाया और तुम्हारी पांच लाख की लॉटरी निकल गई तुम्हारी लड़की की शादी हो. यह तुम्हारी गलतफहमी है कि हनुमान जी बैठे-बैठे यह करते रहेंगे। ऐसा संभव नहीं होता। तुम आये, तुमने गुरू जी के पांव दबाए और कहा, गुरूजूजी! मेरी लड़की की शादी नहीं हो रही है।
Plus d'informations Est-ce que vous avez besoin d'aide ? प्रश्न पैसे का नहीं है। तुम्हारी तरफ से मुझे प्रेम मिलना चाहिये, श्रद्धा मिलनी चाहिये, अटैचमेंट मिलना चाहिये, समर्पण मिलना चाहिये और सबसे बड़ी बात, आप मेंर्य होनाहिये और सबसे बड़ी बात, आप मेंर्य होनाहिये और सबसे बड़ी ब. Plus que jamais ! Plus d'informations Plus d'informations मैं तुम्हारी आलोचना कर सकता हूं कि तुम्हारी मूंछ अच्छी नहीं है, तुम्हारे बाल अच्छे नहीं हैं, बस आलोचना हो गई।। ब. ये ही आपके गुण भी हो सकते हैं, परंतु जिसे आलोचना करनी है, वह आलोचना ही करेगा।
मैं तुम्हारी आलोचना का जवाब दे रहा हूँ और इस बात की मुझे परवाह है ही नहीं। Plus d'informations Plus d'informations क्या तुम चाहते हो कि तुम्हारे गुरूजी बिल्कुल लुंज पुंज पुंज बेकार से, ढीले ढाले हों और हरेक के सामने झुकें! क्यों झुकें? यदि मैंने व्यर्थ में कोई काम किया है, व्यर्थ में कोई चापलूसी की है, व्यर्थ में कोई पैसा लिया है, तो मैं .cre मैं अगर तेज धार पर रहता हूं, तो तुम्हें भी यही सलाह देता हूं कि शिष्य होकर अपनीर्यादा में तेज धार में रहो।।. संसार में तुम्हारा कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता, तुम्हें डर ही नहीं किसी का।
मैं तुम्हें दीक्षा देता हूं तो इसका अर्थ यह नहीं कि तुम्हारा मेरा सम्बन्ध समाप्त हो गय. अगर तुम मेरे शिष्य हो, तो तुम्हें मजबूती के साथ खड़ा होना पड़ेगा समाज में। Plus d'informations तुम्हारा कोई कुछ बिगाड़ सकता ही नहीं है, बिगाड़ेगा तो मैं तुम्हारे साथ में खड़ा हूं, कहीं कोई तकलीफ होगी तो मैं्मेदार हूं। Plus d'informations, plus d'informations आप आये यहां मेरे पास और टैस्ट तो करें, आप मुझसे मिलिये तो सही।। मैं आपसे नहीं मिलूं, आपका काम नहीं करूं, तो मेरी जिम्मेदारी है।
Plus d'informations शादी होने के दस साल बाद भी पत्नी से लड़ाई होगी मगर विश्वास बना रहेगा, विश्वास नहीं टूट सकता। Plus d'informations इसलिये देवताओं के प्रति एक बार विश्वास पैदा करें, एक बार मंत्र जप करें और आप मंत्र जप करेंगे तो सफलता मिलेगी ही।। Imp
ऐसा नहीं हो सकता। ऐसा हो भी सकता है, परन्तु श्रद्धा चाहिये, विश्वास चाहिये, धैर्य चाहिये। विश्वामित्र इतना तेजस्वी बालक था, उसके बावजूद भी उसके घर में लक्ष्मी थी ही नहीं, दरिद्र था, तुम ज्यादा दरिद्र, अनाथ। तुम ज्यादा दरिद्र, अनाथ। उसके बाद उसने कहा कि मेरे मंत्रें में अगर ताकत है तो लक्ष्मी को अपनेर में लाकर खड़ा करूंग. ऐसा हो ही नहीं सकता कि मैं मंत्र जप करूं और लक्ष्मी नहीं आये! एक अटूट विश्वास था। अपने आप पर विश्वास था।— और पहली क्लास का व्यक्ति एम-ए की किताब नहीं पढ़. मैं अगर किताब दे दूं एम-ए- की कीट्स की, मिल्टन की या शेक्स्पीयर की और तुम्हें कहूं कि पढ़ो पढ़ो तो्हेंर की और तुम्हें कहूं कि पढ़ो पढ़ो तो. पहले आप पहली क्लास में पढ़ेंगे, फिर दूसरी पढ़ेंगे, फिर तीसरी पढ़ेंगे, फिर मैट्रिक करेंगे, बी-ए-- करेंगे, फिर एम-करेंगे तो फिर किताब समझ में ।र एम ए.. अब साधना में तुम पहली क्लास में हो और वह साधना एम-ए लैवल की की है। Tous les 16 jours
