सद्गुरूदेव ने मुझे शिवरात्रि 1991 में कहा था, यह एक ऐसा समय चल रहा है, जब व्यक्ति अधर्म, लोभी, भोगी erci चाहे तुम्हें अपने आपको हर दृष्टि से मिटाना ही पड़े और ऐसे ही भाव चिंतन कई वर्षों से्रयासरत हूं से कई वर्षों से्रयासरत हूं।। कई वर. सद्गुरूदेव का दिया वचन मुझे आज भी याद है- मुझे उनके प्रत्येक शिष्य को्चता के मार्ग पर शीघ्रताशीघ्र पहुँचाना है।. सद्गुरूदेव द्वारा दिया गया ज्ञान अपार है इसकी कोई सीमा नहीं है। Plus d'informations आप अपनी चित और आतtenir अभी देर नहीं हुई है इस ज्ञान शक्ति की सीमा अपार है, आप इसे जानकर अपने जीवन का उद्धार कर सकते हैं। स्वयं साधना कर अपने अन्दर की शक्ति को जाग्रत कर सकते हैं। इस ज्ञान का अपव्यय न करे, जिस दलदल में हम फसते चले जcre इसके लिये आपको अपने भीतर अपने गुरू की शक्ति का बोध होना चाहिये। Plus d'informations आप स्वयं में इतने कर्मवान व शक्ति से परिपूर्ण होंगे कि आपकी उपम उपमा सद्गुरूदेव के्रेष्ठमय शिष्यों में होगी.
सद्गुरूदेव द्वारा रचित साधनाओं में- सद्गुरूदेव ने सदैव कहा है कि आपको साधनात्मक जीवन व्यतीत करने के व्यक्तिगत्तिगत्मक्मक.. परन्तु एक सामान्य व्यक्ति बनकर भी अपने जीवन की सभी जिम्मेदारियों को पूर्ण करते हुए साधनात Joh क्षेत्र में सम्पू__ère médec यह कार्य कठिन अवश्य है परन्तु नामुमकिन नहीं क्योंकि मैं आपके साथ हूं और सद्गुरूदेव का आशीर्वाद हम के केर सद्गुरूदेव का आशीर्व.
मैं अपने शिष्यों को किसी भी धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति, देश के अधीन होकर शिष्य नहीं बनाता हूं, अपितु उसकी भावना, निष्ठा व खुद को.
अर्थात् मैं अपने शिष्य के चित्त में समाकर उसकी सारी समस्याओं को अपना बना लूं, मेरे शिष्य पर कोई आघात हो तो वह मेरे प्य पर कोई आघ. Plus d'informations मेरे बच्चों को कोई कष्ट न हो। Plus d'informations
परन्तु मेरे शिष्य के थोथे वादो, अधकचरे व्यकtenir मुझे सदैव रहता है कि ज्ञात कौन किस कठिनाई में है और क्या कार्य कर रहा है। इसके लिए समय-समय पर मैं अपने शिष्यों की परीक्षा लेता हूं कि वे किसी के बंधन में नहीं हे हेर निरन्तœuvre
पग-पग पर संसार में फैली व्यापक निष्क्रियता, सांसारिक विषमतायें, पाप, कुकर्म देख व्यक्ति विचलित हो जाता है उसे घुटन कœuvre ऐसी विषम स्थितियों से निजात केवल सद्गुरू चिंतन, सेवा और भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है, क्योंकि जब-जब आप सद्गुरू चिंतन-भक्ति में लीन होंगे आपके पास नकारात्मक क्रियाओं के बारे में सोचने का समय नहीं होगा और अपने जीवन में आने वाली कठिनाईयों का निदान स्वयं गुरू शक्ति के ज्ञान से ही सम्भव हो पायेगा। हमारी भाषा, धर्म, संस्कृति अलग हो सकती है पर मन में सदैव गुरू का ही वास रखें। Plus d'informations अर्थात् सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन की पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं।।
