जो भी हम जानते हैं, जो भी हमारा ज्ञान है, वह सभी किसी क कारण से बंधा है। यह सूत्र ऐसे तो सface हमारी जानकारी तो उन्हीं वृक्षों से है, जो बीज से पैदcre इसीलिये कठिन है।
Plus d'informations Plus d'informations, plus d'informations दिये हुये हैं, या स्वयं स्फूर्त हैं? Plus d'informations न दीया मत लेना। कहना, दीया तो में खुद ही खोजूंगा।
Plus d'informations Plus d'informations तो सद्गुरू ने कहा कि रात अंधेरी है, क्या तुम्हें भय तो नहीं लगतcre? Plus d'informations गांव तक पहुंचने में बड़ा जंगल बीच में है, खूंखार जानवर हैं। Plus d'informations लेकिन इस जगत् में सब अकेले हैं। जंगल घना है, जंगली जानवर है, रास्ता उलझन से भरा है, भटकने की पूरी संभावना है, लेकिन काश, इस जगत में कोई किसी .cre
युवक थोड़ा हैरान हुआ कि ये भी खूब तरकीब बचने की निकाल रहे है, साथ दे सकते है, जा सकते है।। ° Plus d'informations फिर गुरू ने कहा, लेकिन मैं एक काम कर सकता हूं, दीया तुम्हें दे सकता हूं।
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गुरू ने युवक के हाथ में दीया दिया, तो युवक ने कहा यही बहुत है, कुछ न होने से तो जैसे डूबते को तिनका भी सहारा है।। तो जैसे डूबते को तिनक. Plus d'informations लेकिन जैसे ही वह सीढि़यां उतरने लगा, सद्गुरू ने फूक मारी और दीया बुझा दिया उस युवक ने कहा, आप यह क्या करहें हैं? आप क्या मजाक कर रहें है?
Plus d'informations हर रास Joh मैं तुम्हारा शतtenir इसके पहले हवायें तुम्हारे दीये को बुझाये मैं स्वयं बुझा देता हूं, इस अंधेरे में ही जाओ, अपना रास्ता खोजो।। ही ही. होश रखना वह तुम्हारे भीतर है। वह मैं नहीं दे सकता, और यह रात कीमती है क्योंकि अंधेरा घना है और जंगली जानवर निकट है। रास्ता अनजाना है, गांव दूर है। इस खतरे की स्थिति में हो सकत.
Plus d'informations Plus d'informations, plus d'informations लेकिन हमारे पास सारा ज्ञान उधारहै। Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations
महाभारत में एक मधुर घटना है। Plus d'informations Plus, plus et plus Plus d'informations युधिष्ठिर सामने ही पड़ गये, उन्होंने कहा, कल आ जाना, भीम खिलखिला कर हंसने लगा। युधिष्ठिर ने पूछा कि तू पागल तो नहीं हो गया? क्यों खिलखिला रहा है? उसने कहा कि मैं जाता हूं गांव ढिंढोरी पीट आऊं कि मेरे बड़े भाई ने समय जीत जीत लिया है।। Plus d'informations युधिष Joh Plus d'informations Plus d'informations
इसलिये सद्गुरू तुम्हें शास्त्र नहीं देता वह तो तुम्हें वह दीया बनाने की विधि का ज्ञान देता है जिसके मœuvre वह तुम्हें यह नहीं बताता कि क्या ठीक है, वह तुम्हें आंखें देता है, जो ठीक को देख सकें सकें। जिससे तुम अपने जीवन में उस ध्यान, योग, साधना के माध्मय से अपने भीतर के उस बुझे हुये दीयें को जला सको।।.
इसलिये बुद्ध को जो जानते है, उन्होंने कहा है कि बुद्ध एक वैद्य हैं। नानक को जो लोग पहचानते थे, उन्होंने कहा है कि नानक एक वैद्य हैं, वे दे दे हे जो हैं, वह कोई सिद्धान्त नहीं है दे वे जो दे हे कोई सिद्धान्त नहीं है है वे जो दे हे हैं वह एक त. खुल जाती हैं।
और तुम अंधे होते तो मुश्किल थी। तुम अंधे नहीं हो सिर्फ आंख बंद है। मगर इतनी सदियों से बंद है कि तुम भूल ही गये हो कि पलक खोली जा सकती है। Plus d'informations पलक बोझिल हो गई है। बहुत-जन्मों से न खोलने की वजह से तुम खोलने का ख्याल ही भूल गये गये हो। ध्यान, योग, साधना का अर्थ है, अपने भीतर के प्रकाश का दीया प्रज्जवलित करने, पलको को खोलने की्रिया।
Plus d'informations Plus d'informations Plus d'informations इसलिये असली प्रकाश आंख है। आंख तुम्हारें भीतर सूरज का अंश है, और भीतर का सूरज जल रहा हो तो बाहर के सूरज से संबंध जुड़ जाता है। भीतर का सूरज न जल रहा हो तो बाहर का सूरज व्यर्थ है, कोई सेतु नहीं बनता। इसलिये गुरू तुम्हें वह दीया बना देता है, जो बिन तेल के जलता है, बिना बाती के। वह जो तुम्हारे भीतर है, उसे तुमने कभी भी खोया नहीं एक क्षण भी नहीं, तो हो हो ही नहीं सकते थे थे।
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