पहली क्लास का बच्चा ए, बी, सी, डी तो प्ढ़ लेगा किन्तु उससे मिल्टन की किताब तो नहीं पढ़ी ज. अगर 16 साल मेहनत करने से साधना सिद्ध होती है तो एक दिन में कह कहां से हो जायेगी? तुम कहोगे, लक्ष्मी ने आकर घुंघरू बजाये ही नहीं, पांच दिन हो गये लक्ष्मी आई ही नहीं।। दिन हो गये. गुरूजी ने कहा कि आयेगी, पता नहीं क्या हुआ? और फिर तुम कहोगे, गुरूजी झूठे और मंत्र झूठा, लक्ष्मी झूठी, तीनों झूठे हो गये और तुम सत्य हो गए। एक बार आवाज दोगे, तो पत्नी भी नहीं आयेगी, - तो लक्ष्मी कहां से आएगी? Plus d'informations एक बार साधना करो, नहीं सफलता मिलेगी तो दूसरी बार करो, पांच बार करो। Plus d'informations इस मंत्र के माध्यम से जब मैंने सफलता पाई है और शिष्यों ने सफलता पाई है तो तुम्हें भी सफलता मिलेगी ही।।.
—पर एक विश्वास कायम रखना पड़ेगा और जीवन में इन मंत्रें से वह सब कुछ्राप्त होता ही है है, जो कुछ मैं कहता हूँ कि Dieu तुम चाहते हो एकदम से रेडिमेड फूड आया, खाया और रवाना हो गये। ऐसा नहीं है। तुम बाजार में जाकर रेडिमेड फूड खाओ और पत्नी खाना बनाकर खिलाये, उसमें डिफरेंस होगा। दीक्षा का तात्पर्य है, मैं तुम्हें कह रहा हूं उस रास्ते के लिए, मैं तेजस्विता दे ह हा हूं, अब तुम साधना कर सकते हो।।।. तुम सफलता पाओगे, धैर्य के साथ करने पर विश्वास के साथ करने पर। - और धैर्य है है? वे तुम्हें गलत गाइड करते हैं। तुम तो सही हो, पर वे कहते हैं- और तुम गए थे, क्या हुं?
तुम कहोगे- लक्ष्मी का मंत्र लाया। तुम करोगे लक्ष्मी मंत्र पांच दिन और लक्ष्मी आयेगी नहीं नहीं, तो वो कहेंगे- ले अब क्या हुआ? हम तो पहले ही कह रहे थे कि सब झूठ है और तुम्हारा माइंड खराब हो जायेगा। Plus d'informations किसी के घर का सत्यानाश करना हो तो एक मूल मंत्र बता देता हूं किसी के घर जाइये और कहिये कल कल. चलो जाने दो जाने दो, कुछ नहीं। अब उस पति के माइंड में घूमता रहेगा। वह पूछेगा पत्नी से, कहां गई थी और वह कहेगी कहीं नहीं गई थी थी। बस वो कितना ही समझाये पति के दिमाग से कीड़ा निकलेगा ही नहीं। Plus d'informations बस पूरा जीवन उनका तबाह हो जायेगा। बस किसी ने कह दिया इस मंत्र से क्या होगा? और तुम्हारा माइंड खराब हो गया। अब चार दिन तुम्हारा माइंड खराब रहेगा कि मंत्र बेकार है, गुरू जी बेकार है। तुम खराब नहीं हो, वे आस-पास के लोग खराब हैं वे न तो खुद कुछ करते हैं और न तुमकोरने देंगे।।।. उनका काम ही यही है, आलोचना करना, चाहे तुम्हारे चाचा हों या ताऊ हों, या सम्बन्धी ही हों। जो जिन्दगी भर कुएं में रहे वे तुम्हें मानसरोवर के आनन्द में देखना नहीं चाहते।
Plus d'informations मेरे साथ भी यही घटना घटी। मैंने सन्यास लिया तो मुझे सब ने कहा, क्यों जा ा रहई रहई? क्या फायदा है? सब ने सलाह दी- यहीं रूको, क्यों दस हजार की नौकरी को ठोकर मार रहे हो, तुम्हारे जैसा मूर्ख दुनिया में नहीं होगा।
