क्या आप मकान का निर्माण करने जा रहे हैं? यदि हां, तो क्या आपका मकान वास्तुशास्त्र की दृष्टि से पूर्ण है, इसे जरूरी लेख के के पूर्ण है, इसे जरूरी लेख के ूप में आपके स. यदि आप भवन का निर्माण करवाने जा रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रख लीजिये, जिससे आप अपने .ve
क्योंकि भवन का निर्माण करना इतना आसान नहीं है, यह ऐसा नहीं है, कि बस बाजार गये, खरीद लाये सामान और पसंद नहीं आया, तो बदल लियाये।. घर के सम्बन्ध में यह इतना सहज नहीं हो पाता, कि अनुकूलता नहीं मिली, तो इसे बेचा, दूसरा खरीद लिया। एक सामान्य व्यक्ति जीवन भर पूंजी इकट्ठी करता है, अतः चाहता है, कि वह जिस स्थान को खरीदे, वह पूर्णतः उसके अनुकूल हो, क्योंकि वह तो अपने पूरे जीवनकाल में बहुत ही कठिनाई से एक भवन निर्माण कर पाता है, जिसको वास्तु शास्त्र की दृष्टि से पूर्ण होना ही चाहिये।
यद्यपि कुछ लोगों ने भवनों का निर्माण अपने स्वार्थ हेतु कर वास्तुकाल के महत्व को कर दियर दिय. परन्तु यदि भवन का निर्माण शiner अनेक तत्व दर्शियों ने मानव जीवन में वास्तुशास्त्र की महत्ता स्वीकार की हैर इसकी उपयोगिता की्याख्यार की है और इसकी उपयोगिता की्याख्या की है।।.
तत्त्वदर्शियों की व्याख्या के अनुसार व्यक्ति को ग्रहों का ज्योतिषीय अध्ययन करके ही गृह निर्माण के कार्य की ओर अग्रसर होना चाहिये, मात्र गृह निर्माण ही नहीं, वरन भूमि चयन से लेकर भवन निर्माण तक की समस्त प्रक्रियायें एवं शुभ मुहुर्त में भूमि में शिला न्यास, वास्तु विधि से शांति एवं गृह प्रवेश तक का भी पूर्ण ध्यान रखना आवश्यक होता है, ताकि व्यक्ति वास्तुकाल केा है, तर स्वयं औ्ति वरिव्तुकाल के आधार पœuvref.
प्रत्येक व्यक्ति यही चiner Imp
Plus d'informations Plus d'informations, plus d'informations Plus d'informations ैसा है, जल व्यवस्था तो ठीक है, यातायात का क्या माध्यम है?
वह इन विषयों को तो बाह्य रूप से देखकर जानकारी प्राप्त कर लेता है, परन्तु उस जमीन के के विषय में नहीं नहीं जान पातात.
इसके लिये तो उसे किसी वास्तु शास्त्री के पास ही जाना पड़ता है या वह स्वयं में इतना ज्ञानी हो कि वह यह ज्वयं में इतना ज्ञानी हो कि वह यह ज. T
Il existe quatre types de terres
1- brahmane- सफेद रंग की मिट्टी वाली भूमि ब्राह्मणी कहलाती है, यह कुशा युक्त, सुगन्ध युक्त तथा मधुर रस से्त होती है।।. यह भूमि सुख-शांति प्रदान करती है।
2- Kshatriyas- लाल रंग की मिट्टी, मूंज (शर) युक्त, काषाय रस तथा रक्त गन्ध युक्त होती है है, यह भूमि्षत्रिया कहलाती है। होती है, यह भूमि्षत्रिया कहलाती है। यह राज्यप्रदा होती है, अर्थात् राज्य सुख प्राप्त होता है।
3 Prostituée- हरे रंग की मिट्टी वाली, सस्य (अन्न) गंध वाली, कुश-काश युक्त तथा अम्ल (खट्टा) रस युक्त भूमि्या होती है।।. यह भूमि धनप्रदायिनी होती है।
4- sol noir-इस प्रकार भूमि घास से युक्त, मद्य गंध तथा कटु (कडवा) रस युक्त भूमि शूद्रा कहलाती है। Plus d'informations
व्यक्ति को चाहिये, कि वह अपने ग्रहों के अनुकूल ही भूमि खरीदे। कुछ विशेष तिथियiner शुक्रवार को पुनर्वसु, मृगशिरा, मघा, अश्लेषा, विशाखा, अनुराधा, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाषाढ़ तथा पूर्वा फाल्गुनी नक négation
Importance de Vastu Shastra
प्राचीन काल में एक प्राणी का जन्म हुआ, जिसकी देहयष्टि अत्यन्त विशाल थी, उसकी देह्त लोकों में फैली हुई थी। यह देख इन्द्रादि देवता आश्चर्यचकित हुये और उसकी विशालतiner
Plus d'informations नीचे गिरा दिया जाय। Plus d'informations वी पर गिरा दिया। Plus d'informations ास करता है।
देवताओं ने इस पुरूष को गिराया था, इसका सिर ईशान (उत्तर-पूर्व दिशा) तथा पांव नैऋत्य में था। वास्तु पुरूष भूमि पर शयन करते हैं, अधोमुख वास्तु पुरूष की देह में शिख्यादि देवों का स्थापन किया जाना चाहिये तथा पूजाकाल में उत्तान.
Plus d'informations इसलिये ही विश्वकर्मा ने भवन निर्माण की शास Joh
इसके पीछे इनका मात्र इतना ही हेतु था, कि प्राणी को भू लोक में ही स्त्री, बन्धु, बान्धव्धव एवं समाज में चतुर्वर्ग फल की प्राप्ति्ति. शास्त्रों में शुभ कार्यों को केवल उसी भूमि पर करने की आज्ञा दी गई है, जिसमें स्वामी वे स्वयं हो या फिर उस भूमि का शुल्क प्रदान किया गया हो, क्योंकि जिस भूमि पर शुभ कार्य किये जाते हैं, उस कार्य का फल भू स्वामी को ही मिलता है। यदि शुल्क प्रदान कर दिया गया हो, तो फल कर्ता को ही प्राप्त होता है। इसी कारण लोग किसी अन्य स्थान पर निर्धारित शुभ कार्य शुल्क प्रदान कर सहजतiner
Plus d'informations ्माण ही माना गया है।
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