Plus d'informations त्मनां कृतघियां हृदयेषु बुद्धि
शtenir
मैं जगदम्बा के चरित्र को उसके ध्यान को एक विशेष धारणा के साथ में, एक विशेष चिंतन के साथ में आपके सामने स्पष्ट्ट कर °laire हमारे जीवन में कुछ अद्वितीय हो, हम याद रख सकें और आने वाली पीढि़याँ हमें याद रख सकेंर वे वे ही लोग जिंदा रह सके हैं हैं जिनमें जिनमें संघ__èreftiste क. वे मर गये जो कायर थे, कमजोर थे, बुजदिल थे, अशक्त थे और अपने आप में हीन भावना से ग्रस्त थे।। हीन भ. संघर्ष नहीं है तो जीवन नहीं है। Est-ce que vous avez un problème? संघर्ष का तात्पर्य क्या है? किसको संघर्ष कहते है?
क्या संघर्ष घर में लड़ाई झगड़े को कहते है? क्या संघर्ष शत्रुओं से परास्त होना है? क्या संघर्ष मुकदमें बाजी में है कि हम बराबर वकील बदलते रहें और कोर्ट में लड़ते हें रहें? क्या संघर्ष संतान नहीं होना है और हम उसके लिये प्रयत्न कर रहें हैं? क्या संघर्ष पुत्र कुपुत्र हो रहे हैं इसमें हैं? क्या संघर्ष वह है कि हम व्यापार कर रहे हैं और उसमें सफलता नहीं मिल पा रही है? आखिर संघर्ष का तात्पर्य क्या है?
Plus d'informations यदि आप सुबह से शाम तक देखें तो समस्याओं के अलावा कुछ और आपके जीवन में नहीं है।। आपके जीवन में आनन्द जैसी कोई बiner कहां से होंगे क्योंकि मृत्यु तो मन से होती है शरीर से तो मृत्यु होती नहीं। वह तो आप कहें तो मैं आपको सिखा दूंगा कि कैसे व्यक्ति अपने को समाप्त करके पूर्ण कायाकल्प कर सकता है।।. मैं आपको बता सकता हूँ कि कायाकल्प करने के लिये शंकराचार्य ने कौन ज्ञान को प्राप्त किया।
मगर कई बार मैंने मार्कण्डेय पुराण पढ़ा, कई बार दुर्गा सप्तशती का पाठ किया, एक लाख पाठ कर लिये होंगे मैंने मैंने।।. जब मैं चार साल का था। तभी मुझे ज्ञान दे दिया गया था कि दुर्गा सप्तशती को कंठस्थ कर लेना है। आज भी दोनों अधtenir मगर कई बार यह ध्यान, यह चिंतन उठा कि यह श्लोक मार्कण्डेय ने क्यों नहीं लिखा?
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क्या गलत है? क्या यह उधार ली हुई चीज हैं ? यह क्या चीज है ? मार्कण्डेय ने जो लिखा पूर्ण सात्विक भाव से लिखा, दुर्गा चरित्र को्रेष्ठतम लिखा। मगर जब तक आपको तंत्र ज्ञात नहीं होगा जब तक आप में तांत्रिक विद्या नहीं होगी होगी चैतन्यता नहीं होगी तब तब तक उस दुर्गाचरित्र को नहीं समझ सकते सकते....
इसीलिये जगदमtenir T अद्वितीय सफलता प्राप्त की। वही ज्ञान अमरनाथ के स्थान पर महादेव ने पार्वती को देना चाहiner Plus d'informations Plus d'informations आप अगर अमरनाथ गये हो तो देखा होगा कि वहां कोई पशु पक्षी है ही नहीं एक एकर कबूतरी का जोड़ा है।। केवल एक. जो कि बारह महीने उस मंदिर में रहता है और हजारों साल से रहता है। Plus d'informations Plus d'informations
ज्योहि महादेव ने कहना शुरू किया तो वहाँ एक अंडा था वह फट गया और उसमें से जीव निकला। निकलते ही तो वह उड़ नहीं सका क्योंकि उड़ने की क्षमता तो चार पांच घंटे बाद आती है। वह सुनता रहा और हुकांर करता रहा और महादेव अपनी पीनक में ज्ञान देते रहे, चेतना देते रहे और पार्वती सुनते-सुनते सो गई। और जब महादेव ने त्रिशूल उसके ऊपर छोड़ा तो वह उड़ा और उसने निश्चय कर लिया कि महादेव उसे मार तो सकते नहीं।।। कि. त्रिशूल क्या सुदर्शन चक्र भी आये तो मृत्यु हो ही नहीं सकती क्योंकि अमर कथा सुनी हैर वेदव्यास की्योंकि अमर कथा सुनी है. वेदव्यास की्नी अर्घ्य दे दे.