Plus d'informations, plus d'informations भले ही समुद्र में डूब करके मर जायेंगे, लेकिन कूद कर तो देखेंगे।। Plus d'informations तुम्हारे पांव कमजोर हैं, तुम औरों की बातों पर विश्वास करके चलोगे तुम्हारी साधना बर्बाद हो ही जायेगी। आप कमजोर हैं तो आप इस रास्ते पर चलिये ही मत, यह आपका रास्ता है ही नहीं।। आप अपनी पैंट पहनिये और नौकरी पर जाइये, चुपचाप आँख नीची करके घर आइये, पत्नी थैला देकर कहे की सब्जी लेकर आइये, चुपचाप सब्जी लर कहेर घर में खियेœuvre यह रास्ता सीधा है, इसमें खतरा कम है। — यह बहुत तेज तलवार की धार की बात है, हिम्मत की बात है और उच्चता, श्रेष्ठता, सफलता की बात है। तुम्हारे जैसे लोग और नहीं होंगे। तुम अद्वितीय बनोगे। तुम अपना जीवन मुझे सौंपो, मैं तुम्हें अद्वितीय बना दूंगा, ऐसा पृथ्वी पर कोई नहीं होगा। विश्वामित्र ने ऐसा कहा दशरथ को, पर साथ ही यह भी कह दिया कि जरूरी है कि राम, लक्ष्मण मुझे हीरू मानें, मेराम, लक्ष्मण मुझे गु. दशरथ तुमसे मिलने भी नहीं आये आये, न तुम मिलने जाओगे और दशरथ ने कहा- मैं इनसे मिलने नहीं आऊंगा और न कोईर का, इन्हें मिलने आयेगा। ये मेरे घर तब तक वापस नहीं आयेंगे जब तक तुम पूरा संस्कार नहीं कर लोगे।— मगर आप इन्हें अदtenir और ऐसा ही दशरथ ने किया। T तुम्हारे मेरे बीच वचनबद्धता है। Plus d'informations
आप कल्पना कीजिये, राजा दशरथ के बुढ़ापे में संतान हुई और वह केवल दस साल का लड़का राम, उसे जंगल में भेज दिया जहां पर °mine बैठे बैठे थे जह भेज. राजा के महलों में रहने वाला राजकुमार, जंगल में खाक छाने और विश्वमित्र जैसे क्रोधी व्यक्ति के साथ में।। क्रोधी व्यक्ति के. दशरथ को विश्वास था कि यहां रहने पर तो केवल एक राजकुमार बनकर रह जायेगा, वहां जायेगा तो भगवान बन जाएगा।
भगवान तुम भी बन सकते हो, भगवान कोई पेट में से पैदा नहीं होते होते, अपने कार्यों से भगवान बनते हैं। पैदा तो सब एक से ही होते हैं, चाहे आप हों या राम हों, या लक्ष्मण हों, या मैं हूं, चाहे कृष्ण हों।।। य. उसके बाद उन्होंने कितनी रिस्क ली है, कितनी जिन्दगी में तकलीफ उठाई है, कितने खतरे उठाये हैं उससे वे भगवान बनते हैं।।. Plus d'informations पैसों के माध्यम से भगवान! - तो आज बिड़ला और टाटा भगवान हैं ही। ऐसे भगवान नहीं बन सकते। भगवान बनने का रास्ता है तुम्हारी नैतिकता, तुम्हारी चैतन्यता, तुम्हारे मंत्र, तुम्हारे ज्ञान, तुम्हारी चेतना और देवताerci जीवन के दो हेतु हैं, दो तरीके हैं और दोनों के ही माध्यम से जीवन को पार किया जा सकता है। Plus d'informations कुछ लोग ऐसे होते हैं जो घिसी- पिटी जिन्दगी जी कर पूरा जीवन व्यर्थ कर देते हैं। jusqu'à 60 mois उनमें हिम्मत, जोश होता ही नहीं।— और जो चैलेंज लेने का भाव नहीं होता और जो चैलेंज नहीं ले सकता वह जीवन में सफल नहीं हो सकता, जीवन में सफलत. Plus d'informations Plus d'informations ज्योतिषी के क्षेत्र में हो तो आप नम्बर वन ज्योतिषी हों जो कुछ क.