मानव जीवन के विकास के लिये व इसे सम्पूर्ण बनाने के लिए चार पुरूषार्थ -धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पुरूषार्थों के सिद्धि के लिये- चार प्रकार का योग (राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग) तथा विभिन्न योग साधनों की सिद्धि के लिये, चार आश्रमों (ब्रहमचर्य-आश्रम, गृहस्थ-आश्रम, वानप्रस्थ-आश्रम, संन्यास-संस् Lemuni अपने जीवन के कर्म व मोक्ष का बोध होने पर ही हमारा जीवन सफल होता है। इन चारों का सही ज्ञान होने पर ही साधक अपने जीवन में ज्ञानयोग व भक्तियोग के माध्यम से ही र erci. Plus d'informations धर्म का बोध होने पर ही व्यक्ति को आत्मज्ञान होगा और भक्ति में लीन हो सकेगा। इसी के फलस्वरूप सांसारिक आधtenir
वर्तमान में प्रत्येक मनुष्य मन में भौतिकता में छिपी रिक्तता को अनुभव कर रहा हैं परन्तु उसके लिए उसे स्पष्ट्ट. जो उसके अंधकारमय जीवन को प्रकाशवान कर सके उसके चेहरे पर मुस्कुराहट लiner इस हेतु साधना सिद्धि का भाव तप, त्याग व श्रम की आवश्यकता होती है जो एक आम्यक्ति्ति सांसारिक जीवन में हैर संभवतœuvre सद्गुरूदेव ने इन्हीं साधनाओं को सरल कर अपने शिष्यों को एक भेंट स्वरूप दी। ये साधनाएं सरल प्रयास व दीक्षा के माध्यम से सिद्ध की जा सकती है। यह सब जtenir आप स्वयं इसका प्रयोग कर इन साधना की सफलता को पूर्णता से अनुभव कर सकते है। ये वास्तविकता में करागर है और अपने जीवन को पूर्ण योगमय बनाने में सहायक है।
वर्ष भर में अपने इष्ट, अपने गुरू के लिए क्या सद्कार्य किये कितने ही अपने समान सiner इस क्रिया में कहाँ कमी रही है। इसका विवेचन करें। इन न्यूनताओं को समाप्त करने के लिए क्या विचार और क्या क्रियात्मक संकल्प नववर्ष पर ग्रहण कियात्मक संकल्प नववर्ष पर ग्रहण किया है जिससे पिछले व__èref. इस नववर्ष पर आप संकल्प करे की अपने जीवन की सभी न्यूनताओं और मलिनता को पूर्णता के साथ समाप्त करेंगे, क्योंकि आपके पास कर्म की शक्ति है, ज्ञान की शक्ति है और इसके फलस्वरूप जीवन के महत्त्व को समझकर अपने भीतर के दोष, मैली मानसिकता का त्याग कर अपने जीवन का नूतन निर्माण करने की क्रिया में गुरू शक्ति और आज्ञानुसार क्रिया कर सांगोपांग सफलतiner
इस नववर्ष में घर में कोई भी शुभ कार्य हो तो सर्व प्रथम सद्गुरू का स्मरण कर आशीर्वाद प्राप्त करे और शुभ कार्य को अक्षुण्ण बनाने के लिये अपने सम्बन्धियों, रिश्तेदारों, बहन-बेटियों, भाई-बन्धु को 'प्राचीन मंत्र-यंत्र विज्ञान' पत्रिका से जुड़ाव स्थापित करायें। ऐसे सद् कार्य से आपका यह शुभ कार्य निशtenir इस कtenir क्योंकि जैसे भाव विचार होते हैं वैसी ही क्रिया रूप में कार्य होते हैं और जैसा कार्य हम करते हैं उसका वैसा ही फल मिलता है इसलिये अपने आपको श्रेष्ठमय ज्ञानवान हर दृष्टि से जीवन को उन्नतिशील बनाने के लिए सांसारिक क्रियाओं के साथ मन विचार और भावों के रूप में विद्यमान सद्गुरूदेव के जtenir Plus d'informations Bonne année 2022 मेरे सभी मानस पुत्र-पुत्रियों को नववर्ष 2022 की हार्दिक मंगलमय शुभकामनाएं।
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