अब आप कहेंगे कि यह अजीब सी बात है मुंह में कैसस सु मैं आपको कहता हूँ कि मेरी बातें आपको समझ नहीं आयेगी, कई बात आपको आश्चर्यजनक लगेंगी। जब तक आपको वह ज्ञान प्राप्त नहीं होगiner Plus d'informations उसके बाद बच्चे पंद्रह महीने बiner महिलाये और डर रहता है कहीं गड़बड़ नहीं हो जाये और आपरेशन कर लेते हैं और आजकल एक नया फैशन शुरू हो गया कि्रह नक्षत्र सही हो जब तब आपरेशन ग्रह नक्षत्र सही हो, जब तब.. इससे ग्रह नक्षत्र अच्छे हो जायेंगे, यह एक नया खेल .ve
मगर इन बच्चों में वह प्रखरता नहीं आ रही, वह बुद्धि नहीं आ रही, वह ऋषिपन नहीं आ रहा, वह तेजस्विता नहीं आ रही। वह तेजस्विता आ सकती है केवल और केवल जगदम्बा की साधना के द्वारा केवल भगवान शिव दtenir उस जगदम्बा की साधना रावण ने की। Plus d'informations हमने उसे एक दूसरे ढंग से देखा, हमारा देखने का नजरिया दूसरा हो गया। रावण ने प्रार्थना की और उसने कहा मैं और कुछ नहीं चाहता हूँ, मैं भगवान शिव को साक्षी करके वह चीज सीखना चाहता हूँ जो आज तक नहीं पैदा हुई वह विद्या सीखना चाहता हूँ और तंत्र के माध्यम से सीखना चाहता हूँ और महादेव जब प्रकट हुये तो उन्होंने कहा- अगर तू मेरा भक्त है, अगर तूने मेरी उपासना की है, सैकड़ों वर्षों तक opér मगर उसके बाद दूसरी बात नहीं पूछेगा। Plus d'informations Plus d'informations
Plus, plus et plus Plus d'informations दूसरा ज्ञान मैं कहां से प्राप्त कर पाऊंगा? कैसे कर पाऊंगा? Plus d'informations उसने सोचा-चलो नहीं से तो एक अच्छा है। तो उसने कहा-आप एक ज्ञान ही दे दीजिये मगर ज्ञान ऐसा दीजिये जो अपने आप में अपूर्व हो। आपने पार्वती को जtenir तो महादेव इस श्लोक की रचना की
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मैं उस देवी की उत्पति करता हूँ जिसका जागरण तुम्हें अपने मंत्र के माध्यम से करना है और यदि तुम्हें ज्ञान प्रœuvrevicité सौम्यता युक्त का अर्थ है कि वह तंत्र लगे ही नहीं और उसका मंत्र भी पूर्ण तेजस्वी हो। मैं आपको कहता हूँ- आप मेहरबानी करके मुझे भोजन करा दीजिये, यह मैं मंत्र बोल रहा हूँ और मैं आपका गला पकड़र कहूं- आप मुझे भोजन कराओ, सुनो। पकड़.
शब्द वही कहे मगर दूसरी बार आप एकदम से दस रूपये जेब से निकालेंगे और कहेंगे- ले भोजन कर ले तू।। मेरा गला छोड़। यह दूसरा तंत्र है। पहला मंत्र था कि मैं हाथ जोडूं, प्रारoration करूं कि दो रूपये दे दीजिये। आप मानें या नहीं मानें। रावण ने कहा आप मुझे तंत्र विद्या सिखाइये, ऐसी चीज बताइये जो अद्वितीय हो ऐसा ज्ञान जो पैद. महादेव ने कहा- वह नहीं हो सकता। मैं तुम्हें ज्ञान दे सकता हूँ, अद्वितीय ज्ञान दे सकता हूँ, मगर वह आगे हे हे ही नहीं यह संभव नहीं। अमर कथा भी गोपनीय नहीं रह पाई, वह भी किसी ने सुन ली और उसका आगे चलकर शुक्राचार्य ने प्रयोग किया जहां सैकड़ों दैत्य मरœuvre Plus d'informations रक्तबीज जिसका देवी ने वध किया, उसकी रक्त की, एक बूंद गिरती थी और फिर एक्य पैदा हो जाता था। आज नौ महीने बाद पैदा होते है उस समय एक क्षण में पैदा कर देता था शुक्राचार्य की संजीवनी Dieu
तो रावण ने कहा कि मेरे पास ऐसी विद्या हो कि मैं जीवन मैं उच्चता को्राप्त कर सकूं।।।. आपके बारे में देवता कहते हैं-
महोक्षः खटवांगं परशुरजिनं भस्म फणिनः कपालं चें….