Plus d'informations एक रास्ता मोक्ष की ओर जाता है- ये साधु-संन्यासी, योगी, तपस्या करते हैं, साधना करते हैं। Plus d'informations भगवा कपड़े पहनने से कोई साधु नहीं होता, लंबी जटा बढ़ाने से कोई साधु नहीं होता। साधु तो वह होता है जिसमें आत्मबल हो, जूझने की शक्ति हो, जो देवताओं को अपनी मुठ्ठी में रखने की क्षमता रखता हो। साधयति सः साधु जो अपने शरीर को, मन को साध लेता है वह साधु है।
जो खुद ही हाथ जोड़कर कहे- तुम मुझे दस रूपये दे दो, तुम्हारा कल्याण हो जायेगा, वह साधु नहीं हो सकता। उन लोगों में है ही नहीं । आत्मबल आत्मबल एक अलग चीज है, जो लाखों लोगों की भीड़ में खड़े होकर चैलेंज ले सकता है। अगर मंत्र क्षेत्र में हो तो कह सकता है कि संसार में कोई मेरे सामने आकर खड़iner Plus d'informations ऐसा व्यक्ति सही अर्थों में साधु भी हो सकता है और मोक्ष भी प्राप्त कर सकता है।।.
मोक्ष प्राप्त करना इतना आसान नहीं है और मोक्ष प्राप्त करने के लिए जंगल में जाने कीरूरत नहींरने के लिए जंगल में जाने की opér जो सभी बंधनों से मुक्त हो, वह मोक्ष है।— और आपके जीवन में कोई बंधन बंधन है। Plus d'informations घर में कलह है- ये सब बंधन है। Plus d'informations Plus d'informations हम तो कहते हैं, वापस जन्म लें, वापस लोगों की सेवा करें, चैलेंज स्वीकार करें और अद्वितीय बनें। Plus d'informations हम हजार बार जन्म लेना चाहते हैं, हजार बार जीवन में चैलेंज लेना चाहते हैं और जीवन में सफल होना चाहते हैं।।। और जीवन में सफल. Plus d'informations मोक्ष का अर्थ है, हम जीवन में सारे बंधनो से मुक्त हो जाये।— और ऐसा व्यक्ति गृहस्थ में हते हतेœuvre साधु हो और उसकी आंख ठीक नहीं हो, गंदगी हो आंख में, उसमें लालच की वृत्ति हो वह वह्थ से भी गया बीता व्यक्ति है।।. कम से कम यह तो है ही हम गृहस्थ हैं, हमारी आंख गंदी हो सकती है, हम कु दृष्टि से देख सकते हैं हैं। मगर वे साधु हैं, अगर वे ऐसे लालची होंगे तो साधुत्व ही समाप्त हो जायेगा। इसलिये साधुओं के प्रति हमारे Plus d'informations
Tout ce que vous voulez भोग का मतलब है कि हम गृहस्थ बनें, हमारी पत्नी हो, पुत्र हों, बंधु हों, बांधव हों, यश हो, सम्मान हो, पद हो प्nôle पœuvre यदि ऐसा नहीं कर सकते तो फिर घिसा-पिटा जीवन जीने का मतलब ही नहीं है है। आपके मन में कभी चेतना पैदा नहीं होती कि कुछ अद्वितीय करूं! इसलिये पैदा नहीं होती कि आपके जीवन में उत्साह समाप्त हो गया है, तुम्हारे जीवन में गुरू रहे नहीं जो तुम्हें कह सकें यह सब गु. जीवन जीने के लिये तो एक चुनौती का भाव होना चाहिये, एक आकाश में उड़ने की क्षमता होनी चाहिये। एक तोता है, पिंजरे में बंद है। चांदी की शलाकाये बनी हुई हैं और बड़ा सुखी है, उसको तकलीफ है ही नहीं, खतरा है ही नहीं। उसको अनार के दाने खाने को दे रहा है मालिक, बोल मिट्ठू राम-राम, वह कहता है- राम-राम।। उसको बाहर निकालते हैं, नहलाते हैं, पंख पोंछते हैं और वापस पिंजरे में बंद कर देते हैं।— और एक तोता है, जो पचास साठ किलोमीटर उड़तर है तोत. वह जो उसे आजादी है, वह उस तोते को नहीं मिल सकती जो चांदी के पिंजरे में बंद है। वह आनन्द उस पिंजरे में बंद तोते को नहीं मिल सकता, और तुम भी वैसे ही पिंजरे में बंद तोते हो। तुम्हारें मां-बाप, भाई-बहन ने तुम्हें पिंजरे का एक तोता बना दिया है और उसमें आप बहुत खुश खुश हैं।।।. आपको हरी मिर्च और अनार के दाने खाने को मिल रहे हैं और कभी आप उस तोते को पिंजरे के बाहर निकालिये, वह... वह बाहर खतरा महसूस करता है कि मर जाऊंगा, कोई बिल्ली खा जाएगी।
