तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को कायरता का त्याग करके क्षत्रिय धर्म का पiner अर्थात् ज्ञान योग के माध्यम से ही भक्तिमय कर्म की वृद्धि संभव हो पाती है। क. अतः सांसारिक मनुष्य में इन तीनों ही भावों की स्थिति होने पर ही जीवन में सुकलाओं का विस्तार होता है औ__° यही. भगवद् गीता के पठन-पाठन, श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं।
गीता केवल लाल कपड़े में बांधकर घर में रखने के लिये नहीं अपितु उसे पढ़कर, उसके द्वारा दिये गये को आत्मसात करने के लिये है।। गये को आत्मसात करने के है है।। गीता का चिंतन अज्ञानता के आवरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। Plus d'informations
अपनी शैली और ज्ञान की गंभीरता के कारण हजारों वर्षों से गीता का पठन-पाठन, पूजन होता चला आ रहा है।।। देश-विदेश के सैकड़ों दार्शनिकों, गुरूओं और संतो ने गीता की व्याख्या की है। Plus tard, plus tard हम सभी हमारे हर कार्य में तुरन्त सफलता चाहते हैं, लेकिन भगवान ने कहा है कि धैर्य के अभाव में अज्ञान, दुःख क l'amour अतः जीवन में भक्तिमय कर्मभाव स्वरूप में ज्ञान को आतtenir गीता भक्तों के प्रति भगवान द्वारा प्रेम में गाया गीत है। जीवन उत्थान के लिये गीता का स्वाध्याय हर व्यक्ति को. करना चाहिये।
मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को श्रीकृष्ण, व्यास मुनि तथा गीता की पूजा की जाती है। गीता का पाठ किया जाता है। T दुःख व संताप लाती है इसके निस्तारण से ही जो भी असुर रूपी मोहमय स्थितियां हैं वे समाप्त होती हैं और वह मनसा-वाचर्मणा पवित्र होœuvre
Plus d'informations ुये कहा है कि-
अर्थात् गीता सुगीता करने योग्य है। गीता जी को भलीभांति पढ़ कर अर्थ व भाव सहित अन्तः करण में धारण कर लेना मुख्य कर्तव्य है।।. Plus d'informations फिर अन्य बहुत से शास्त्रें के संग्रह करने की क्या आवश्यकता है?
गीता उपनिषदों की भी उपनिषद् है। गीता में मानव को अपनी समस्त समस्याओं का समाधान मिल जाता है। गीता के स्वाध्याय से श्रेय और प्रेय दोनों की प्राप्ति हो जाती है। -
अर्थात् जहां श्री योगेश्वर कृष्ण है, जहां धनुर्धर अर्जुन है और जहां अर्जुन और श्रीकृष्ण हैं वहर जह्nercières भगवान श्री कृष्ण का वचन है कि इस गीता शास्त्र को जो पढ़ेगा अर्थात् इसकiner
अर्थात् कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं इसलिये.. इसी भाव से निरन्तर सांसारिक जीवन में कtenir तात्पर्य यह है की जीवन में प्रत्येक क्रिया की प्रतिकtenir
जीवन में अशांति तब आती है, जब हम कर्म करने से पहले ही उसके परिणाम के बारे में विचार करते हैं।।।।।।. माली प्रतिदिन पौधों को पानी देता है, मगर फल सिर्फ मौसम में ही आते हैं हैं इसलिये जीवन में धैर्य रखें, प्रत्येक चीज अपने समय पर होगीœuvre
मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी (अगहन सुदी्यारस) का पूजा विधान अन्य एकादशियों की भांति ही है।।।. ब्रहtenir यह एकादशी मोह स्वरूप अंधता का क्षय करने वाली है, इसीलिये इसे मोक्षदा एकादशी कहते हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है की मैं महीनों में म मार्गशीtinetien पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, तुलसी की मंजरी व धूप, दीप से पूजन कर पाठ और कीर्तन करने से समस्त पापों का नाश होतातन हैरने से समस्त पापों का नाश होता है।। समसxte इस दिन व्रत करने से मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी की प्राचीन कथानुसार चंपा नगरी में चारों वेदों के ज्ञाता राजा वैखानस रहा करते थे। वे बहुत ही प्रतापी और धार्मिक थे। उनकी प्रजा भी खुशहाल थी। लेकिन एक दिन राजा ने सपना देखा की उनके पूर्वज नरक की यातनायें झेल रहें हैं और ये यातनायें अत्यधिक पीड़ा दायक होती जा रहीं हैं।।. यह सपना देख राजा अचानक उठ गये और सपने के बारे में उन्होंने अपनी पत्नी को बताया। Tout ce que vous voulez
Plus d'informations राजा उनके समीप बैठकर बहुत दुःखी मन से अपने स्वप्न के बारे में उन्हें बताया। ° उन्होंने तुम्हारी माता को तुम्हारी सौतेली माता के कारण यातनाएं दी। साथ ही अनेक गरीबों व असहाय प्रजा का शोषण किया इसी कारण वे पाप के भागी बनेर अब नरक भोग हें हैं।।।.
Plus d'informations Tout ce que vous voulez भगवान श्रीकृष्ण को श्री हरि भी कहा जाता है, विष्णु स्वरूप में श्री हरि कiner विष्णुमय संकल्प लेने से जीवन में निरन्तर सभी सुलक्ष्मीयों का भाव-प्राप्त होता है।. श्रीकृष्ण स्वरूप भगवान विष्णु हरि रूप में सांसारिक मनुष्यों के पापहरण करते हैं, कर्म करते हुये कुछ परण क्रिय हैं होर्म करते कुछ प____पमय. इन विषम स्थितियों के निवारण के लिये सद्गुरू स्वरूप में निरन्तर चिंतन करना चाहिये। राजा ने विधि पूर्वक साधना सम्पन्न कर पुण्य अपने पूर्वजों को अर्पित किया। उनके पूर्वजों को नरक से मुक्ति मिल गई व राजा का जीवन चक्रवतीमय व खुशहाली स्वरूप निर्मित हुआ।।
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