Plus d'informations आप बहुत खुश हो जायेंगे तो श्मशान की मुट्ठी भर राख निकाल कर देंगे और आपके पœuvre अब मैं उन सापों और भस्मी को लेकर करूंगा क्या? और आपके पास इनके अलावा कुछ है नहीं। Plus d'informations यह क्या चीज है, यह क्या रहस्य है। वह कौन सी शक्ति है, कौन सी विद्या है जिसके माध्यम से आपके जीवन में कोई अभ. आपके घर में पत्नी पूर्ण तेजस्विता युक्त है और आप पूर्ण निश्चिनtenir फिर भी आप महादेव कहला रहे है यह रहस्य क्या मुझे समझा दीजिये। अद्वितीय व्यक्तित्व कैसे बन सकते हैं? तो महादेव ने कहा-
Ya Srim Swayam Sukritinaam Bhavaneshu Lakshmi.
Plus d'informations ही तंत्र में तीन विद्याये हैं। Plus d'informations ण तेजस्वितावान बनना।
° वह सौंदर्य भी किसी काम का नहीं है क्योंकि आप चारों ओर से घिरे हैं, आपके मन में भय है, संकोच है।।।।। मन भय है, संकोच है। आपके जीवन में डर है, हर क्षण पलायन है, लक्ष्मी और धन का अभाव है सबसे बड़ा आपका शत्रु यह है।। है सबसे बड़. आज के युग में भी यह है और आज से पाँच हजार साल पहले भी यही डर था, भय था। लक्ष्मी समुद्र से पैदा हुई ही नहीं। आप कहते हैं कि समुद्र मंथन हुआ उसमें चौदह रत्न निकले तो उनमें लक्ष्मी का कहीं वर्णन नहीं है।
Shri Rambha Vish Varuni Amiya Shankh Gajraj—
श्री तो निकली। मगरलक्ष्मी कहां से निकली? लक्ष्मी की उत्पति कहiner लक्ष्मी का वास्तविक मंत्र कौन सा है फिर? रावण ने महादेव से कहा- यह लक्ष्मी मंत्र मैं जपता हूँ ———- तो महादेव ने कहा- यह लक्ष्मी मंत्र नहीं है। ने कह. भगवान शिव ने कहा- तुम गलत जप रहे हो। तो रावण ने कहा- फिर आप मुझे मंत्र वह दीजिये कि मैं अद्वितीय संपन्न बनूं। अद्वितीय सौंदर्यवान बनूं। ऐसी तेजसtenir इस शरीर से सुगंध प्रवाहित होती हो। स्त्री को पद्मिनी कहा है। पद्म कहते है कमल के उस फूल को जिसमें आधा किलोमीटर तक सुगंध आती है। यदि आप बद्रीनाथ के मंदिर की तरफ गये हो तो वहाँ पास में एक्थान है 24 किलोमीटर दूरी पर। वहाँ पूरे एक किलो मीटर घेरे का कमल खिला होता है उसे ब्रह्म कमल कहते हैं। Plus d'informations इसीलिये नारी को पद्मिनी कहागया है।
Est-ce que vous avez besoin d'aide ? यह सौंदर्य नहीं है। रावण ने कहा- मैं वह विद्या लेकर करूंगा क्या आपसे, जिससे महापुरूष नहीं बन सकता, अद्वितीय नहीं बन सकता, पूर्ण विजय नहींœuvre गलत है तो मैं लक्ष्मीवान बनूंगा कैसे? और यह आज तक आपके भी समझ नहीं आया और कथाओं में भी वर्णन नहीं है कि लक्ष्मी का वास्तविक स्वरूप क्या है? यजुर्वेद में तो वर्णन है ही नहीं। उसमें तो क्षेपक आया है।