—और तुम भी एक दो मिनट निकाल कर गुरूजी के पास आते हो और फिर वापस अपने घर में घुस जाते हो।।। अपने. Plus d'informations Plus d'informations पत्नी को चिंता है कि चला जायेगा गुरूजी के पीछे, साधु बन जायेगा, कोई भरोसा नहीं है। पत्नी कहती है ? चाचा भी कहते हैं, मामा भी कहता है, मां भी कहती है और आप वापस उस जीवन में घुस जाते हैं, जो पूरी जिन्दगी की गुल. तुमने कभी आकाश को नापने की हिम्मत नहीं की, इसलिये तुम वह आनन्द नहीं उठा सकते। Plus d'informations तुमने मानसरोवर में डुबकी लगाई नहीं, तो तुम्हें क्या पता लगेगा कि मानसरोवर की गहराई क्या है, उसका आनन्द क्या है? Plus d'informations Plus d'informations गृहस्थ में रह रहे हो तो इस भाव से, कि मैं संसार में आया हूं और सब अपना खेल, खेल रहे हैं। मैं देख रहा हूं और मुझे तटस्थ रहना है।
मेरे गृहस्थ शिष्य हैं, तो मुझे उन्हें बताना ही होगा कि कैसे जीवन व्यतीत करना है। Plus d'informations संन्यासी बनने के लिए और साधना करने के लिए कोई हिमालय में जाने की जरूरत नहीं है। हम गृहस्थ में रहते हुए भी उन साधनाओं को कर सकते हैंऔर भोग का अर्थ है- धन, ऐश्वर्य, पूर्णता उसकर उसका आधार है लक्ष्मी. Plus d'informations यदि तुम्हारे घर में आटा नहीं है तो तुम ध्यान लगाकर नहीं बैठ सकते। Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations जब ऐसी स्थिति बनेगी तो तुम ध्यान भी कर सकोगे साधना भी कर सकोगे। मगर लक्ष्मी पहला आधार है और उसके बिना आपके जीवन में पूर्णता आ नहीं सकती।
जीवन में अद्वितीय बनने के लिए केवल छः महीने बहुत हैं, पचास साल जरूरी नहीं है। अगर छः महीने पूरी क्षमता के साथ साधनiner उठाना चाहिये, जिससे आप लाभ उठा सकें और औरों को भी लाभ हो सके। आपके मन T मिटा सकते। Est-ce que vous avez besoin d'aide ? मैंने कहा- होता है, आपका पिछला जीवन मुझे याद है, बिना पिछले जन्म के सम्बन्ध के आप मुझे जान ही नहीं सकते थे।।।। के आप ज. यह संभव ही नहीं था। Plus d'informations मैं पिछले जीवन में भी आपका गुरू था और इसीलिये कहता हूं कि साधना का रास्ता ही आपका रास्ता हैं और चैलेंज के साथ साधना क__ère जब राम और कृष्ण और बुद्ध के सामने खड़े हो सकते हैं तो आपके स सामने भी खड़े हो सकते हैं।। तो आपके स.
Plus d'informations मगर तब, जब तुम्हें अपना पूरा ज्ञान हो। अगर हम जीवन में चैलेंज लेकर आगे बढ़ते हैं तो निश्चय ही हम सफलता प्राप्त करते हैं और ऐसे सैकड़ों उदाहरण मेरे सामने हैं कि उन__ère मेरे हृदय पटल में तो हजारों नाम हैं जिन्होंने धारणा को लेकर कार्य किया और सफलता प्राप्त की।।।।. आप किस प्रकार का जीवन जीना चाहते हैं वह तो आप पर निर्भर है। मैं तो आपको सिर्फ समझा सकता हूं, मैं आपको अहसास करा सकता हूं कि जीवन का आनन्द क्या है? और साधना द्वारा हम उस स्थान पर पहुँच सकते हैं जहां विरह होता ही नहीं। हम आँख बंद कर चिंतन करते हैं तो गुरू हमारी आँखों के सामने साक्षात् हो जाते हैं। Plus d'informations आपके जीवन में ऐसा आनन्द हो, ऐसा संतोष हो, आपके जीवन में पूर्णता हो, आप भी ध्यान लगाने कि प्रक्रिया में संलग्न हो सकें, अपने इष्ट के दर्शन कर सकें और अपने आपको पूर्ण रूपेण गुरू चरणों में समर्पित करते हुए उस ज्ञान को प्राप्त कर सकें जो हमारे पूर्वजों की धरोहर थी, ऐसा ही मैं आप सबको हृदय से आशीर्वाद देता हूँ।
परम् पूज्य सद्गुरूदेव
M. Kailash Shrimali
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