श्रीश्चतेलक्ष्मीश्च पतन्यां—
यह दिया तो जरूर है मंत्र मगर यह तो कई मंत्र ऐसे आ गये जो पहले यजुर्वेद में थे ही नहीं। ऋषियों ने वर्णन किये ही नहीं। ऐसे मंत्र बाद में आ गये। Plus d'informations सत्यनारायण कथा के तीन अध्याय थे, फिर उसमें चौथा अध्याय जुड़ गया, पांचवा जुड़ गया और अब सात अध्याय की्यनारायण कथर अब सात अध्याय की्यनारायण कथर हो गई।।. Plus d'informations ये सब क्षेपक हैं।
रावण ने महादेव से कहा- आप तंत्र के माध्यम से मुझे वह ज्ञान दीजिये, वह शक्ति दीजिये जिसके माध्यम से मैं तीनों चीज्राप्त क__सकूं__सकूं__ध. कि सूर्य जैसा दमकता मेरा चेहरा है, बुढापा तो दस हजार मील दूर हो और सौंदर्य ऐसा होना चाहिये कि देखे और ठिठक कर खड़ा हो जाये। कोई देखे और ठिठक कर खड़ा हो जाये।
ऐसा सौंदर्य अस्सी साल का व्यक्ति भी प्राप्त कर सकता है क्योंकि उम्र कहीं बाधक होती ही नहीं। क. यह तो तुम्हारे मन में हीन भावना है कि तुम बूढ़े हो, कि तुम कमजोर हो। यह भाव भी तुम्हारा नहीं है यह भाव घरवालों ने दे दिया, पड़ोसियों ने दे दिया कि तुम पचास साल के हो गये।।।. तुम इतनी हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हो कि तुम सोचने लगते हो- अरे! बुढ़ापा आ गया। यह बुढ़ापा तुम्हें तुम्हारे आस पास के लोगों ने दे दिया कि तुम साठ साल के हो गये हो, मरने वाले हो, अब क्या करोगे। अब गुरूजी के पास जाकर क्या होगा, मंत्र जप से क्या होगा, मंत्र जप से क्या क्हा क्हा ा Plus d'informations Plus d'informations आप में हीन भावना नहीं थी, गुरू ने भी नहीं दी, यह तो औरों ने आपको दी और आप में कमी आई। भगवान शिव ने कहा- आदमी मर नहीं सकता। बलिष्ठ पुरूष, जो क्षमतावान है, ताकतवान है वह समाप्त हो नहीं सकता। Plus d'informations उसमें ताकत होती है, जोश होता है और जिसमें ताकत और जोश होता है वह मरेगा कहां से? मृत्यु तो तब दबोचती है जब आप खाट पर पड़े होते हैं अस्पताल में में हिल डुल नहीं हे हैं और इंजेक्शन पर इंजेक्शन लग नहीं हैं हैं दव__viओं पर दव्शन पर इंजेक्शन लग हे ° हैंtien तरह। आप धीरे-धीरे गलते जाते हैं तो शरीर मरता है और अगर आप बलिष्ठ ताकतवान होंगे तोरेगा कहाँ से?
महादेव ने बिल्कुल एक सही व्याख्या करके समझाई है कि पुरूष सौंदर्य वह हैं जिसमें ताकत, जवानी, क्षमता है। हैं जिसमें त. वह लात मारे और दीवार दस फुट दूर गिर जाये, आकाश में पत्थर फेंके तो आकाश में दस हजार छेद हो ज. वह नारी सौंदर्य है जो अद्वितीय हो, जिसमें कमल गंध हो जिससे पद्मिनी कहला सके। क्यों भगवती का स्वरूप इतना सौंदर्यवान है और बगलामुखी इतनी क्षमतावान, ताकतवान क्यों है? किसी देवता को देख लीजिये उनके चहरे लाल सुर्ख हैं, चाहे विष्णु को देख लीजिये ब्रह्मा को देख लीजिये।। फिर हमारे चहरे ऐसे पिलपिले क्यों हैं? हम पूजा उनकी करें और हम मरे हुए पिलपिले बैठे हैं हैं, कुंकुम उनके लगाये हम खुद मरे हुए हैं। कोई देवता तुमने देखा दुर्बल और तुम्हारी तरह रोता झींकता हुआ? महादेव, भगवान विष्णु, नारद या कोई ऋषि है ऐसा? Plus d'informations
रावण ने कहा- मुझे वह ज्ञान दीजिये और अगर लक्ष्मी नहीं पैदा हुई समुद्र मंथन से तो्ष्मी्मी कहां है किस्र मंथन से लक्ष्मीlan. मैं लक्ष्मी को इसलिये प्राप्त करना चाहता हूँ, जिससे मेरे जीवन में अभाव रहे ही नहीं।। अभाव नहीं रहेंगे तो पौरूष रहेगा, अभाव नहीं रहेंगे तो मेरे जीवन में बाधाये आयेगी ही नहीं। Plus d'informations अभाव होंगे तो मन में शत्रुओं का भय होगा, मन में घबराहट पैदा होगी। Plus d'informations आप एक हुंकार भरे और दूसरा दुबक कर बैठ जाये, वह बलिष्ठता आपकी हो। इसीलिये नारी का सौंदर्य पति है और पुरूष का सौंदर्य धन है। जब धन नहीं होता तो व्यक्ति सबसे कमजोर अशक्त हो जाता है, पीडि़त होता है, पत्नी जो चीज मांगे वह ल. हर दम तकलीफ पाता है। सब करने के बाद भी जीवन निष्फल हो जाता है जब धन का अभाव होता है।
रावण ने कहा महादेव से- मैं अभाव नहीं चाहता हूँ। Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations एक भी व्यक्ति निर्धन नहीं हो इसीलिये लक्ष्मी की मैं साधना करना चाहता हूँ, उसरूषता की साधना करना चाहता हूँ।. मुझे महादेव आप वह ज्ञान दीजिये और कौन सी लक्ष्मी की साधनiner Plus d'informations Plus d'informations ऐसी किसी ऋषि ने नहीं की, योगी ने नहीं की, यति या संन्यासी ने नहीं की।। उससे पहले इतने योगी, यति संन्यासी पैदा हुए, यह साधना फिर थी कहां? कहां से मिला यह मंत्र?
Plus d'informations उन्होंने समझाया कि जो तुम सीखना चiner दे आपको। तंत्र का मतलब है देने की क्रिया। दोनो में डिफरेंस है। जब मैं मंत्र बोलू इसका अर्थ है मैं आपको कुछ दे रहा हूँ, तंत्र का अर्थ है आप पूरी तरह से ग्रेस्प कर हें हैं लेरी तरह से ग. Plus d'informations रावण ने कहा सुंकृतिनां-मेरे हाथ में बहुत अच्छे कार्य हों, अद्वितीय कार्य हों। हमने रावण को एक गलत तरीके से देखा क्योंकि तुलसीदास ने ऐसा ही लिखा। वाल्मीकी tiérés. जब राम थे, सीता थी तब वाल्मीकी थे। Plus d'informations उन्होंने राम को ईश्वर मान कर लिखा एक भक्त के रूप में लिखा। वाल्मीकी ने वास्तविकता लिखी। उसने कहा कि रावण अकेला पैदा हुआ आज से पच्चीस हजार पहले कोई ऋषि इस विद्या का सिद्ध नहींर सका और वाल्मीकी्मीकी नेा सिद्ध आगे पचर सका और वाल्मीकी ने्या कि आगे पच्चीस हजरcre
रावण पूर्ण ताकतवान, तेजस्विता युक्त, क्षमतावान, पुष्पक विमान बनाने वiner यह क्या था ? यह इसलिये था कि रावण ने उस साधना को प्राप्त किया जो अपने आप में पूर्णता प्राप्त करने की साधना कही जाती हैराप्त करने की प्धन्penपviत. Plus d'informations उन्होंने जब पहली बार लास्य किया, तांडव नृत्य किया तो तंत्र पैदा हुआ। तंत्र की उत्पति वहीं से हुई। Plus d'informations जिन वर्णों की उत्पत्ति तब हुई आप उनको जोडे़गें तो स. यह सारा तंत्र, सारा संगीत, सारा नृत्य भगवान शिव के तांडव नृत्य के माध्यम से पैदा हुआ।।। के के. हमने महादेव को भी सही ढंग से समझा ही नहीं, इसलिये तंत्र को भी नहीं समझ. किंतु रावण ने समझा, इसलिये रावण का सारा जोर इस बात पर था कि पौरूष मिल जायेगा मुझे, मेरी पत्नी को सौंदर्य भी मिल जायेगा। मगर मैं धनहीन होकर क्या करूँगा उस सौंदर्य का? निर्धनहोकर क्या पाऊंगा? अगर मैं गुरू हूँ और मेरे शिष्य निर्धन रहेंगे तो उसका फायदा क्या हुआ। मैं यह नहीं कर सकता कि नवार्ण मंत्र दूं, 'ऐं ह्रीं क्लीं चiner रावण ने कहा- मैं कुछ साधना सिखना चाहता ही नहीं हूँ, मैं कोई मंत्र आपसे लेना नहीं चाहता हूँ। आप सीधे मुझे क्षमता दीजिये, आप क्षमता दें कि मैं धनवान बन सकूं और मेरे पास धन नहीं, सोना ही सोना हो।।।। धन नहीं सोन. Plus d'informations जो अपने आप में अद्वितीय हो।
इसलिए वाल्मीकि ने कहा- न भूतो न भविष्यति। यह विद्या जो रावण ने सीखी वही- न भूतो- इससे पहले कोई नहीं सीख पcre मगर मार्कण्डेय ने उसी विद्या को प्राप्त किया और भगवान शिव ने इस श्लोक की opér औरचन. तभी वेदों में यही श्लोक लिखा है। इससे क्या विशेषता थी कि हरेक वेदों में, हर पुराण में यह लिखा गया? इसकी महत्ता क्या थी ?
इसकी महत्ता यह थी कि इसमें बताया गया है कि यदि इस श्लोक का निचोंड़ लें तो्यक्ति्ति उस चीज को सीख सकता जिसके लें तो Dieu जीवन में में क को सीख सकता जिसके म. आप काम करें या नहीं करें, मैं कोई्यापार करता नहीं, नौकरी करता नहीं, मैं कोई हल जोतता नहीं, मेरे कोई खेत खेत, खलिहान नहीं फिर भी मैं आपसे अधिक frais हूँ. आप सब मिलकर इतने संपन्न नहीं हैं जितनजितनcre वह तो मुझे वह ज्ञान हैं, चेतना है तो इतनी तेजस्विता से बोल सकता हूँ।
रावण ने महादेव से कहा- मैं पूर्ण पौरूषवान, क्षमतावान, सौंदर्यवान बनना चाहता हूँ और वह लक्ष्मी जो आप कह कह °mine फिर मुझे परिश्रम नहीं करना पड़े फिर मुझे न्यूनता नहीं बरतनी पड़े और आप मुझे ऐसी्या देंगे। मुझे मंत्र नहीं देंगे। इस विद्या को ऐश्वर्यमय लक्ष्मी सिद्धि कहा गया यiner महादेव ने उस विद्या को रावण को समझाया और अमृत मंत्र को स्पष्ट किया जिसके माध्यम से पूर्ण सफलता प्राप्त हो सके, पूर्ण पौरूषवान हो सके, पूर्ण सौंदर्यवान और तेजस्वितायुक्त हो सके और अटूट संपत्ति का स्वामी हो सके और घर तो मामूली बात है, पूर्ण नगरी को सोने का बना सके।
यह रावण कृत तांत्रेक्त ऐश्वर्यमय लक्ष्मी सिद्धि जीवन का सौभाग्य है क्योंकि इसमें पौरूष है, सौंदर्य है, इसमें धन है, संपत्ति है, शत्रु परास्त है, जिसमें पूर्णता हैं, सफलता है, तेजस्विता है, दिव्यता है और सब कुछ प्राप्त करने की क्रिया हैं Plus d'informations मैं आपको छूट देता हूँ कि कहीं से इस विद्या को लाकर दे दीजिये।। Plus d'informations संभव ही नहीं है। Plus d'informations जब समझा ही नहीं गया तो कहाँ से विद्या मिलेगी और मिलेगी तो वे गुरू आपको देंगे नहीं, अपने पास बांध कर रखेंगे। मैं ऐसे रखना ही नहीं चाहता हूँ। मैं अपने शिष्यों को बहुत सुंदर और अद्वितीय बनाना चाहता हूँ और कुछ ही क्षणों में। Plus d'informations
आप इस सिद्धि को प्राप्त करेंगे तो आप स्वयं कुछ ही दिनों में अनुभव करेंगे कि आप पहले से कितने ताकतवान हैं क्षमतावान हैं हैं धनव कितने हैं. मुकदमें चौदह थे तो दो ही रहेंगे, अपने आप अनुकूलता मिलती जायेगी। Plus d'informations वहाँ आप ट्रांसफर चाहते हैं वहiner
Plus d'informations Plus d'informations शिविर में अगर आप आये है और मैं कहू कि बरसात होगी तो होने दीजिये दीजिये। हो जायेगी तो भीग जायेंगे। हो सकता है आप परेशान होते होंगे मगर आप इन बातों से परेशान होंगे तो जिंदगी कैसे चलेगी? परेशानियां, बाधाये, अड़चने और कठिनाइयां आपकी केवल एक पत्नी घर में नहीं है है आपकी ये चार पांच पत्नियां और हैं, एक क नार परेश. Est-ce que vous avez besoin d'aide ? मैं तो कहता हूँ कि एक ही रखो मगर आप अंदर से पैदा करते रहते हो।
एक बहुत अच्छा श्लोक है और उसमें बताया गया है कि समस्या तो जरूर आयेगी। आदमी की जिंदगी में ही समस्याये आयेगी, गाय भैंस के जीवन में नहीं आती है है। समस्या आयेगी तब देख लेंगे। समस्याओं से, परेशानियों से घबराकर जिंदगी पार नहीं होती हैं हैं। Plus d'informations, plus d'informations अब बरसात हो रही है तो हो रही है, न आप रोक सकते हैं, न मैं रोक सकता हूँ, वह इंद्र अपना काम कर रहा है, हम अपना काम करेंगे।।. मगर आप चिंता करते रहते हैं कि ऐसा होगा तो क्या होगा, वैसा होगा तो क्या होगा। Plus d'informations, plus d'informations
जीवन में एक संयम होना चiner समाज के लिये अहितकर हो। हम कोई ऐसा काम नहीं करें। Plus d'informations
भगवान शिव ने एक अद्वितीय ज्ञान रावण को दियiner ऐसा है तो इतने लोग जिनके दाढी, मूंछ है, काल भैरव की तरह दिखाई देते हैं, तो वे ऋषि तो नहीं हुये।। दाढी, मूंछ से कोई ऋषि नहीं बनता। जिसमें ज्ञान हो वह ऋषि है। भगवान शिव ने अपने लास्य के माध्यम से तंत्र बनाया, ज्ञान बनाया और वेर्ण निश्चिंत है, जो होग l'eau
रावण भी ऋषि था। Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations व्यक्ति आप ही हैं परन्तु कौन किस नजरिये से देखता है, कौन किस ूप ूप में देखता है उस पर निर्भर है।। देखत.
Plus d'informations
भगवान कृष्ण ने कहा है- जो मुझे जिस रूप में देखता है मैं उसी रूप में उसके सामने होता हूँ। राधा, मुझे प्रेमी के रूप में देखती है, मैं उसका प्रेमी हूँ। Plus d'informations दुर्योधन मुझे शत्रु के रूप में देखता है, मैं उसका प्रबल शत्रु हूँ, भीष्म मुझे भगवान के ूप में में देखता है, तो उसके मैं मैं भगवान हूँ हूँ। में. जो जिस रूप में मुझे देखता है मैं उसी रूप में उसके सामने हूँ।
जो जिस रूप में आपको देखेगा आप उसे परिवर्तित नहीं कर सकते। देखने दीजिये, जिस रूप में देखे, देखने दीजिये आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप तो अपने रास्ते पर गतिशील होइये होइये, निरन्तर गतिशील रहिये। रावण का हमने कैरेक्टर चेंज कर दिया तुलसी कृत रामायण में कि वह बहुत बुरा था, खराब था। मैं यह नहीं कह रहा कि बहुत अच्छा था। Plus d'informations यदि हम उसके गुण अवगुण देखें तो हम कहाँ उसे बुरा कह सकते हैं। यदि मैं ऐसा कहूं तो आप कहेंगे कि आप सनातन धर्म को नहीं मानते क्या? मैं यहीं कहूंगा कि मैं सनातन धर्म को ही मानता हूँ और अंतिम सांस तक मेरे जीवन में सनातन धर्म रहेगा और इस बात का गर्व है।।.
मगर रावण खराब किस दृष्टि से था? रावण ने सीता का हरण किया, यह बात गलत है उसकी मगर उससे पहले उसकी बहन के नाक, कान काट लिये थे और मेरी बहन के कोई न. आप बताइये गलती कहां से शुरू हुई? किसने गलती की? हम रावण को किस जगह से दोष देंगे ? किसने कहा उसके नाक, कान काट लीजिये ? आपके पास कोई स्त्री आये और कोई बiner विरूद्ध कुछ किया होगा तो उसे कहाँ होगा अब कोई आपको किसी रूप में देखेगा, कोई ूप रूप में देखेगा। T इस बात को मैं स्वीकार करता हूँ।
उसके सामाजिक कर्मो में कुछ प्लस, मiner कर अयोध्या तक पहुँचा दिया। उसने भगवान शिव की आराधना की, उस ऋषि की आराधना की जो उससे ज्ञान में श्रेष्ठ था। Plus d'informations मेरी दाढी, मूंछ नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि मेरा ज्ञान खत्म हो जायेगा या दाढी मूंछ होने से्ञान होायेगायेगा।।. अगर दाढी, मूंछ से ज्ञान होता तो जितने ये गीदड़ गीदड़, सियार है या रींछ हैं तो तो बाल बड़े लंबे हैं, फिर तो आगे बैठकर हमें उनके प.
Plus d'informations आप में कर्मठता, चेतना, हौसला, विद्वता क्या है और किस ढंग से आप जीवन यापन करते हैं, वह आपको जीवन में्यता है।।।. इसलिये रावण ने कहा- कि मुझे ऐसा ज्ञान प्रदान कीजिये मैं लक्ष्मी की साधना करना चाहता हूँ पर ऐसी लक्ष्मी की साधना करना चाहता हूँ कि फिर मेरे जीवन में अभाव नहीं रहे, मैं बार-बार लक्ष्मी का मंत्र जप या जै लक्ष्मी माता नहीं करना चाहता । संभव नहीं है मेरे लिये। Est-ce que vous avez besoin d'aide ? इसलिये मुझे ज्ञान दें तो ऐसा दें, सौंदर्य दे ऐसा दें, पौरूष दे तो ऐसा दें कि फिर मेरा जैसा बस मैं ही हूँ, मैं बता सकूं कि opérationूष सौन्दर्य कैसा होता है। सकूं कि पुरूष सौन्दर्य कैसा होता है है। कि कि. रावण ने कहा- मैं उस ज्ञान को प्राप्त करना चाहता हूँ कि सtenir
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इसमें लक्ष्मी का वर्णन है, जगदम्बा का वर्णन होना चाहिये था। यह ज्ञान, वहां से रवाना हुआ, वह ज्ञान बढ़ते-बढ़ते आगे आया और लोप हो गया, सैकड़ों्याये हमारी लोप हो गई।।. इतना अत्याचार हम पर हुआ और इतने हम नपुंसक बने रहे कि उस अत्याचार को सहन करते रहे और आज तक कर रहे है।।
आप शांत रहें मगर आपकी आँख में वह अंगारा हो कि सामने वाला ठिठक कर खड़ा हो जाये। आप जीवन में कमजोर नहीं रहें दरिद्र नहीं रहें, गरीब नहीं रहें, भिखारी नहीं रहें, रोज सुबह-सुबह जाकर उधार नहीं मांगे। कर्जा आपके ऊपर नहीं हो। Plus d'informations आप नौकरी करें तो एक क्षण अफसर को देखें तो अफसर कहे कि बोलो क्या करना है। Plus d'informations वह आपकी आँख में तेज हो। वह क्षमता आप में होनी चाहिये। Plus d'informations
ऐसे आप बने, पूर्ण पौरूषवान बनें, अद्वितीय धनवान बने यौवनवान बने ऐसा ही आशीर्वाद देता हूँ और आप ऐसी अद्वितीय सिद्धि प्राप्त कर सकें और उसके माध्यम से क्षमतावान और तेजस्विता युक्त बन सके, ऐसा मैं हृदय से आपको आशीर्वाद देता हूँ कल्याण कामना करता हूँ और -
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मुझे जीवन में कुछ ऐसा मंत्र भगवान शिव दें कि मैं पूर्ण कहला सकूं, मेरे जीवन में दरिद्रत°त. सूझता नहीं है।
Plus d'informations Plus d'informations, plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations ता प्राप्त की। Plus d'informations द देता हूँ।
परम् पूज्य सद्गुरूदेव
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